सीएम योगी और RSS चीफ मोहन भागवत की नहीं हुई मुलाकात, गोरखपुर में दोनों 20 मिनट की दूरी पर थे
UP News: गोरखपुर में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ भी मौजूद थे और आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत भी मौजूद थे. कयास लगाए जा रहे थे कि दोनों के बीच मुलाकात हो सकती है. पूरे देश की नजर इस मुलाकात पर थी. मगर आखिरकार दोनों के बीच मुलाकात नहीं हो पाई.
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UP News: क्या भाजपा और आरएसएस के बीच सब सही है? ये सवाल अब इसलिए ओर ज्यादा उठने लगा है, क्योंकि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ और संघ प्रमुख मोहन भागवत की मुलाकात आखिरकार नहीं हो पाई. पिछले कुछ दिनों से लगातार इस बात के कयास लगाए जा रहे थे कि दोनों के बीच मुलाकात जल्द हो सकती है. दरअसल मोहन भागवत गोरखपुर आए हुए थे.
गोरखपुर में संघ का प्रशिक्षण वर्ग सम्मेलन चल रहा था, जिसमें संघ प्रमुख बतौर मुख्य अतिथि शामिल होने के लिए यहां आए हुए थे. मोहन भागवत 5 दिन गोरखपुर में ठहरे. इसी बीच खुद सीएम योगी भी दौरे पर गोरखपुर आए. ऐसे में कयास लगाए जाने लगे कि सीएम योगी और मोहन भागवत के बीच मुलाकात हो सकती है. मगर इस बार दोनों के बीच कोई मुलाकात नहीं हुई.
महज 20 मिनट की दूरी पर थे भागवत और योगी
आपको बता दें कि इससे पहले भी जब-जब मोहन भागवत गोरखपुर दौरे पर आए हैं, तब-तब सीएम योगी से उनकी मुलाकात होती रही है. मगर इस बार दोनों के बीच कोई मुलाकात नहीं हुई. दोनों के बीच सिर्फ 20 मिनट की दूरी थी. सीएम योगी गोरखपुर मठ में आते हैं. गोरखपुर मठ से संघ शिविर की दूरी 20 मिनट की ही थी. ऐसे में कई बार कयासों का दौर चलता रहा कि दोनों के बीच मुलाकात दिन में हो सकती है या शाम में हो सकती है. मगर ये मुलाकात नहीं ही हो पाई. इसी के साथ इसने एक बार फिर उन कयासों को जन्म दे दिया कि क्या वाकई आरएसएस और भाजपा के रिश्तों में सब सही चल रहा है?
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आखिर क्यों नहीं हुई मुलाकात?
दरअसल लोकसभा चुनावों के बाद ये पहला मौका होता, तब सीएम योगी और संघ प्रमुख भागवत मिलते. लोकसभा चुनावों में भाजपा को सबसे ज्यादा झटका यूपी में ही लगा है. इसके बाद से संघ की तरफ से भाजपा को अहसज करने वाले भी बयान दिए गए हैं. संघ नेता इंद्रेश ने तो भाजपा को अहंकारी तक करार दे दिया है.
ऐसे में सीएम योगी और मोहन भागवत के बीच होने वाली इस मुलाकात पर सभी की नजर थी. मगर ये मुलाकात आखिरकार नहीं हो पाई.
एक स्वयंसेवक ने नाम ना छापने की शर्त पर बताया, ‘गोरखपुर में कार्यकर्ता प्रशिक्षण वर्ग का पूरा कार्यक्रम पहले से ही तय था. ऐसे में किसी राजनीति शख्स का इस वर्ग में शामिल होने की इजाजत नहीं होती. पूरा कार्यक्रम पहले से ही तय होता है. इसमें फेरबदल नहीं किया जाता.’
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