इसी तरह मायावती गणेश की मूर्ति हाथ में लिए दिखीं, तो 2007 का वह चुनावी नारा याद आया कि हाथी नहीं गणेश है, ब्रह्मा विष्णु महेश है.
मायावती की लखनऊ की इस सभा का अलग ही नजारा था. जय श्रीराम के नारे लग रहे थे. ब्राह्मण शंख बजा रहे थे. फिर पुराना नारा याद आया कि ब्राह्मण शंख बजाएगा, हाथी बढ़ता जाएगा.
मायावती की इस सभा में आगे की पंक्ति में साधु-संन्यासी भी बैठे नजर आए. ऐसे नजारे माया की सभाओं में हमेशा दिखाई नहीं देते