कांवड़ रूट की दुकानों पर नेम प्लेट लगाने के फैसले पर NDA सहयोगी भड़के, RLD-JDU ने ये कहा

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UP Kanwar Yatra Latest News: उत्तर प्रदेश की योगी आदित्यनाथ सरकार ने सूबे में कांवड़ यात्रा के रूट पर पड़ने वाली दुकानों पर मालिक और संचालकों के नाम लिखने का निर्देश दिया है. पहले तो कांग्रेस, समाजवादी पार्टी और बहुजन समाज पार्टी जैसे विपक्षी दलों ने इस फैसलो को सांप्रदायिक फैसला और मुस्लिमों को निशाने बनाने की साजिश बताया. अब बीजेपी के सहयोगी दल भी इस फैसले से नाराज नजर आ रहे हैं. यूपी में बीजेपी की सहयोगी राष्ट्रीय लोकदल (RLD) और बिहार की सहयोगी जनता दल यूनाइटेड (JDU) ने इसपर तीखी प्रतिक्रिया दी है. 

RLD बोली- ये गैर संवैधानिक निर्णय

राष्ट्रीय लोकदल के यूपी अध्यक्ष रामाशीष राय ने इस फैसले को लेकर एक ट्वीट किया है. उन्होंने अपने ट्वीट में लिखा है, 'उत्तर प्रदेश प्रशासन का दुकानदारों को अपने दुकान पर अपना नाम और धर्म लिखनें का निर्देश देना जाति और सम्प्रदाय को बढ़ावा देने वाला कदम है. प्रशासन इसे वापस ले. यह गैर संवैधानिक निर्णय  है.'

जेडीयू ने योगी सरकार के आदेश पर साधा निशाना, कहा- ये पीएम स्लोगन के खिलाफ

 

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जनता दल यूनाइटेड की तरफ से और भी तीखी प्रतिक्रिया देखने को मिली है. जेडीयू के राष्ट्रीय महासचिव केसी त्यागी ने कहा है कि यूपी से बड़ी कांवड़ यात्रा बिहार से निकलती है, लेकिन वहां ऐसा कोई आदेश नहीं है. केसी त्यागी ने आगे कहा, पीएम कहते है सबका साथ सबका विकास, तो उसे मानना चाहिए. ये लगाए गए प्रतिबंध पीएम के इस स्लोगन के खिलाफ हैं. राज्य सरकार को इसपर वापस विचार करना चाहिए.'

 

 

सपा ने बोला हमला- पराजय से बौखलाई बीजेपी झोंकना चाहती है सांप्रदायिकता की आग में

समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय महासचिव रामगोपाल यादव ने इस फैसले को बीजेपी की हार की बौखलाहट बताया है. उन्होंने ट्वीट में लिखा, 'लोकसभा के चुनाव में अपनी पराजय से बौखलाई बीजेपी और आपसी झगड़े में फंसी बीजेपी सरकार प्रदेश को सांप्रदायिकता की आग में झोंकना चाहती है. नाम लिखी मुसलमानों की दुकानों की सुरक्षा का भी ख़तरा है और दुकानदारों की जान का भी. इसलिए  सरकार के इस जालिमाना आदेश के बाद आशंका यही है कि कांवड़ मार्ग पर ग़ैर हिंदू कोई दुकान नहीं लगायेंगे. संविधान को ख़त्म करने की मंशा  पालने वाले लोग लगातार असंवैधानिक कार्य करके बाबासाहब अंबेडकर का अपमान कर रहे हैं. उत्तर प्रदेश सरकार के इस घोर असंवैधानिक आदेश का सर्वोच्च न्यायालय संज्ञान ले और इस पर तत्काल रोक लगाये.'

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