अतीक से पहले की है ‘चांद बाबा’ के दहशत की कहानी, इसी स्कूल से बाहुबली ने सीखा ‘ककहरा’

पंकज श्रीवास्तव

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अतीक अहमद
अतीक अहमद
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प्रयागराज में हुए उमेश पाल हत्याकांड (Umesh Pal Murder Case)  के बाद से एक बार फिर माफिया अतीक का नाम चर्चा में आ गया है. माना जा रहा है कि अतीक के इशारे पर ही उमेश पाल को दिन दहाड़े गोलियां मारी गई. फिलहाल माफिया डॉन अतीक अहमद अभी गुजरात के साबरमती में जेल में बंद है. अतीक अहमद की कहानी साल 1979 से शुरु होती है. जब उसका परिवार प्रयागराज में रहता था.

माना जाता है कि अतीक चांद बाबा के गिरोह का हिस्सा बना, बाद में साम्राज्य इतना मजबूत बना लिया कि चांद बाबा को ही निपटा दिया गया. चुनावी रंजिश से जोड़कर भी देखी गई चांद बाबा की हत्या.

 अतीक से पहले था चांद बाबा का खौफ

1980 के दशक में उत्तर प्रदेश माफियाओं का बोलबाला था. ऐसा ही एक गैंगस्टर था शौक इलाही, जिसको लोग चांद बाबा के नाम से जानते थे. चांद बाबा 1980 के दशक में सौ से अधिक कट्टर अपराधियों की कमान संभाले था. अतीक अहमद भी चांद बाबा के गिरोह में ही था. बाद में अतीक भी गिरोह के नेतृत्व करने की महत्वाकांक्षा पालने लगा. जब पुलिस चांद बाबा के पीछे पुलिस पड़ी तो अतीक ने अपनी छोटी-छोटी टीम बना ली और उनका कमान संभालने लगा.

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चांद बाबा की हत्या में अतीक का हाथ!

अतीक अहमद साल 1989 में राजनीति में आते ही इलाहाबाद के पश्चिमी सीट से विधानसभा चुनाव लड़ने का ऐलान किया जहां पर उसका मुकाबला चांद बाबा से होता है. उस समय तक अतीक गैंगस्टर्स की दुनिया में काफी नाम हो गया था. अतीक की दहशत की वजह से वह चुनाव जीत गया और चांद बाबा को हार का मुंह देखना पड़ा. चुनाव जीतने के बाद चांद बाबा की फिल्मी स्टाइल में दिनदहाड़े हत्या कर दी गई. इस हत्याकांड में भी अतीक का नाम आया. इस तरह अतीक अहमद की दहशत का डंका लगातार बजता रहा. अतीक अहमद के नाम का इतना खौफ था कि कोई भी नेता इलाहाबाद की शहर पश्चिमी सीट से उसके खिलाफ चुनाव लड़ने को कोई तैयार नहीं होता था.

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