इस बार की दिवाली से दीये बनाने वालों में जगी उम्मीद, क्या इनके भी घरों में जलेंगे दीए?
Hapur News: दिवाली के मौके पर जिनके दिए घरों को रोशन करते हैं, उन्हें अपने घर रोशन करने में काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ता है.…
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Hapur News: दिवाली के मौके पर जिनके दिए घरों को रोशन करते हैं, उन्हें अपने घर रोशन करने में काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ता है. कोरोना वायरल की वजह से भी दीए बनाने वालों को काफी परेशानियां को सामना करना पड़ा है. लेकिन इस बार इनके घर भी रोशन होंगे और उनके घरों में भी खुशियां आएगी क्योंकि इस बार दीए बनाने वालों के चाक खूब घूम रहा है. उत्तर प्रदेश के हापुड़ में दीयों के बाजार सज चुके हैं. इसी के साथ चाइनीज सामानों के बहिष्कार ने भी दीए बनाने वालों की उम्मीदें जगा दी हैं.
दरअसल पिछले 2 सालों से कोविड-19 की वजह से दिवाली के त्योहार का रंग फीका हो रहा था, लेकिन अब कोरोना वायरल से जनता को काफी हद तक मुक्ति मिल चुकी है इसलिए इस साल दिवाली को लेकर देश में उत्साह का माहौल है. दिवाली के दिन मिट्टी के दीयों से घर को रोशन करने की सदियो पूरानी परंपरा रही है.
ऐसे में दिवाली के पास आते ही दीए बनाने वाले दिन रात दीये बनाने के काम में तेजी के साथ जुट हुए हैं. इस बार इन्हें उम्मीद है कि उनकी भी दिवाली रोशन होगी. इस बार मिट्टी के दीपक और मटकी आदि के लिए कुम्हारों के बच्चे भी उनका हाथ बंटा रहे हैं.
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बिजली की झालर बनी कुम्हारों के लिए चुनौती
दिवाली के मौके पर पिछले कुछ सालों से बिजली के झालरों की धूम रही है. पिछले कुछ समय में दीयों का स्थान भी बिजली के दीये और झालरों ने ले लिया है. इस वजह से इनके सामने घर-परिवार चलाने का संकट गहरा गया है. चाइनीज झालरों ने भी इन्हें बहुत चोट पहुंचाई है. मगर पिछले कुछ सालों से स्वदेशी निर्मित उत्पादों के प्रयोग को लेकर कई स्वयंसेवी संगठन खड़े हुए हैं और जनता में जागरूकता आई है जिससे दीए बनाने वालों को नई उम्मीद मिली है.
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मिट्टी के दीए बनाने वाले भूपेंद्र का कहना है कि पिछले वर्ष हमारा काफी नुकसान हुआ था लेकिन इस बार काफी अधिक दीए बिकने की उम्मीद है. पिछले 2 सालों से कोविड के कारण दिवाली काफी फीकी रही लेकिन इस बार काफी दीये बिक रहे हैं. मौसम खराब होने और बारिश होने की वजह से काफी दीए खराब भी हो गए हैं लेकिन फिर भी हमने काफी अधिक मात्रा में दीए बना रखे हैं.
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