जहां मारा गया था चांद बाबा उससे आधे किमी दूर अतीक भी हुआ छलनी, गैंग्स की ये कहानी है डरावनी
जब से माफिया अतीक अहमद की हत्या की गई है तभी से अतीक को लेकर हर रोज नए खुलासे सामने आ रहे है. माफिया डॉन…
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जब से माफिया अतीक अहमद की हत्या की गई है तभी से अतीक को लेकर हर रोज नए खुलासे सामने आ रहे है. माफिया डॉन अतीक अहमद ने कभी सोचा भी नहीं होगा कि जिस प्रयागराज में उसका राज चलता था, जहां उसका बोलबाला था, वहीं उसकी पुलिस अभिरक्षा में गोली मार कर हत्या कर दी जाएगी. माना जाता है कि अतीक ने ही अपने माफिया गुरु चांद बाबा की हत्या कर दी थी. मगर ये अतीक ने सपने में भी नहीं सोचा होगा कि उसकी भी हत्या वहीं हो जाएगी जहां उसने अपने माफिया गुरु चांद बाबा की हत्या कर दी थी.
अतीक पर अपने ही माफिया गुरु की हत्या का आरोप
बता दें कि अतीक और उसके भाई अशरफ की मोतीलाल नेहरू (कोल्विन) डिवीजनल अस्पताल परिसर में गोली मारकर हत्या कर दी गई थी. जहां अतीक की हत्या हुई वह जगह रोशनबाग ढाल से मुश्किल से आधा किलोमीटर ही दूरी पर है. बता दें कि इसी स्थान पर साल 1990 में अतीक के गिरोह और अतीक के गुरु चांद बाबा के गिरोह के बीच जमकर गोलीबारी हुई थी. इस गोलीबारी में चांद बाबा की मौत हो गई थी. माना जाता है कि अतीक ने ही चांद बाबा की हत्या की थी.
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अपने गुरु की हत्या के बाद हो गया अतीक का राज
अपने गुरु चांद बाबा की हत्या करने के बाद इस पूरे क्षेत्र में अतीक गिरोह का ही राज हो गया. उसके बाद से कभी अतीक ने पीछे मुड़कर नहीं देखा. दरअसल चांद बाबा 1980 के दशक के सबसे कुख्यात अपराधियों में से एक था.उसका नाम शौक इलाही था, जिसे लोग चांद बाबा कहते थे.
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अतीक चांद बाबा के गिरोह में हुआ शामिल
बताया जाता है कि स्कूल छोड़ने के बाद अतीक चांद बाबा के गिरोह में शामिल हो गया था. इसके बाद से ही अतीक चकिया और उसके आस-पास के इलाके में गैंगस्टर के तौर पर उभरने लगा. अतीक ने चांद बाबा से अपराध और अपराध की मूल बातें सीखी. यह वो दौर था जब प्रयागराज में चांद बाबा का ही राज कायम था.
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मगर जल्दी ही हो गए दुश्मन
बताया जाता है कि अतीक और चांद बाबा के बीच सालों तक सब सही चलता रहा. मगर फिर एक बात पर अतीक और चांद बाबा आमने-सामने आ गए. दरअसल चांद बाबा अब राजनीति में आना चाहता था. उसने प्रयागराज पश्चिम सीट से विधानसभा चुनाव लड़ने का मन भी बना लिया था. कहा जाता है कि चांद बाबा ने अतीक से चुनाव में पीछे हटने के लिए कहा. मगर अतीक ने मना कर दिया.
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इसके बाद अतीक और चांद बाबा में दूरियां बढ़ती चली गई और अतीक ने खुद को पूरी तरह से चांद बाबा से दूर कर लिया. इसके बाद अतीक ने अपना खुद का गिरोह बना लिया. अतीक पूरी तरह से चकिया और घूमनगंज इलाके में सक्रिया हो गया.
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फिर दोनों गिरोह में हो गई मुठभेड़
बता दें कि साल 1990 में अतीक गिरोह और चांद बाबा का गिरोह आपस में भिड़ गए. रोशनबाग में दोनों गिरोह के बीच जमकर गोलीबारी हुई और इस गोलीबारी में चांद बाबा की मौत हो गई. इसके बाद से अतीक का दौर शुरू हुआ. धीरे-धीरे अतीक की माफियागिरी प्रयागराज से निकलकर पूर्वी उत्तर प्रदेश में फैलती चली गई और उत्तर प्रदेश में अतीक माफिया डॉन बनकर उभर गया. फिर अतीक ने राजनीति में कदम रख दिया.
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