मुस्लिम युवक कासिम और हिंदू लड़की चंद्रकांता की शादी को फर्जी बताकर इलाहाबाद हाई कोर्ट ने सुना दिया ये फैसला
इलाहाबाद हाईकोर्ट ने फर्जी धर्म परिवर्तन के आधार पर हुई शादी को अवैध घोषित कर दिया है. कोर्ट ने धर्म परिवर्तन प्रमाणपत्र के आधार पर सुरक्षा की मांग में आए बालिग जोड़े कासिम और चंद्रकांता से जुड़े मामले में अपना ये फैसला सुनाया है
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इलाहाबाद हाईकोर्ट ने फर्जी धर्म परिवर्तन के आधार पर हुई शादी को अवैध घोषित कर दिया है. कोर्ट ने धर्म परिवर्तन प्रमाणपत्र के आधार पर सुरक्षा की मांग में आए बालिग जोड़े कासिम और चंद्रकांता से जुड़े मामले में अपना ये फैसला सुनाया है. इलाहाबाद हाईकोर्ट ने कहा कि धर्म परिवर्तन अवैध होने पर धर्मांतरण के बाद शादी करने वाले युगल को कानून की नजर में शादीशुदा जोड़े के तौर पर नहीं माना जा सकता. जस्टिस सौरभ श्रीवास्तव ने यह आदेश मोहम्मद बिन कासिम उर्फ अकबर द्वारा दायर एक रिट पर पारित किया. जिसमें प्रतिवादियों को उनके शादीशुदा जीवन में हस्तक्षेप न करने का निर्देश देने की मांग की गई थी. लेकिन अदालत ने कहा कि दोनों याचिकाकर्ता विशेष विवाह अधिनियम के तहत विवाह करने के हकदार हैं.
कासिम और चंद्रकांता की तरफ से पेश हुए वकिल ने कहा कि कासिम मुस्लिम समुदाय से था जबकि जैनब परवीन उर्फ चंद्रकांता हिंदू थी. 22 फरवरी 2025 को चंद्रकांता ने इस्लाम धर्म स्वीकार कर लिया और खानकाहे आलिया आरिफिया ने इसके लिए एक प्रमाण पत्र जारी किया. वकील ने दलील दी कि 26 मई 2025 को कासिम और चंद्रकांता ने मुस्लिम कानून के तहत रीति-रिवाजों के अनुसार शादी की और संबंधित काजी द्वारा विवाह प्रमाण पत्र भी जारी किया गया.
हालांकि अपर मुख्य स्थायी अधिवक्ता ने इसका विरोध करते हुए कहा कि धर्मांतरण का प्रमाण पत्र फर्जी है. उन्होंने बताया कि जिस संस्थान (खानकाहे आलिया अरिफिया) से यह सर्टिफिकेट जारी होने का दावा किया गया था उसके सचिव ने साफ किया कि उनके संस्थान ने ऐसा कोई प्रमाण पत्र जारी नहीं किया है.
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अदालत ने दोनों पक्षों की दलीलें सुनने के बाद कहा कि चूंकि धर्मांतरण फर्जी दस्तावेज के आधार पर किया गया था, इसलिए इसे उत्तर प्रदेश गैर कानूनी धर्मांतरण अधिनियम के तहत वैध नहीं माना जा सकता. कोर्ट ने कहा कि मुस्लिम कानून के तहत विवाह इस्लाम को मानने वालों के बीच एक अनुबंध है. अगर धर्मांतरण ही अवैध है तो ऐसी शादी को भी कानून की नजर में शादीशुदा जोड़ा नहीं माना जा सकता. हालांकि कोर्ट ने यह भी कहा कि दोनों याचिकाकर्ता विशेष विवाह अधिनियम के तहत शादी करने के हकदार हैं जिसके लिए धर्म बदलने की आवश्यकता नहीं होती.
कोर्ट ने निर्देश दिया कि जब तक उन्हें विशेष विवाह अधिनियम के तहत विवाह का प्रमाण पत्र नहीं मिल जाता तब तक चंद्रकांता को प्रयागराज के महिला संरक्षण गृह में रखा जाए. क्योंकि वह अपने माता-पिता के साथ नहीं रहना चाहती. अदालत ने मंगलवार को अपने आदेश में याचिकाकर्ताओं के वकील पर 25,000 रुपये का जुर्माना लगाया, जिसे आदेश की तारीख से 15 दिनों के भीतर मध्यस्थता और सुलह केंद्र में जमा करना होगा.
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