ज्ञानवापी व्यास तहखाने की छत पर नमाज रोकने की मांग, अब हिंदू पक्ष ने लगाई ये नई याचिका
वाराणणी के ज्ञानवापी मस्जिद से जुड़े विवाद में रोजाना एक नया मोड़ देखने को मिल रहा है. पिछले दिनों कोर्ट से ज्ञानवापी के व्यास तहखाने में पूजा का अधिकार मिलने के बाद अब हिंदू पक्ष ने जिला जज की अदालत में एक नई याचिका लगा दी है.
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Varanasi News: वाराणणी के ज्ञानवापी मस्जिद से जुड़े विवाद में रोजाना एक नया मोड़ देखने को मिल रहा है. पिछले दिनों कोर्ट से ज्ञानवापी के व्यास तहखाने में पूजा का अधिकार मिलने के बाद अब हिंदू पक्ष ने जिला जज की अदालत में एक नई याचिका लगा दी है. इस याचिका में व्यास जी तहखाना के ऊपरी छत पर प्रवेश रोकने की मांग की गई है. याचिका में व्यास जी तहखाने की छत पर नमाज रोकने की मांग भी है. तर्क दिया गया है कि यह छत 500 साल पुरानी है और अब इसके मरम्मत की जरूरत है. पुरानी छत से हादसे की आशंका जताई गई है.
याचिका में कहा गया है कि हादसा होने की स्थिति में व्यासजी तहखाने में पूजा कर रहे है पुजारी और श्रद्धालुओं को खतरा है. इसमें सुरक्षा और आस्था का हवाला दिया गया है. यह याचिका वादी डॉ. राम प्रसाद सिंह ने दाखिल की है. जिला जज की अदालत में दाखिल याचिका पर आजम सुनवाई होनी है.
हाई कोर्ट ने खारिज कर दी है मुस्लिम पक्ष की याचिका
इससे पहले सोमवार को इलाहाबाद हाई कोर्ट ने यह माना कि ज्ञानवापी मस्जिद परिसर के भीतर व्यास जी तहखाने में पूजा-अर्चना रोकने का तत्कालीन प्रदेश सरकार का ऐक्शन अवैध था. इसके बाद हाई कोर्ट अंजुमन इंतेजामिया की अपील को खारिज कर दिया. हाई कोर्ट ने व्यास जी के तहखाने का वाराणसी के जिला मजिस्ट्रेट को ‘रिसीवर’ (प्रभारी) नियुक्त करने और तहखाने में पूजा की अनुमति देने के वाराणसी जिला जज के फैसले को सही ठहराया है. मुस्लिम पक्ष यानि अंजुमन इंतजामिया मसाजिद कमेटी सहित दो अलग अलग याचिकाकर्ताओं ने जिला जज वाराणसी के आदेश को हाईकोर्ट में चुनौती दी थी.
इलाहाबाद हाईकोर्ट ने अपने आदेश में लगा-
- राज्य सरकार का 1993 से धार्मिक पूजा-अनुष्ठान से लगातार रोकने का काम गलत.
- तहखाने में धार्मिक पूजा और अनुष्ठान जारी रखने वाले व्यास परिवार को मौखिक आदेश द्वारा प्रवेश से वंचित नहीं किया जा सकता था.
- अनुच्छेद 25 के तहत गारंटीकृत नागरिक अधिकार को राज्य की मनमानी कार्रवाई से छीना नहीं जा सकता है.
- तहखाने में भक्तों द्वारा पूजा और अनुष्ठान रोकना उनके हित के विरुद्ध होगा.
इस मामले में जीत से उत्साहित हिंदू पक्षकार के वकील प्रभाष पांडे की दलील है कि झटका खाए मस्जिद के पैरोकार सुप्रीम कोर्ट अवश्य जाएंगे. इसके बाद हिंदू पक्षकार ने सुप्रीम कोर्ट में भी केविएट लगा दी है.
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