यूपी सीएम योगी आदित्यनाथ ने पद पर बने रहने का नैतिक अधिकार खो दिया है: राकांपा

भाषा

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राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी ने गुरुवार को कहा कि उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने पद पर बने रहने का नैतिक अधिकार खो दिया है क्योंकि पूर्व न्यायाधीशों ने राज्य में प्रदर्शनकारियों की संपत्तियां कथित तौर पर गिराए जाने पर स्वत: संज्ञान लेने के लिए भारत के प्रधान न्यायाधीश को पत्र लिखा है.

राकांपा के मुख्य प्रवक्ता महेश तापसे ने एक बयान में कहा कि उच्चतम न्यायालय, उच्च न्यायालय के सेवानिवृत्त न्यायाधीशों और वरिष्ठ अधिवक्ताओं ने सीजेआई को पत्र लिखकर उत्तर प्रदेश सरकार की कठोर नीति के खिलाफ स्वत: संज्ञान लेने का अनुरोध किया है.

उन्होंने कहा कि उत्तर प्रदेश सरकार ने भाजपा के पूर्व पदाधिकारियों द्वारा पैगंबर मोहम्मद पर की गयी विवादित टिप्पणियों को लेकर मुसलमानों के प्रदर्शनों के बाद यह नीति अपनाई.

उन्होंने आरोप लगाया कि उत्तर प्रदेश प्रशासन ने मुस्लिम प्रदर्शनकारियों के वैध मकानों को भी बुलडोजर से गिरा दिया, राज्य पुलिस ने उन्हें हिरासत में लिया और सोशल मीडिया पर पुलिस की बर्बरता की वीडियो भरी हुई है.

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तापसे ने पूछा, ‘‘और यह सबकुछ देश के सबसे बड़े राज्य में हो रहा है, जो भगवान राम का जन्म स्थान भी है. अपने आप को योगी कहने वाले मुख्यमंत्री ने उनके अपने प्रशासन द्वारा किए जा रहे अत्याचारों पर आंख मूंद ली है. क्या भाजपा ने इस राम राज्य का वादा किया था?’’ उन्होंने कहा कि योगी आदित्यनाथ ने पद पर बने रहने का नैतिक अधिकार खो दिया है.

राकांपा पदाधिकारी ने कहा कि उत्तर प्रदेश में राज्य प्रशासन के इशारे पर नागरिकों के अधिकार कुचले जा रहे हैं. मुस्लिमों और दलितों के प्रति भाजपा की असहिष्णुता हर कोई जानता है और वह वक्त दूर नहीं है जब अन्य भाजपा शासित राज्य अल्पसंख्यकों की आवाज दबाने के लिए ‘‘कठोर, दमनकारी और असंवैधानिक’’ माध्यमों को अपनाएंगे.

तापसे ने नागरिक समाज से ऐसे कार्यों की निंदा करने और उत्तर प्रदेश प्रशासन से संवैधानिक मूल्यों को बनाए रखने का अनुरोध किया.

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