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संभल हिंसा के आरोपी जफर अली ने विधानसभा चुनाव के लिए खुद को घोषित किता MLA कैंडिडेट, किस पार्टी से मिलेगा टिकट?

समर्थ श्रीवास्तव

संभल हिंसा के आरोपी और शाही जामा मस्जिद कमेटी के अध्यक्ष जफर अली ने बड़ा ऐलान किया है. उन्होंने घोषणा की है कि वह यूपी में होने वाले 2027 का यूपी विधानसभा चुनाव संभल से लड़ेंगे.

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Zafar Ali
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संभल हिंसा के आरोपी और शाही जामा मस्जिद कमेटी के अध्यक्ष जफर अली ने यूपी में होने वाले 2027 के विधानसभा चुनाव में दावेदारी की घोषणा की है. सोशल मीडिया में पोस्ट कर जफर अली ने संभल की जनता से समर्थन मांगा है. जफर अली पेशे से वकील हैं और हिंसा मामले में जेल जा चुके हैं. फिलहाल जमानत पर बाहर हैं. संभल में जामा मस्जिद और हरिहर मंदिर विवाद को लेकर चर्चा में रहे हैं. वह मस्जिद पक्ष के वकील भी हैं. फिलहाल वो किस पार्टी से चुनाव लड़ेंगे, इसके बारे में तो कोई जानकारी नहीं है. लेकिन ऐसा माना जा रहा ही कि वह आईआईएमआईएम या सपा से टिकट मांग सकते हैं. 

क्यों हुई थी संभल में हिंसा?

उत्तर प्रदेश के संभल में नवंबर 2024 को शाही जामा मस्जिद के सर्वे के दौरान हिंसा भड़क उठी थी. यह सर्वे एक स्थानीय अदालत के आदेश के बाद शुरू किया गया था. जिसमें दावा किया गया था कि मस्जिद का निर्माण मुगल काल में ध्वस्त किए गए एक हिंदू मंदिर के खंडहर पर किया गया. सर्वेक्षण के दूसरे दिन 24 नवंबर 2024 को प्रदर्शनकारी मस्जिद के पास जमा हो गए और पुलिस के साथ उनकी झड़प हुई, जिससे भारी पत्थरबाजी और आगजनी हुई. इस हिंसा में आधिकारिक तौर पर चार लोगों की मौत हुई और कई पुलिसकर्मी सहित अन्य लोग घायल हुए. 

आयोग की रिपोर्ट में क्या कहा गया था?

हिंसा की जांच के लिए सेवानिवृत्त न्यायमूर्ति देवेंद्र कुमार अरोड़ा की अध्यक्षता में तीन सदस्यीय न्यायिक आयोग का गठन किया गया था, जिसने अगस्त 2025 में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को अपनी 450 पन्नों की रिपोर्ट सौंपी. आयोग की रिपोर्ट के प्रमुख निष्कर्ष (जो अभी सार्वजनिक नहीं हैं, लेकिन सूत्रों के हवाले से सामने आए हैं) में यह सामने आया है कि हिंसा पूर्व-नियोजित साजिश का परिणाम थी. रिपोर्ट में संभल में जनसांख्यिकीय बदलाव (हिंदू आबादी में कमी) और शहर के सांप्रदायिक दंगों के पुराने इतिहास का भी उल्लेख किया गया, जिसमें 1947 से अब तक 15 दंगे दर्ज किए गए हैं. इस मामले में पुलिस ने 2,500 से अधिक अज्ञात लोगों के साथ-साथ समाजवादी पार्टी के सदस्य जियाउर्रहमान बर्क और मस्जिद समिति के अध्यक्ष जफर अली सहित कई लोगों के खिलाफ मामले दर्ज किए हैं. सुप्रीम कोर्ट ने बाद में मस्जिद सर्वे पर निचली अदालत की कार्यवाही पर रोक लगा दी थी. 

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