सारनाथ महाबोधि मंदिर की दीवारों पर बने चित्रों को मिली नई रंगत, आयोजित हुआ समर्पण समारोह

ब्रिजेश कुमार

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Varanasi News: वाराणसी के सारनाथ में शुक्रवार को महान जापानी चित्रकार कोसेत्सु नोसू के भित्ति चित्रों की संरक्षण परियोजना के पूरा होने पर ‘महाबोधि सोसाइटी ऑफ इंडिया’ और ‘सोसाइटी फॉर ऑनरिंग द मास्टर आर्टिस्ट कोसेत्सु नोसू’ द्वारा समर्पण समारोह आयोजित किया गया. इस कार्यक्रम के मुख्य अतिथि भारतीय सांस्कृतिक संबंध परिषद के अध्यक्ष डॉ. विनय सहस्रबुद्धे थे.

बता दें कि तथागत के पवित्र अवशेष स्थल को रखने के लिए 1931 में बनकर तैयार हुए मूलगंध कुटि विहार (महाबोधि मंदिर) की भीतरी दीवारों पर भगवना बुद्ध के जन्म से लेकर परिनिर्वाण तक की विभिन्न मुद्राओं में पेंटिंग द्वारा अनोखी चित्रकारी की गई थी. समय के साथ चित्रकारी की रंगत फीकी होने के चलते इसके संरक्षण पर काम शुरू हुआ था.

बता दें कि भारत और जापान के बीच सांस्कृतिक संबंधों को मजबूत करने में कोसेत्सु नोसू का योगदान हमेशा मूल्यवान रहेगा. वह न केवल एक प्रतिभाशाली चित्रकार थे, बल्कि एक महान दूरदर्शी भी थे, जो प्राचीन भारत-जापान सांस्कृतिक संबंधों की जटिलता और समकालीन समाज के लिए उनके महत्व को समझते थे. इंपीरियल जापानी सरकार के माध्यम से महाबोधि सोसायटी के अनुरोध पर इन भित्ति चित्रों को बनाने का कठिन कार्य सौंपे जाने के बाद, उन्होंने 1930 के दशक के दौरान अजंता की गुफाओं में प्राचीन भारतीय चित्रों की प्रतियां बनाने के लिए भारत का दौरा किया और फिर सारनाथ के मूलगंधकुटी विहार की दीवारों पर भित्ति चित्रों को चित्रित किया.

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इस कार्यक्रम में डॉ. सहस्रबुद्धे ने इस बात पर जोर दिया कि आधुनिकीकरण किसी भी समाज के लिए आवश्यक है लेकिन जब यह पश्चिमीकरण की आड़ में आता है तो इसे स्वीकार नहीं किया जा सकता है.

कोसेत्सु नोसु के भित्ति चित्रों में बुद्ध के जीवन को उनके जन्म से लेकर उनके महापरिनिर्वाण तक, मंदिर की दीवारों पर चित्रित किया गया है. जो आधुनिक युग में सारनाथ के पवित्र महत्व में सबसे बड़ा जोड़ है. बता दें कि विवेकानंद सांस्कृतिक केंद्र, (आईसीसीआर का भारतीय सांस्कृतिक केंद्र) भारतीय दूतावास, टोक्यो द्वारा समर्थित “सोसाइटी फॉर ऑनरिंग द मास्टर आर्टिस्ट कोसेत्सु नोसु” और महाबोधि सोसाइटी ऑफ इंडिया द्वारा शुरू की गई पेंटिंग की संरक्षण परियोजना अब पूरी हो गई है.

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