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बुर्का पहनकर वोट डालने वाली महिलाओं की पहचान अब आंगनवाड़ी कार्यकर्ता करेंगी! चुनाव आयोग के आदेश का सपा ने किया कड़ा विरोध

यूपी तक

सपा ने बुर्का पहने महिला मतदाताओं की पहचान से जुड़ा EC का नया आदेश वापस लेने की मांग की है. सपा ने आरोप लगाया कि यह नियम विशेष समुदाय को निशाना बनाता है और EC की हैंडबुक का उल्लंघन है. सपा प्रदेश अध्यक्ष श्याम लाल पाल ने ज्ञापन सौंपा.

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UP News: समाजवादी पार्टी (सपा) ने चुनाव आयोग को पत्र लिखकर बुर्का पहने महिला मतदाताओं की पहचान से जुड़ा नया आदेश वापस लेने की मांग की है. मालूम हो कि चुनाव आयोग ने एक नया निर्देश जारी किया है जिसके तहत बुर्का पहने महिला वोटरों की आंगनवाड़ी कार्यकर्ताओं द्वारा पहचान की जाएगी. पहचान साबित होने के बाद ही उन्हें वोट डालने दिया जाएगा. चुनाव आयोग के इसी आदेश का समाजवादी पार्टी अब विरोध कर रही है. सपा के प्रदेश अध्यक्ष श्याम लाल पाल ने मुख्य चुनाव आयुक्त ज्ञानेश कुमार को संबोधित करते हुए उत्तर प्रदेश के मुख्य निर्वाचन अधिकारी को एक ज्ञापन सौंपा है. इस ज्ञापन में कहा गया है कि यह नया निर्देश भारत निर्वाचन आयोग के नियमों के खिलाफ है. 

सपा ने नियम के उल्लंघन का दिया ये हवाला

ज्ञापन में श्याम लाल पाल ने कहा, "यह नया निर्देश भारत निर्वाचन आयोग के नियमों के विपरीत है. निर्वाचन अधिकारियों के लिए बनी हैंडबुक (Handbook for Returning Officers) के पैरा 13.6.9 (पेज 143) में लिखा है कि 'मतदान अधिकारी को मतदाता की पहचान सुनिश्चित करने का अधिकार है' और वह मतदान के दिन मतदाता पहचान पत्र (Voter ID) की जांच कर सकता है." सपा ने आरोप लगाया कि 'मुख्य चुनाव आयुक्त ज्ञानेश कुमार ने निर्वाचन आयोग के नियमों के खिलाफ जाकर यह नया निर्देश जारी किया है जो आयोग की निष्पक्षता और पारदर्शिता पर सवाल खड़े करता है."

ज्ञापन में आगे कहा गया है, "यह नया नियम देश के एक विशेष समुदाय के मतदाताओं को निशाना बनाता है. यह अलोकतांत्रिक और असंवैधानिक है. चुनाव आयोग का यह फैसला गलत है क्योंकि यह निर्देश एक विशेष समुदाय को निशाना बना रहा है."

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