UP चुनाव 2022: शामली में कब होगा मतदान, पिछली बार यहां कौन सी पार्टी ने मारी थी बाजी?

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चुनाव आयोग (Election Commission) ने 8 जनवरी को उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव (Uttar Pradesh Assembly election) 2022 की तारीखों का ऐलान कर दिया है. जाहिर से बात है शामली के लोगों को यह जानने की उत्सुकता जरूर होगी कि जिले में वोटिंग कब होगी? आपको बता दें कि शामली, कैराना और थानाभवन में पहले चरण में 10 फरवरी को वोट डाले जाएंगे.

गौरतलब है कि यूपी में 2022 के विधानसभा चुनाव 7 चरणों में होंगे, जबकि चुनाव परिणाम 10 मार्च को घोषित किए जाएंगे.

शामली जिले की प्रोफाइल पर एक नजर डालिए-

अगर पिछले 2 विधानसभा चुनावों की बात की जाए तो शामली विधानसभा क्षेत्र में बीजेपी का प्रदर्शन अच्छा रहा है. वहीं, दूसरी तरफ इस विधानसभा क्षेत्र से प्रदेश के गन्ना मंत्री सुरेश राणा भी आते हैं. लेकिन, यह बात भी किसी से छिपी नहीं है कि हाल ही में सरकार के लिए मुसीबत बने किसान आंदोलन में शामली के लोगों ने बढ़-चढ़कर हिस्सा लिया था.

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आपको बता दें कि रविवार 26 सितंबर को योगी सरकार ने राज्य में किसानों के लिए गन्ने के मूल्य में 25 रुपये प्रति क्विंटल की वृद्धि की घोषणा की थी. विपक्ष समेत बीजेपी के सांसद वरुण गांधी ने इस वृद्धि को नाकाफी बताया है. योगी सरकार में शामली की थानाभवन विधानसभा सीट से सुरेश राणा गन्ना मंत्री हैं. अब देखना यह होगा कि गन्ना मंत्री सुरेश राणा कैसे किसानों के मुद्दों पर सहमति बनवाकर 2022 के विधानसभा चुनाव में बीजेपी को शामली विधानसभा क्षेत्र में मदद दिलवाते हैं.

आइए शामली जिले की प्रोफाइल पर एक नजर डालते हैं.

साल 2011 में पहली बार शामली जिले का अस्तित्व सामने आया था. मुजफ्फरनगर से टूटकर बने इस जिले का नाम प्रबुद्धनगर रखा गया था, और बाद में इसका नाम बदलकर शामली कर दिया गया.

रिपोर्ट्स के अनुसार, मराठा सेनानियों ने इस जगह को अंग्रेजों के खिलाफ लड़ाई मे अपनी छावनी के रूप मे प्रयोग किया था. वहीं, स्वतंत्रता सेनानियों ने इसे अपने छिपने के लिए एक सुरक्षित जगह भी माना था. शामली जिला पूर्व में मुजफ्फरनगर, पश्चिम में हरियाणा (पानीपत), उत्तर में सहारनपुर और दक्षिण मे बागपत जिले से घिरा हुआ है.

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  • गौरतलब है कि 2017 के विधानसभा चुनावों में 3 में से 2 विधानसभा सीट पर बीजेपी जबकि 1 पर एसपी की जीत हुई थी.

  • वहीं, 2012 के विधानसभा चुनावों में बीजेपी ने 2 जबकि कांग्रेस ने 1 विधानसभा सीट पर कब्जा जमाया था.

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    शामली जिले की विधानसभा सीटों का विस्तार से विवरण:

    कैराना

    2017: कैराना की सीट से इस चुनाव में एसपी के नाहिद हसन ने जीत हासिल की थी. उन्होंने बीजेपी की मृगांका सिंह को 21,162 वोटों से हराया था.

    2012: इस चुनाव में यह सीट बीजेपी की झोली में गई थी. बीजेपी के हुकुम सिंह ने बीएसपी के अनवर हसन को 19,543 वोटों के अंतर से हराया था.

    थानाभवन

    2017: इस चुनाव में इस सीट पर बीजेपी के कद्दावर नेता सुरेश कुमार राणा ने कब्जा जमाया था. उन्होंने बीएसपी के अब्दुल वारिस खान को 16,817 मतों से हराया था.

    2012: 2012 के विधानसभा चुनावों में भी थानाभावन सीट पर बीजेपी के उम्मीदवार सुरेश कुमार राणा ने ही जीत हासिल की थी. राणा ने रालोद के अशरफ अली खान को हराया था.

    शामली

    2017: इस चुनाव में बीजेपी के उम्मीदवार तेजेंद्र निर्वाल ने कांग्रेस के पंकज कुमार मालिक को 29,720 वोटों से हराया था.

    2012: इस चुनाव में शामली सीट पर कांग्रेस का कब्जा रहा था. कांग्रेस के पंकज कुमार मलिक ने एसपी के वीरेंद्र सिंह को 3,741 वोटों के अंतर से शिकस्त दी थी.

    तीनों कृषि कानून का हो रहा विरोध

    केंद्र सरकार की ओर से पारित किए गए तीनों कृषि कानून का जमकर विरोध हो रहा है. इस विरोध प्रदर्शन का भारतीय किसान यूनियन के राष्ट्रीय प्रवक्ता राकेश टिकैत चेहरा बने हुए हैं. आपको बता दें कि राकेश टिकैत मुजफ्फरनगर के सिसौली गांव के रहने वाले हैं और शामली से सिसौली 10-15 किलोमीटर की दूरी पर है. ऐसे में जब राकेश टिकैत ने गाजीपुर बॉर्डर पर किसानों को आने लिए कहा था तब शामली के किसान भी भारी तादाद में गाजीपुर बॉर्डर पहुंचे थे. कृषि कानूनों के विरोध में हो रहे आंदोलन से बीजेपी शामली विधानसभा क्षेत्र में घिरी हुई है. अब ये देखना अहम होगा कि 2022 के यूपी विधानसभा चुनाव से पहले योगी सरकार किसानों के बीच कोई सहमति बना पाती है या नहीं.

    रेलवे फाटक पर फ्लाईओवर न होने से लगता है जाम

    शामली शहर में रेलवे फाटक पर फ्लाईओवर न होने से करीब 30 से 45 मिनट तक का जाम लग जाता है. हर चुनाव से पहले नेता इस समस्या का समाधान करने का वादा करते हैं लेकिन सच बात यह है कि अभी तक इस समस्या का निस्तारण नहीं हो सका है. इसके अलावा बाईपास न होने के चलते भी शहर में लंबा जाम लगता है. क्षेत्र के लोग इस समस्या के समाधान के लिए भी काफी समय से मांग कर रहे हैं.

    इनपुट्स: शरद मालिक

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