चंद्रग्रहण के कारण काशी में दोपहर में हुई विश्वविख्यात गंगा आरती, 34 साल में पांचवी बार बदला समय
चंद्रग्रहण के सूतककाल के कारण वाराणसी के दशाश्वमेध घाट पर 34 साल में पांचवीं बार गंगा आरती का समय बदला गया. बारिश के कारण गंगा सेवा निधि की छत पर दोपहर में आरती हुई, जिसमें स्थानीय और विदेशी श्रद्धालु शामिल हुए.
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भारत की आध्यात्मिक राजधानी कही जाने वाली काशी में आज एक ऐतिहासिक नजारा देखने को मिला. हर शाम यहां भव्यता के साथ होने वाली दशाश्वमेध घाट की गंगा आरती आज दोपहर में ही संपन्न हो गई. इसकी वजह थी आज लगने वाला चंद्रग्रहण और उससे पहले शुरू होने वाला सूतक काल, जिसमें किसी भी देवी-देवता की पूजा, आरती या हवन करना वर्जित होता है. बता दें कि धार्मिक परंपराओं और शास्त्रीय नियमों का पालन करते हुए यह निर्णय लिया गया, जिसकी वजह से गंगा सेवा निधि द्वारा आरती का समय बदलना पड़ा. इस खास पल के साक्षी बनने के लिए देश-विदेश से आए श्रद्धालु घाट पर पहले से ही मौजूद थे.
क्यों बदला गया गंगा आरती का समय
सनातन धर्म के अनुसार, चंद्रग्रहण से 9 घंटे पहले सूतक काल शुरू हो जाता है. इस दौरान किसी भी देवी-देवता की पूजा, हवन, या आरती करना वर्जित होता है. इसी धार्मिक नियम का पालन करते हुए दशाश्वमेध घाट पर होने वाली नित्य संध्या गंगा आरती को शाम के बजाय सूतक शुरू होने से ठीक पहले दोपहर में आयोजित किया गया.
गंगा सेवा निधि की छत पर हुई आरती
बता दें कि बाढ़ की वजह से घाट के निचले हिस्से जलमग्न हैं. इस कारण गंगा आरती पहले से ही गंगा सेवा निधि की छत पर आयोजित की जा रही थी. आज भी आरती इसी स्थान पर हुई, जहां सातों अर्चक पारंपरिक वेषभूषा और विधि-विधान के साथ मां गंगा की आरती करते नजर आए.
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इस खास मौके पर न सिर्फ स्थानीय लोग, बल्कि विदेशी पर्यटक भी भारी संख्या में मौजूद थे. सभी ने इस दुर्लभ संयोग को अपनी आंखों से देखा और इसे जीवन का यादगार पल बताया.
34 साल में पांचवीं बार बदला समय
आपको बता दें कि गंगा सेवा निधि के अध्यक्ष सुशांत मिश्रा ने बताया कि यह 34 वर्षों में पांचवीं बार है जब गंगा आरती का समय चंद्रग्रहण के कारण बदला गया है. उन्होंने बताया कि सूतक काल में देवी-देवताओं का स्पर्श वर्जित होता है, इसलिए हवन और आरती जैसी धार्मिक क्रियाएं उससे पहले पूरी कर ली जाती हैं.
गंगा घाट पर मौजूद श्रद्धालुओं ने बताया कि वे खुद को सौभाग्यशाली मानते हैं कि इस विशेष चंद्रग्रहण और गंगा आरती के संयोग के साक्षी बन सके. विदेशी पर्यटक भी इस अनुभव को लेकर काफी रोमांचित नजर आए.