काशी: न वीजा न पासपोर्ट, साइबेरिया से हर साल गंगा की गोद में आते हैं ये विदेशी मेहमान

रोशन जायसवाल

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पंक्षी-नदियां पवन के झोंके, कोई सरहद न इन्हें रोके…रिफ्यूजी फिल्म के इस गाने के ये लोकप्रिय बोल इन दिनों वाराणसी में गंगा घाट पर डेरा जमाए हजारों साइबेरियन पक्षियों पर सटीक बैठते हैं.

हजारों किलोमीटर की यात्रा तयकर साइबेरिया से वाराणसी पहुंचे इन पक्षियों का गंगा की गोद में अठखेलियां करना शहर में मुख्य आकर्षण का केंद्र बना हुआ है.

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ऐसा कहा जाता है कि साइबेरिया में कड़ाके की ठंड से बचने के लिए ये पंक्षी भारत का रुख करते हैं, ताकि इन्हें पर्याप्त मात्रा में भोजन मिल सके.

माना जाता है कि हजारों किलोमीटर की कठिन यात्रा तय करने में इन पंक्षियों को पीनल ग्लैंड और धरती के चुम्बकत्व से मदद मिलती है.

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इन पंक्षियों के वाराणसी पहुंचने पर गंगा किनारे रहने वाले लोगों में खुशी की लहर दौड़ पड़ती है, क्योंकि इन पक्षियों के झुंडों के बीच नौका विहार करने वालों की संख्या में इजाफा हो जाता है.

गंगा की गोद में इनका अठखेलियां करना भला किसको नहीं भाएगा, चाहे वह अपने देश का पर्यटक हो या फिर विदेशी मेहमान.

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