CM योगी और अखिलेश यादव अब मिलकर चुनेंगे सदन में ‘श्रेष्ठ विधायक’! इस आधार पर होगा चयन

शिल्पी सेन

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मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ और अखिलेश यादव
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ और अखिलेश यादव
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UP News Hindi: यूपी विधानसभा में चिल्लाना और उग्र होकर विरोध प्रदर्शन करना अब विधायकों के लिए भारी पड़ सकता है. इससे विधायक श्रेष्ठ विधायक पुरस्कार के दौड़ से बाहर हो जाएंगे. दरअसल, यूपी विधानसभा में नई पहल शुरू हो रही है. इसके तहत विधानसभा में श्रेष्ठ प्रदर्शन करने और अपने क्षेत्र के लिए अच्छा काम करने वाले विधायकों को पुरस्कृत किया जाएगा और श्रेष्ठ विधायक के खिताब से जाएगा. संसद में दिए जाने वाले श्रेष्ठ सांसद का पुरस्कार की तर्ज पर इसकी शुरुआत की जा रही है.
नेता सदन योगी-नेता प्रतिपक्ष अखिलेश होंगे वर्तमान कार्यकाल में समिति के सदस्य
यूपी विधानसभा में ये ‘श्रेष्ठ विधायक’ पुरस्कार की पहल विधायकों को जहां अपना परफॉर्मेंस सुधारने के लिए प्रेरित करेगी, तो वहीं अपने क्षेत्र पर ध्यान देने के लिए भी उत्साहित करेगी. यूपी विधानसभा के सत्र के दौरान सत्र के सातवें दिन ‘उत्कृष्ट विधायक पुरस्कार नियम समिति 2022-23’ का प्रथम प्रतिवेदन पेश किया गया. तय किया गया है कि यूपी विधानसभा के उत्कृष्ट विधायक का चयन एक समिति करेगी. जल्द ही इस चयन समिति की औपचारिक घोषणा होगी. इस समिति के अध्यक्ष विधानसभा अध्यक्ष होंगे. समिति में नेता सदन (leader of house), नेता प्रतिपक्ष (leader of opposition), विधानसभा के उपाध्यक्ष, विधानसभा अध्यक्ष की ओर से नॉमिनेट वरिष्ठ विधायक और एक वरिष्ठ पत्रकार सदस्य होंगे. विधानसभा के प्रमुख सचिव समिति के सदस्य सचिव होंगे.
ये खास बात है कि नेता सदन के रूप में जहां सत्ता पक्ष को इसमें शामिल किया जाएगा. वहीं नेता प्रतिपक्ष भी होंगे. यानी विधानसभा के इस कार्यकाल में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ और अखिलेश यादव दोनों ही समिति में होंगे और श्रेष्ठ विधायक के चुनाव में हिस्सेदारी करेंगे. श्रेष्ठ विधायक के तौर पर दो विधायकों का चयन किया जाएगा, जिसमें एक सत्ता पक्ष का और एक विपक्ष का विधायक होगा. श्रेष्ठ विधायक के लिए नामांकन पर समिति की बैठक में तय होगा. ये भी तय किया गया है कि अगर सर्वसम्मति श्रेष्ठ विधायक के नाम को लेकर नहीं बनती है, तो ऐसी स्थिति में विधानसभा अध्यक्ष को फैसले का विशेषाधिकार होगा और अंतिम निर्णय वही करेंगे. पुरस्कार के रूप में प्रशस्ति पत्र दिया जाएगा.

सदन में नियमों का पालन और अपने क्षेत्र में भी करना होगा अच्छा प्रदर्शन

UP Political News: नियमावली में इस बात का ध्यान रखा गया है कि ज्यादा विधायकों को मौका मिले. इसके लिए विधायक चुने जाने के बाद एक कार्यकाल में एक ही बार किसी विधायक को पुरस्कार या श्रेष्ठ विधायक का खिताब मिलेगा. श्रेष्ठ विधायक बनने के लिए जितना महत्व विधानसभा के अंदर आचरण को दिया गया है, उतना ही विधायक के अपने क्षेत्र (constituency) में उनके व्यवहार, छवि और काम को मिलेगा. इसके अनुसार श्रेष्ठ विधायक बनने के लिए अपने निर्वाचन क्षेत्र में विधायक का लगातार सक्रिय रहना जरूरी है. सार्वजनिक जीवन में व्यवहार, क्षेत्र में काम कराने को लेकर रुचि, दूसरे सामाजिक मुद्दों पर जागरूकता से भी इसका आकलन किया जाएगा. यानि विधायक की परफॉर्मेंस अपने क्षेत्र में कैसी है, ये उनके चयन का आधार होगा?
अपने क्षेत्र के अलावा विधायक देश की सबसे बड़ी विधानसभा में कैसा प्रदर्शन करते हैं, ये बात भी मायने रखती है. सदन के अंदर विधायक सदन के नियमों का कितना पालन करते हैं, इस बात को भी ध्यान में रखा जाएगा. सदन में आचरण (शांति व्यवस्था और व्यवहार) का भी ध्यान रखा जाएगा. विधानसभा की समितियों (committees) में नामित सदस्य किस तरह उस समिति में कार्य करते हैं, ये भी देखा जाएगा. श्रेष्ठ सांसद की तर्ज पर दिए जाने वाले श्रेष्ठ विधायक पुरस्कार सालाना मिलेंगे. सबसे पहले 2023 के लिए पुरस्कार 2024 में मिलेंगे.

यूपी विधानसभा ने दर्ज की हैं कई उपलब्धियां

हालांकि, विधानसभा में हंगामा हर सत्र में चर्चा में रहता है. पर विधानसभा अध्यक्ष सतीश महाना ने कई नई बातों की पहल यूपी विधानसभा में की है. जहां स्मार्ट विधानसभा बनाने के लिए इसे पेपरलेस (paperless) करने की पहल की गई है, वहीं महिलाओं के लिए खास तौर पर सत्र में एक दिन निर्धारित करने का इतिहास बनाने वाली पहली विधानसभा भी यूपी विधानसभा बनी है.

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