सहारनपुर में विकास के दावे फेल! नदी से होकर शव को ले जाने को मजबूर हुए ग्रामीण, फूटा गुस्सा
Saharanpur News: सहारनपुर के पिंजरा गांव में एक मृतक की अंतिम यात्रा पानी में से होकर गुजरी, जिसका वीडियो वायरल हो गया है. ग्रामीणों ने कई सालों से श्मशान घाट तक पक्का रास्ता और पुल बनाने की मांग की है, लेकिन प्रशासन की लापरवाही से अब तक कोई कार्रवाई नहीं हुई.
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Saharanpur News: सहारनपुर के थाना देहात कोतवाली क्षेत्र के मालीपुर रोड स्थित पिंजरा गांव में मंगलवार को एक हृदयविदारक तस्वीर सामने आई, जब गांव के मृतक व्यक्ति की अंतिम यात्रा पानी में से होकर गुजरी. इस घटना का वीडियो सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हो रहा है. वीडियो में साफ देखा जा सकता है कि गांव का श्मशान घाट नदी के दूसरी ओर स्थित है लेकिन वहां तक पहुंचने के लिए केवल एक कच्चा रास्ता ही बना हुआ है.
लगातार हो रही पहाड़ी इलाकों की बारिश से नदियां उफान पर हैं और इस कारण शवयात्रा को पानी में से होकर ले जाना पड़ा. ग्रामीणों ने बताया कि यह समस्या कई सालों से बनी हुई है, लेकिन प्रशासनिक लापरवाही के कारण अब तक कोई स्थायी समाधान नहीं निकल पाया है. शव को पानी से गुजरते देख ग्रामीणों में भारी आक्रोश व्याप्त हो गया. ग्रामीणों ने कहा कि यह सिर्फ एक गांव की नहीं, बल्कि पूरे क्षेत्र की गंभीर समस्या है.
सपा नेता संजीव नौटियाल ने ये सब कहा
समाजवादी पार्टी के अनुसूचित जाति प्रकोष्ठ के राष्ट्रीय सचिव संजीव नौटियाल ने भी इस मुद्दे को प्रमुखता से उठाया. उन्होंने कहा कि पिजोरा गांव के वॉर्ड नंबर दो में श्मशान घाट तक जाने का रास्ता, चारदीवारी और पेंचिंग की समस्या बेहद गंभीर है. उन्होंने कहा, ज्ञानचंद भगत की मौत के बाद फिर से यह समस्या सामने आई है. अगर जल्द ही कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया, तो मजबूरन ग्रामीणों को धरने पर बैठना पड़ेगा. उन्होंने चेतावनी दी कि अगर भविष्य में कोई बड़ी दुर्घटना घटती है, तो उसका पूरा जिम्मेदार मौजूदा पार्षद, विधायक और शासन-प्रशासन के अधिकारी होंगे.
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ग्रामीणों ने पहले भी कई बार अधिकारियों और नेताओं से इस समस्या को लेकर मुलाकात की है, लेकिन नतीजा सिफर रहा. लोगों का कहना है कि बरसात के दिनों में यह रास्ता और भी खतरनाक हो जाता है. शवयात्रा के दौरान हर कोई डर के साए में रहता है. ग्रामीणों की मांग है कि जल्द से जल्द श्मशान घाट तक पक्का रास्ता बनाया जाए. इसके अलावा नदी पर पक्का पुल भी बनाया जाए, जिससे गांववालों को परेशानी से निजात मिल सके. बच्चों और बुजुर्गों को शवयात्रा में पानी से पार कराना बेहद जोखिमभरा साबित हो रहा है. यही नहीं, महिलाओं को भी इस दौरान बेहद दिक्कतें झेलनी पड़ती हैं. प्रशासन अगर समय रहते कार्रवाई नहीं करता, तो ग्रामीणों का आंदोलन तेज हो सकता है.
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