यूपी कंप्यूटर शिक्षक भर्ती में नॉन बीएड वालों को लगा झटका, हाई कोर्ट ने दिया ये आदेश
इलाहाबाद हाईकोर्ट ने यूपी में कंप्यूटर शिक्षक भर्ती को लेकर बड़ा फैसला दिया है. कोर्ट ने नॉन-बीएड डिग्री धारकों की नियुक्ति पर रोक लगाते हुए राज्य सरकार से जवाब मांगा है. जानें इस मामले की पूरी डिटेल और कोर्ट का अहम आदेश.
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इलाहाबाद हाईकोर्ट ने कंप्यूटर शिक्षक भर्ती मे गैर बीएड धारको को बड़ा झटका दे दिया है. कोर्ट ने सहायक अध्यापक,प्रशिक्षित स्नातक श्रेणी कंप्यूटर पदों की भर्ती में गैर बीएड डिग्री धारकों की नियुक्ति पर रोक लगा दी है. सहायक अध्यापक प्रशिक्षित स्नातक ग्रेड चयन परीक्षा 2025 के लिए यूपी लोक सेवा आयोग द्वारा जारी विज्ञापन को सहायक शिक्षक (पुरुष/महिला) कंप्यूटर की आवश्यक योग्यता के मामले में दाखिल याचिका पर राज्य सरकार, आयोग व अन्य से दो सप्ताह में जवाब मांगा है.
कोर्ट ने याचिका पर अगली सुनवाई के लिए 16 अक्टूबर की तारीख लगाते हुए चयन प्रक्रिया जारी रखने को कहा है. साथ ही, यह भी कहा कि बीएड योग्यता नहीं रखने वाले किसी भी अभ्यर्थी को सहायक शिक्षक कंप्यूटर (पुरुष/महिला) के पद के लिए बिना न्यायालय की अनुमति के बिना नियुक्त नहीं किया जाएगा.
यह आदेश जस्टिस मनोज कुमार गुप्ता और जस्टिस अरुण कुमार की बेंच ने प्रवीण मिश्र व अन्य की याचिका पर सीमांत सिंह, वीकेएस रघुवंशी और अपर मुख्य स्थायी अधिवक्ता राजीव गुप्ता को सुनकर दिया है. याचिका में उत्तर प्रदेश अधीनस्थ शिक्षा (प्रशिक्षित स्नातक ग्रेड) सेवाएं (छठा संशोधन) नियम 2024 में निर्धारित योग्यता और सहायक अध्यापक प्रशिक्षित स्नातक ग्रेड (पुरुष/महिला शाखा) परीक्षा 2025 के लिए उप्र लोक सेवा आयोग द्वारा जारी विज्ञापन को सहायक शिक्षक (पुरुष/महिला) कंप्यूटर के लिए चुनौती दी गई है.
विज्ञापन के आधार पर दी गई चुनौती
चुनौती इस आधार पर दी गई है कि संशोधन अधिनियम और विवादित विज्ञापन में यह प्रावधान कि बीएड केवल सहायक शिक्षक कंप्यूटर के चयन के लिए एक पसंदीदा योग्यता होगी, एनसीटीई की 12 नवंबर 2014 की अधिसूचना के विपरीत है. इस अधिसूचना के तहत बीएड को आवश्यक योग्यता के रूप में निर्धारित किया गया है. याचियों की ओर से तर्क दिया गया कि एनसीटीई द्वारा निर्धारित योग्यता राज्य सरकार पर बाध्यकारी है और इसे बीएड को पसंदीदा योग्यता के रूप में प्रदान करके और आवश्यक योग्यता के रूप में नहीं करके कमजोर नहीं किया जा सकता है.
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राज्य सरकार की ओर से स्थायी अधिवक्ता ने निर्देश प्राप्त किए और इस बात से इनकार नहीं किया कि एनसीटीई द्वारा जारी अधिसूचना में बीएड को आवश्यक योग्यता के रूप में माना गया है. उन्होंने कहा कि 2018 के चयन में कई पदों को योग्य अभ्यर्थियों की अनुपलब्धता के कारण भरा नहीं जा सका. इसलिए छात्रों के हित में संशोधन किया गया है और उसके अनुसार विज्ञापन जारी किया गया है.
कोर्ट ने कहा कि यह विवादित नहीं है कि एनसीटीई विनियम विशेष रूप से बीएड को आवश्यक योग्यता के रूप में प्रदान करते हैं इसलिए प्रथम दृष्ट्या विवादित संशोधन और विज्ञापन उस सीमा तक कानून में स्थायी नहीं होंगे. कोर्ट ने याचिका पर जवाबी हलफनामा दाखिल करने के लिए दो सप्ताह का समय दिया. साथ ही अगली सुनवाई के लिए 16 अक्टूबर की तारीख लगाते हुए कहा कि चयन प्रक्रिया जारी रहेगी लेकिन बीएड योग्यता नहीं रखने वाले किसी भी अभ्यर्थी को सहायक शिक्षक कंप्यूटर (पुरुष/महिला) के पद के लिए बिना न्यायालय की अनुमति के बिना नियुक्त नहीं किया जाएगा.