उत्तर प्रदेश में अगले साल होने वाले विधानसभा चुनाव से पहले विपक्षी दल लगातार योगी आदित्यनाथ सरकार को अलग-अलग मुद्दे उठाकर निशाने पर ले रहे हैं. इसी क्रम में 23 सितंबर को समाजवादी पार्टी (एसपी) और बहुजन समाज पार्टी (बीएसपी) ने प्रति व्यक्ति आय का मुद्दा उठाया.
दरअसल इस बारे में हाल ही में रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया (आरबीआई) के आंकड़े सामने आए थे. इन आंकड़ों के हिसाब से यूपी में प्रति व्यक्ति आय बढ़ने की स्थिति वित्त वर्ष 2013 से कैसे बदली है, इस बारे में भी जानेंगे, मगर उससे पहले जान लेते हैं कि एसपी और बीएसपी का क्या कहना है.
एसपी अध्यक्ष अखिलेश यादव ने ट्वीट कर दावा किया है, ”सपा सरकार की तुलना में यूपी की भाजपा सरकार के समय में यूपी में प्रति व्यक्ति आय घटकर अब लगभग एक तिहाई रह गई है.”
सपा सरकार की तुलना में उप्र की भाजपा सरकार के समय में उप्र में प्रति व्यक्ति आय घटकर अब लगभग एक तिहाई रह गयी है। महँगाई कई गुनी लेकिन कमाई व बैंक में बचत ब्याज दर आधी रह गयी है। अच्छे दिन का वादा करनेवाले भाजपाई बताएं कि इस आर्थिक बदहाली में आम आदमी करे तो करे क्या।#भाजपा_ख़त्म pic.twitter.com/OdTa1zfBHj
— Akhilesh Yadav (@yadavakhilesh) September 23, 2021
वहीं बीएसपी चीफ मायावती ने ट्वीट कर कहा है, ”यूपी के लोगों की प्रति व्यक्ति आय सही से नहीं बढ़ने अर्थात यहां के करोड़ों लोगों के गरीब और पिछड़े बने रहने संबंधी रिजर्व बैंक के ताजा आंकड़े इस आमधारणा को प्रमाणित करते हैं कि भाजपा के विकास के दावे हवाहवाई और जुमलेबाजी हैं. यहां इनकी ’डबल इंजन’ की सरकार में भी ऐसा क्यों?”
क्या कहते हैं आंकड़े?
हाल ही में आरबीआई ने ‘हैंडबुक ऑफ स्टेटिस्टिक्स ऑन द इंडियन इकॉनमी, 2020-21’ जारी की थी. यह एक सालाना प्रकाशन है और इसमें न केवल पूरे भारत के लिए बल्कि अलग-अलग राज्यों के लिए भी कई मापदंडों पर विस्तृत डेटा शामिल है.
आरबीआई की हैंडबुक में शामिल एक प्रमुख वेरिएबल प्रति व्यक्ति नेट स्टेट डोमेस्टिक प्रोडक्ट (NSDP) भी है. इस वेरिएबल का इस्तेमाल किसी राज्य में प्रति व्यक्ति आय की स्थिति समझने के लिए किया जा सकता है.
अंग्रेजी अखबार द इंडियन एक्सप्रेस ने हाल ही में आरबीआई हैंडबुक के आधार पर एक रिपोर्ट पब्लिश की थी. जिसमें उत्तर प्रदेश को लेकर बताया गया कि आंकड़ों से पता चलता है कि बीजेपी शासन के पहले तीन सालों (वित्त वर्ष 2018 से वित्त वर्ष 2020) के दौरान प्रति व्यक्ति NSDP केवल 2.99 फीसदी की दर से बढ़ा. यह न केवल इसी अवधि में राष्ट्रीय औसत (4.6 फीसदी) से कम है, बल्कि वित्त वर्ष 2013 और वित्त वर्ष 2017 के बीच समाजवादी पार्टी के शासन के दौरान दर्ज 5 फीसदी की दर से भी कम है.
अगर कोविड संकट को भी ध्यान में रखा जाए, तो वित्त वर्ष 2021 के अंत तक, यूपी के प्रति व्यक्ति NSDP का स्तर तेजी से गिर गया, जिसके नतीजे के तौर पर बीजेपी शासन के पहले चार सालों के लिए केवल 0.1 फीसदी की वार्षिक वृद्धि दर रही.
रिपोर्ट में कहा गया है कि अगर हम यह मान लें कि वित्त वर्ष 2021 में प्रति व्यक्ति आय में हुए पूरे संकुचन (कॉन्ट्रैक्शन) की वित्त वर्ष 2022 में भरपाई हो जाएगी, तो भी इसके नतीजे के तौर पर वित्त वर्ष 2018 से वित्त वर्ष 2022 तक पूरे पांच साल की अवधि के लिए प्रति व्यक्ति आय की वार्षिक वृद्धि दर केवल 1.8 फीसदी के स्तर पर होगी. यह वृद्धि दर इन्हीं पांच सालों के राष्ट्रीय औसत 2.7 फीसदी से भी कम होगी.
न्यूज एजेंसी ANI के मुताबिक, यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने 5 सितंबर को वाराणसी में कहा था, ”अगले 5 सालों में उत्तर प्रदेश की प्रति व्यक्ति आय देश की प्रति व्यक्ति आय से ज्यादा हो जाएगी.”
हालांकि, ऐसा होने के लिए, यूपी की प्रति व्यक्ति आय को वित्त वर्ष 2023 और वित्त वर्ष 2027 के बीच 22 फीसदी से ज्यादा की वार्षिक दर से बढ़ना होगा, यह मानते हुए कि राष्ट्रीय प्रति व्यक्ति आय हर साल केवल 5 फीसदी की दर से बढ़ेगी.
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