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क्या सारे समीकरण ध्वस्त कर बीएल वर्मा बनने वाले हैं यूपी BJP के प्रदेश अध्यक्ष? जानिए कौन हैं ये और क्यों रेस में दिख रहे आगे

कुमार अभिषेक

उत्तर प्रदेश के सियासी गलियारों में एक सवाल तेजी से दौड़ रहा है कि भाजपा यहां अपना प्रदेश अध्यक्ष किसे बनाएगी? कई नामों को पछाड़ते हुए केंद्रीय मंत्री और राज्यसभा सांसद बीएल वर्मा का नाम सबसे आगे आया है. साथ ही वह कारण भी पता चले हैं जो बीएल वर्मा को प्रदेश अध्यक्ष की रेस में आगे बना रहे हैं.

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तस्वीर में बीएल वर्मा (फोटो उनके इंस्टा अकाउंट से.)
तस्वीर में बीएल वर्मा (फोटो उनके इंस्टा अकाउंट से.)
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UP News: उत्तर प्रदेश में भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) को नए प्रदेश अध्यक्ष मिलने की कवायद अचानक से बहुत तेज हो गई है. ऐसा माना जा रहा है कि 14 दिसंबर को शुरू होने वाले खरमास से पहले भाजपा यूपी में अपने नए प्रदेश अध्यक्ष के नाम की घोषणा कर देगी. वैसे भी हिंदू धर्म में मान्यता है कि खरमास के दौरान कोई भी शुभ काम नहीं किया जाता है. यूपी बीजेपी के भीतर इसे लेकर तेजी से समीकरण भी बदले हैं. अब माना जा रहा है कि प्रदेश अध्यक्ष बनने की रेस में केंद्रीय राज्य मंत्री और मूल रूप से बदायूं के रहने वाले राज्यसभा सांसद बनवारी लाल वर्मा उर्फ बीएल वर्मा का नाम सबसे आगे चल रहा है. अभी बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष भूपेंद्र चौधरी हैं. सबकुछ ठीक रहा और लास्ट मोमेंट में बीजेपी ने कोई चौंकाने वाला फैसला नहीं लिया, तो बीएल वर्मा की दावेदारी काफी मजबूत मानी जा रही है. 

बीते दिनों पूर्व केंद्रीय मंत्री साध्वी निरंजन ज्योति ने भाजपा राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा से मुलकात की थी. इस मुलाकात ने भी अटकलों का बाजार गर्म किया और चर्चा उठी कि साध्वी निरंजन ज्योति यूपी भाजपा चीफ बन सकती हैं. मगर अब बीएल वर्मा का नाम तेजी से सामने आया है. आइए आपको बताते हैं कि बीएल वर्मा कौन हैं और ऐसी क्या वजहें जिससे उनका नाम इस रेस में आगे-आगे दौड़ रहा है. 

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क्या हैं वो समीकरण जो बना सकते हैं बीएल वर्मा को यूपी भाजपा चीफ?

उत्तर प्रदेश में अखिलेश यादव के नेतृत्व में समाजवादी पार्टी और कांग्रेस के साथ उनके इंडिया अलायंस ने पूरा जोर दलित और पिछड़े वोटर्स पर लगा रखा है. अखिलेश यादव के पीडीए (पिछड़ा, दलित और अल्पसंख्यक) फॉ़र्म्युले की काट के लिए बीजेपी शिद्दत से कोशिश कर रही है. ऐसे में माना जा रहा है कि भाजपा अपना अगला प्रदेश अध्यक्ष ओबीसी समाज से आने वाले किसी नेता को बना सकती है. बीएल वर्मा भी ओबीसी समाज से ही आते हैं. बीएल वर्मा लोध ओबीसी हैं. इनकी लोध-राजपूत समुदाय में पकड़ मानी जाती है. इसी समुदाय से बीजेपी के बड़े नेता कल्याण सिंह भी थे जो यूपी के मुख्यमंत्री भी रहे. बीएल वर्मा ने अपने सियासी जीवन की शुरुआत कल्याण सिंह के सानिध्य में ही की थी. लोध-राजपूत बहुल इलाकों में बीएल वर्मा का कद बड़ा होने के चलते भाजपा का शीर्ष नेतृत्व उन्हें अब बड़ी जिम्मेदारी सौंप सकता है. सहकारिता मंत्रालय में राज्यमंत्री रहने के दौरान बीएल वर्मा भाजपा के प्रमुख रणनीतिकार अमित शाह की गुड बुक्स में शामिल हुए थे. ऐसा माना जाता है कि बीएल वर्मा सत्ता और संगठन के बीच समन्वय बनाने में माहिर हैं.  

कौन हैं बीएल वर्मा?

राज्यसभा की आधिकारिक वेबसाइट के मुताबिक बीएल वर्मा का जन्म साल 1961 में बदायूं जिले के उझानी में हुआ था. उनके पिता का नाम पन्ना लाल वर्मा और मां का नाम भाग्यवती देवी है. 27 मई 1975 को उनकी शांति देवी वर्मा से शादी हुई. बीएल वर्मा के 2 बच्चे हैं. बीएल वर्मा ने बनारस की सम्पूर्णानन्द संस्कृत यूनिवर्सिटी से एमए की डिग्री हासिल की है. 

बीएल वर्मा भाजपा के उन वरिष्ठ नेताओं में से हैं जिन्होंने अपनी राजनीतिक यात्रा की शुरुआत बूथ स्तर के एक साधारण कार्यकर्ता के रूप में की है. उन्होंने 1984 में भारतीय जनता युवा मोर्चा (BJYM) के जिला महामंत्री के रूप में जिम्मेदारी संभाली. संगठन में लगातार अच्छे काम को देखते हुए 1997 में उन्हें भाजपा युवा मोर्चा का प्रदेश मंत्री बनाया गया. वह 2003 से 2007 तक वह भाजपा के प्रदेश मंत्री पद पर भी रहे. बीएल वर्मा के सियासी अनुभव और वरिष्ठता को देखते हुए उन्हें दो बार बीजेपी ब्रज क्षेत्र का अध्यक्ष भी बनाया गया. फिर पार्टी ने उन्हें बीजेपी का प्रदेश उपाध्यक्ष बनाकर उनके कद को और बढ़ाया. इस दौरान उन्होंने यूपी स्टेट कंस्ट्रक्शन डेवलपमेंट कॉर्पोरेशन लिमिटेड के अध्यक्ष के रूप में भी काम किया.

बीजेपी ने नवंबर 2020 में उन्हें उच्च सदन (राज्यसभा) भेजा. इसके बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के दूसरे कार्यकाल में जुलाई 2021 में हुए कैबिनेट विस्तार में उन्हें बड़ी जिम्मेदारी मिली. उन्हें सहकारिता मंत्रालय और पूर्वोत्तर क्षेत्र विकास मंत्रालय में राज्य मंत्री बनाया गया. मोदी सरकार के तीसरे कार्यकाल में भी बीएल वर्मा केंद्र सरकार का हिस्सा हैं. वह अभी उपभोक्ता मामले, खाद्य और सार्वजनिक वितरण विभाग और सामाजिक न्याय और अधिकारिता मंत्रालय में राज्य मंत्री हैं.

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