खुफिया विभाग के अलर्ट के बावजूद हिंसा की भेंट चढ़ा प्रयागराज, क्या अफसर रहे लापरवाह? जानिए

संतोष शर्मा

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कानपुर में हुई हिंसा को बीजेपी से निलंबित नेता नूपुर शर्मा के दिए बयान से नाराज भीड़ का एकाएक रिएक्शन कहा जा सकता था, लेकिन 1 सप्ताह बाद शासन-प्रशासन की हिदायत और ताकीद के बावजूद प्रयागराज में जो कुछ हुआ वह अफसरों की ‘लापरवाही’ का नतीजा है. मिली जानकारी के अनुसार प्रयागराज के जिन-जिन इलाकों में हिंसा हुई, उन सभी इलाकों के बारे में पहले से खुफिया विभाग ने अलर्ट किया था. मगर पुलिस अफसरों ने मिली सूचना पर काम नहीं किया और नतीजा प्रयागराज हिंसा की भेंट चढ़ गया.

बीती 3 जून को कानपुर में जब हिंसा हुई, उस वक्त हिंसा ग्रस्त इलाके से लगभग 55 किलोमीटर दूर ही देश के राष्ट्रपति प्रधानमंत्री और मुख्यमंत्री मौजूद थे. वीवीआईपी मूवमेंट के चलते कानपुर में पुलिस फोर्स की कमी एक अलग समस्या थी. मगर कानपुर में हुई इस हिंसा के बाद से ही गृह विभाग से लेकर डीजीपी मुख्यालय तक सभी जिलों के अफसरों को सतर्क रहने के निर्देश दे रहा था. पैगंबर साहब पर की गई आपत्तिजनक टिप्पणी के चलते आयोजित भारत बंद के एलान ने संवेदनशीलता को और भी बढ़ा दिया.इसी को देखते हुए शुक्रवार को होने वाली जुमे की नमाज के लिए विशेष सतर्कता बरतने के निर्देश दिए गए.

पुलिस को क्या निर्देश दिए गए थे?

आपको बता दें कि अफसरों को साफ कहा गया था कि स्थानीय खुफिया एजेंसियों की दी गई हर जानकारी पर त्वरित कार्रवाई करें. बलवा भड़काने की साजिश रचने वालों के खिलाफ सख्ती से निपटा जाए, पुलिस फोर्स हर संवेदनशील मोहल्ले और गली में तैनात रहे. किसी भी परिस्थिति से निपटने के लिए पुलिस तैयार रहे. मगर तमाम दिशा-निर्देशों के बावजूद मुरादाबाद, लखनऊ, सहारनपुर, अलीगढ़ में भीड़ इकट्ठा हुई, लेकिन प्रयागराज में भीड़ बेकाबू हो गई और यहां ईंट-पत्थर, बम आगजनी तक हुई. घंटों प्रयागराज के 2 इलाकों में हिंसा का दौर जारी रहा, अफसर मौके पर मौजूद रहकर भी ‘लाचार’ नजर आए.

दरअसल प्रयागराज के जिस अटाला इलाके में भीड़ इकट्ठा हुई और जिस स्कूल में साजिश के तार जुड़ते नजर आ रहे हैं, इन दोनों ही इलाकों को लेकर खुफिया विभाग ने पहले ही प्रयागराज पुलिस को रिपोर्ट भेज दी थी. सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार, गुरुवार को भी खुफिया विभाग ने प्रयागराज में हिंसा की गड़बड़ी करने वालों के इन इलाकों की पूरी जानकारी भेजी. मगर प्रयागराज पुलिस इस अलर्ट के बावजूद भी लापरवाह नजर आई और नतीजा बलवाइयों के इलाके में पुलिस फोर्स को पहुंचने में घंटों लग गए.

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वहीं, प्रयागराज, मुरादाबाद, सहारनपुर, लखनऊ में नमाज के बाद भीड़ इकट्ठा हुई हो, नारेबाजी हुई हो या फिर हिंसा का दौर शुरू हुआ हो, इन तमाम शहरों में हुई अराजकता से एक बात साफ हो गई कि इन जिलों के अफसरों ने अलर्टनेस के बावजूद लापरवाही से काम लिया. शासन के दिशा-निर्देशों को गंभीरता से नहीं लिया और नतीजा शहर में अराजक भीड़ इकट्ठा हुई, पुलिस को लाठीचार्ज करना पड़ा और प्रयागराज में हालात बेकाबू हुए.

फिलहाल, मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने बलवाइयों के खिलाफ सख्त कार्रवाई करने के निर्देश जरूर दे दिए हैं, लेकिन तमाम निर्देशों के बावजूद लापरवाही बरतने वाले अफसरों की भी उल्टी गिनती शुरू हो चुकी है. माना जा रहा है आईपीएस अफसरों की तबादला सूची में इन जिलों के अफसरों के नाम भी शामिल हो सकते हैं.

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