केंद्रीय मंत्री ‘टेनी’ पर कभी दर्ज हुए गंभीर मामले, हिस्ट्रीशीट हाई कोर्ट ने की थी खारिज
उत्तर प्रदेश के लखीमपुर खीरी में 3 अक्टूबर को हुई हिंसा के बाद से केंद्रीय गृह राज्य मंत्री अजय मिश्रा टेनी और उनके बेटे आशीष…
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उत्तर प्रदेश के लखीमपुर खीरी में 3 अक्टूबर को हुई हिंसा के बाद से केंद्रीय गृह राज्य मंत्री अजय मिश्रा टेनी और उनके बेटे आशीष मिश्रा उर्फ मोनू सुर्खियों में हैं. दरअसल, अजय मिश्रा टेनी के बेटे आशीष मिश्रा पर आरोप है कि उनके काफिले ने आंदोलनकारी किसानों को रौंद दिया था. हालांकि, मंत्री और उनके बेटे, दोनों ने ही आरोपों को नकार दिया है. उनका दावा है कि आशीष घटनास्थल पर थे ही नहीं. आपको बता दें कि केंद्रीय अजय मिश्रा टेनी कभी लखीमपुर के तिकुनिया थाने के हिस्ट्रीशीटर थे. हालांकि, हाईकोर्ट के आदेश के बाद अजय मिश्रा टेनी की हिस्ट्रीशीट को खारिज भी कर दिया गया था.
केंद्रीय गृह राज्य मंत्री अजय मिश्रा टेनी का वायरल हुआ 10 दिन पुराना वीडियो एक बार फिर चर्चा में है. वायरल वीडियो में अजय मिश्रा दावा कर रहे हैं कि विधायक और सांसद बनने से पहले वह क्या थे इसको भी जान लें. अजय मिश्रा टेनी पर लखीमपुर के ही तिकुनिया थाने में हत्या, घर में घुसकर मारपीट, बलवा के चार मुकदमे दर्ज थे. इतना ही नहीं अजय मिश्रा टेनी की तिकुनिया थाने में हिस्ट्रीशीट भी खोली गई थी. हालांकि, हाईकोर्ट ने अजय मिश्रा की हिस्ट्रीशीट को खारिज कर दिया था.
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अजय मिश्रा टेनी पर कब और किस मामले दर्ज हुए थे मुकदमे?
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5 अगस्त, 1990 को तिकुनिया थाने में अजय मिश्रा टेनी समेत 8 लोगों पर दर्ज हुआ था हथियारों से लैस होकर मारपीट करने का केस.
8 जुलाई, 2000 को प्रभात गुप्ता नमक शख्स की हत्या के मामले में अजय मिश्रा समेत चार लोग किए गए थे नामजद.
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31 अगस्त, 2005 को ग्राम प्रधान ने अजय मिश्रा समेत चार लोगों पर दर्ज कराया था घर में घुसकर मारपीट और दंगा फसाद का मुकदमा.
24 नवंबर, 2007 को अजय मिश्रा समेत तीन लोगों पर दर्ज हुआ था घर में घुसकर मारपीट का चौथा मुकदमा.
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2005 और 2007 के मारपीट के मुकदमों में अजय मिश्रा के साथ उनका बेटा आशीष मिश्रा उर्फ मोनू भी नामजद था.
अजय मिश्रा पर दर्ज चार मुकदमों में सबसे गंभीर मुकदमा प्रभात गुप्ता मर्डर केस का था. हत्या के इस मुकदमे में अजय मिश्रा लोअर कोर्ट से बरी कर दिए गए थे. इत्तेफाक था कि 29 जून 2004 को सुनवाई करने वाले जज ने अजय मिश्रा को हत्या के मुकदमे में बरी किया और 30 जून को जज साहब का रिटायरमेंट हो गया. इसके बाद प्रभात गुप्ता के परिवार ने इस फैसले के खिलाफ हाई कोर्ट की लखनऊ बेंच में अपील दायर की, जिसके बाद से अजय मिश्रा हाई कोर्ट से जमानत पर हैं.
12 मार्च, 2018 से हाईकोर्ट ने भी इस मामले में सुनवाई के बाद अपना फैसला सुरक्षित कर रखा है. बीते 3 सालों से फैसला सुरक्षित रखने पर हाईकोर्ट डबल बेंच में अपील दायर की गई है, जिस पर अक्टूबर महीने में सुनवाई होनी है.
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