पोर्टल पर गांव को मिला PM आवास पर झोपड़ियों, पेड़ पर टंगे लोगों ने खोली पोल! कहानी हरिहरपुर की

विनय कुमार सिंह

गाजीपुर के हरिहरपुर गांव तक, जहां ग्रामीण आवास की मांग को लेकर पेड़ों के मचान पर रहकर अनोखा विरोध कर रहे हैं. सरकारी वादों और जमीनी हकीकत के बीच का अंतर स्पष्ट है.ग्रामीणों का कहना है कि सरकारी लापरवाही के कारण योजना का लाभ नहीं मिल पाया है.

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Ghazipur News: अगर आप प्रधानमंत्री आवास योजना की वेबसाइट पर जाएंगे तो आपको वहां एक गाइडलाइन आज भी मिलेगी,जिसपर लिखा है कि साल 2022 तक सभी के लिए आवास की परिकल्पना की गई है. साल 2022 आजादी का 75वां साल था. सरकारी वादों की हकीकत क्या होती है, इसकी दो बानगी इस पीएम आवास योजना में देखी जा सकती है. एक तो भेड़ियों के आतंक से जूझ रहे बहराइच के गरीब लोग, जिनके झोपड़ियों वाले खुले घरों में रह रहे मासूम आसानी से आदमखोरों का शिकार बन रहे हैं. दूसरा गाजीपुर का हरिहरपुर गांव, जहां पोर्टल पर पीएम आवास योजना चकाचक है, लेकिन हकीकत में यहां ग्रामीण आवास के लिए पेड़ों के मचान पर बैठ प्रोटेस्ट कर रहे हैं और उनकी झोपड़ियां सरकारी दावों की धज्जियां उड़ा रही हैं. 

कमजोर वर्ग, मध्यम आय वर्ग और निम्न आय वर्ग को सस्ते आवास दिलाने के लिए पीएम आवास योजना के तहत आवास न मिलने से गाजीपुर के मनिहारी ब्लॉक के ग्रामीण आजकल अनोखा विरोध प्रकट कर रहे हैं. इस ब्लॉक के हरिहरपुर गांव में ग्रामीण पेड़ों पर रस्सी के सहारे चारपाई का मचान बनाकर रहने को मजबूर हो गये हैं, क्योंकि इस गांव में अभी आवास योजना पहुची ही नहीं है. 

ग्रामीणों के अनुसार सरकारी कर्मचारियों की लापरवाही की वजह से कागजों में इस गांव को आवास योजना से संतृप्त यानी आवास योजना का फायदा मिला हुआ गांव दिखा दिया गया है. ऐसे दावे हैं कि पीएम आवास पोर्टल में इस गांव को अमीरों का गांव दिखा दिया गया है और यही वजह है कि इस गांव को आजतक पीएम आवास योजना से वंचित रखा गया है. ग्रामीणों ने बताया कि उन्होंने इसकी शिकायत कई बार ग्राम प्रधान और जनपद के अधिकारियों से की, लेकिन कोई सुनवाई नहीं हुई. 

 

 

गांव में ज्यादातर मकान या तो कच्चे हैं या लोग झोपड़ी में रहते हैं. ग्रामीणों के साथ समस्या है कि बरसात के दिनों में सांप-बिच्छु झोपड़ी में घुस जाते हैं, जिससे उनके परिवार को जान का खतरा बना रहता है. ये लोग अपनी सुरक्षा को देखते हुए मचान पर रहने को विवश हैं. दिन में तो ये लोग मचान से उतर भी जाते हैं, लेकिन रात में ये मचान पर ही रहते हैं. फिलहाल ग्रामीणों की मांग है कि सरकार उनकी समस्या पर ध्यान दे और उनके गांव का नाम पीएम आवास पोर्टल पर दर्ज हो. उनको भी पीएम आवास योजना का लाभ मिल सके. 

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गांव की आबादी करीब 10 हजार है और ग्रामीणों की मांग है कि जो भी लोग इस गांव में पात्र हैं उनको आवास दिया जाये. ग्रामीणों के इस आंदोलन को जिम्मेदारों तक पहुंचाने में एक स्थानीय समाजसेवी सिद्धार्थ राय भी जुटे हैं. उन्होंने बताया कि पीएम आवास योजना 2015-16 में शुरू हुई थी, लेकिन हरिहरपुर गांव में आज तक एक भी आवास नहीं बना है. जनसंख्या के हिसाब से इस गांव को प्रतिवर्ष 20 आवास मिलने चाहिये. इस गांव में 9 वर्षों में 180 आवास आने चाहिये थे लेकिन एक भी आवास नहीं बना. इस गांव के ज्यादातर लोग मजदूरी करते हैं. ऐसे में लोग अपना घर बनवा पाने की स्थिति में नहीं हैं. इनके पहले के कच्चे मकान हैं वो गिर रहे हैं और लोग मचान पर रहने को मजबूर हैं. सांप-बिच्छु से  अपनी जान बचाने के लिये लोग पेड़ों पर मचान बनाकर रह रहे हैं. 

परियोजना निदेशक भी मान रहे कि गांव को नहीं मिले पीएम आवास

गाजीपुर के परियोजना निदेशक राजेश यादव ने ये माना है कि इस गांव में आवास का लाभ नहीं मिला है. लेकिन उन्होंने ये भी बताया कि उनके विभाग ने भारत सरकार को इस मामले में कई बार पत्र भेजा है. इस गांव का नाम पहले नहीं जुड़ पाया, लेकिन अब इस गांव में अलग से सर्वे करने वाले अधिकारी को नियुक्त कर दिया गया है, और नयी सूची में इस गांव का नाम जोड़ दिया जायेगा. लोग पेड़ पर मचान बनाकर क्यों रह रहे हैं? राजेश यादव से जब ये सवाल किया, तो उन्होंने कहा कि ऐसा ध्यान आकर्षित करने के लिए किया जा रहा है.

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