अखिलेश ने योगी से क्यों पूछा- क्या वह मिलिट्री स्कूल से पढ़े हैं?, फिर बोले- मैं पढ़ा हूं

अभिषेक मिश्रा

यूपी की 18वीं विधानसभा के बजट सत्र के पांचवें दिन शुक्रवार को प्रदेश के सीएम योगी आदित्यनाथ ने राज्यपाल के अभिभाषण पर धन्यवाद प्रस्ताव पर…

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यूपी की 18वीं विधानसभा के बजट सत्र के पांचवें दिन शुक्रवार को प्रदेश के सीएम योगी आदित्यनाथ ने राज्यपाल के अभिभाषण पर धन्यवाद प्रस्ताव पर अपनी स्पीच दी. इस दौरान उन्होंने नेता प्रतिपक्ष और समाजवादी पार्टी के मुखिया अखिलेश यादव के संबोधन का जिक्र करते हुए उन पर कई तंज कसे.

सीएम योगी ने अपने संबोधन में अखिलेश यादव पर कहा था कि मुझे नेता प्रतिपक्ष के बोलने के व्यवहार से आश्चर्य हो रहा था. चुनाव में बोलने की भाषा शैली सदन में सुनाई दे रही थी जो ठीक नहीं. सीएम ने एक शेर भी पढ़ा, ‘नजर नहीं है नजारों की बात करते हैं, जमीन पर चांद सितारों की बात करते हैं, हाथ जोड़कर बस्ती को लूटने वाले, भरी सभा में सुधारों की बात करते हैं.’

सीएम योगी के इस भाषण पर अखिलेश यादव ने यूपी तक से बातचीत में कहा कि सरकार गलत आरोप लगाती है, वह चाहती है कि सदन में बहस बदल जाए.

उन्होंने कहा कि सवाल यह है कि मेरठ शामली की चीनी मिलों का बकाया है, किसानों को पैसा कब मिलेगा? पिछड़े और दलित पिछले कई सालों से आंदोलन और धरना कर रहे हैं, उनके आरक्षण के अधिकार को लेकर क्या हुआ?

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अखिलेश ने कहा, “योगी सरकार में लगातार पेपर लीक हो रहे हैं, एसआई की भर्ती का हाल देखो. ये इन पर बहस नहीं करना चाहते हैं, इसीलिए इन मुद्दों को डायवर्ट किया जा रहा है.”

प्रदेश के डिप्टी सीएम केशव मौर्य के आहत होने वाले बयान पर अखिलेश ने कहा,

“क्या बजट का पैसा सरकार का नहीं होता है? सरकार हमें पैसा देती है खर्च करने के लिए. क्या आप यह कह सकते हो कि जमीन बेच करके पैसा मिला, डिप्टी सीएम इस तरीके की भाषा का इस्तेमाल क्या कर सकते हैं?”

अखिलेश यादव

वहीं सीएम योगी के राष्ट्रवादी विरोधी वाले बयान पर अखिलेश ने कहा, “क्या वह बता सकते हैं कि वह मिलिट्री स्कूल से पढ़े हैं?, मैं पढ़ा हूं.” बता दें कि विधानसभा में बिना किसी का नाम लिए सीएम योगी ने कहा था, ”राष्ट्रवाद की भावना से विहीन व्यक्ति की स्थिति चूहे जैसी हो जाती है. चूहे को देखते हैं न, चूहा जिस घर में रहेगा उस घर का अन्न भी खाएगा और उस घर में होल करके उसकी नींव को भी धंसाने का कार्य करेगा. चूहा बनने की बजाय राष्ट्रवादी बनना श्रेयस्कर है और मुझे लगता है कि इस बात को हमें ध्यान में रखना होगा.”

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