ज्ञानवापी केस: कथित शिवलिंग की कार्बन डेटिंग की मांग को अदालत ने किया खारिज, जानें डिटेल
वाराणसी के चर्चित ज्ञानवापी मस्जिद और श्रृंगार गौरी मामले (Gyanvapi Masjid and Shringar Gauri case) में एडवोकेट कमीशन की कार्यवाही के दौरान वजूखाने में मिले…
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वाराणसी के चर्चित ज्ञानवापी मस्जिद और श्रृंगार गौरी मामले (Gyanvapi Masjid and Shringar Gauri case) में एडवोकेट कमीशन की कार्यवाही के दौरान वजूखाने में मिले कथित शिवलिंग की कार्बन डेटिंग या अन्य वैज्ञानिक पद्धति से जांच की मांग को वाराणसी के जिला जज ने खारिज कर दिया है.
कार्बन डेटिंग के फैसले पर पहली महिला वादी राखी सिंह के वकील शिवम ने कहा कि वादी संख्या 2 से 5 की जो दरख्वास्त कार्बन डेटिंग को लेकर थी उसे रिजेक्ट किया गया है. यह बात हमने भी कहा था कि कार्बन डेटिंग या किसी तरीके से शिवलिंग की छेड़छाड़ ना हो. कोर्ट ने सभी पहलू को देखकर सुप्रीम कोर्ट के ऑर्डर को माना है.
इस मामले में राखी सिंह की तरफ से शिवलिंग की जांच के लिए अलग से एप्लीकेशन डाली जाएगी. कोर्ट ने साफ किया है कि इस मामले में फिलहाल कोई जांच नहीं होगी और मामले की सुनवाई मूलभूत मुकदमे पर आगे बढ़ाई जाएगी.
इधर फैसले से पहले हिंदू पक्ष हनुमान मंदिर पहुंचा था और वहां हनुमान चालीसा का पाठ किया था. इधर जिला जज की अदालत में मामले की कार्यवाही शुरू होने से पहले जमकर गहमा गहमी थी. करीब 2:40 पर अदालत ने अपना फैसला सुनाते हुए कार्बन डेटिंग की मांग को खारिज कर दिया है. गौरतलब है कि मंगलवार को मुस्लिम पक्ष के प्रतिउत्तर को सुनने के बाद जिला जज अजय कृष्ण विश्वेश ने कथित शिवलिंग के परीक्षण के लिए आदेश सुरक्षित कर लिया था.
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मुस्लिम पक्ष ने अपने प्रतिउत्तर में जिला जज के सामने मुख्य रूप से तीन बिंदुओं पर अपना पक्ष रखा. मुस्लिम पक्ष की तरफ से कोर्ट में कथित शिवलिंग के परीक्षण या कार्बन डेटिंग पर आपत्ति दर्ज कराते हुए कार्बन डेटिंग पर सवाल किया गया. यह भी बताया कि कार्बन डेटिंग की मांग पार्ट ऑफ सूट नहीं है.
मुस्लिम पक्ष ने यह भी बताया कि सुप्रीम कोर्ट ने वजूखाने के सीलिंग का आदेश दे रखा है, लिहाजा अब वहां किसी तरह की कार्रवाई नहीं हो सकती है. मुस्लिम पक्ष ने यह भी बताया कि कथित शिवलिंग और आसपास तोड़फोड़ नहीं हो सकती है.
वहीं 7 अक्टूबर को हिन्दू पक्ष ने अपना स्पष्टीकरण प्रस्तुत करते हुए दावा किया था कि वजूखाने में मिला शिवलिंग उनके वाद का हिस्सा है. वहीं याचीनी राखी सिंह के वकील बगैर तोड़फोड़ या बगैर कार्बन डेटिंग के पुरातात्विक सर्वेक्षण की मांग के समर्थन में दिखे. वकील शिवम गौड़ ने बताया कि वह अपनी बात पर कायम हैं और कथित शिवलिंग से छेड़छाड़ नहीं की जानी चाहिए.
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गौरतलब है कि वाराणसी के श्रृंगार गौरी और ज्ञानवापी मस्जिद मामले में पिछली तारीख पर कोर्ट ने मुस्लिम पक्ष को सुनने के लिए 11 अक्टूबर की तारीख तय की थी. साथ ही वादी महिलाओं से भी पूछा था कि किस पद्धति से कथित शिवलिंग की जांच कराई जाए? इसके अलावा कोर्ट ने वादी हिंदू पक्ष से दो बिंदुओं पर स्पष्टीकरण मांगा है. पहला, क्या कथित शिवलिंग की संरचना इस मुकदमे की संपत्ति का हिस्सा है या नहीं है? दूसरा, क्या कोर्ट वैज्ञानिक जांच के लिए आयोग जारी कर सकता है?
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