उधर अयोध्या में राम मंदिर पर हुआ ध्वजारोहण इधर संभल के सपा सांसद जियाउर्रहमान कहने लगे ऐसी बातें
संभल से समाजवादी पार्टी के सांसद जियाउर्रहमान ने राम मंदिर ध्वजारोहण कार्यक्रम को लकेर तीखी प्रतिक्रिया दी है. उन्होंने कहा कि कहा कि 'भारत एक लोकतांत्रिक और संवैधानिक देश है ये कोई धार्मिक देश नहीं है. इसलिए प्रधानमंत्री, राष्ट्रपति या किसी भी प्रदेश के मुख्यमंत्री को सभी धर्म और वर्ग के लोगों की बात करनी चाहिए.'
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अयोध्या में राम मंदिर के शिखर पर धर्म ध्वजारोहण का कार्यक्रम समाप्त हो चुका है. इस कार्यक्रम के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अयोध्या पहुंचे थे. इस दौरान पीएम मोदी ने 11 बजकर 45 मिनट के अभिजीत मुहूर्त पर धर्म ध्वजारोहण किया जिसकी भव्य और दिव्य तस्वीरें भी सामने आई हैं. इस बीच संभल से समाजवादी पार्टी के सांसद जियाउर्रहमान बर्क ने कड़ी प्रतिक्रिया दी है. सांसद जियाउर्रहमान बर्क ने धर्म ध्वजारोहण कार्यक्रम को लेकर कहा कि 'भारत एक लोकतांत्रिक और संवैधानिक देश है ये कोई धार्मिक देश नहीं है. इसलिए प्रधानमंत्री, राष्ट्रपति या किसी भी प्रदेश के मुख्यमंत्री को सभी धर्म और वर्ग के लोगों की बात करनी चाहिए.'
बर्क ने दी तीखी प्रतिक्रिया
सपा सांसद बर्क ने कहा कि किसी एक धर्म विशेष को संदेश देने से राजनीतिक लाभ तो मिल सकता है. लेकिन इससे देश का भला नहीं होता. अगर आप किसी धर्म विशेष और समाज के लिए यह काम करके संदेश देना चाहते हैं तो इससे आप कैसे किसी प्रदेश या देश की तरक्की कर सकते हैं. उन्होंने कहा कि लोग इससे सिर्फ और सिर्फ गुमराह हो सकते हैं. इस दौरान बर्क ने ये भी कहा कि अब जनता जागरूक हुई है और लोगों को यह समझना चाहिए कि उनके हित में क्या है. सांसद बर्क ने कहा कि वह अपने धर्म के साथ हैं. लेकिन जहां देश की बात हो वहां प्रधानमंत्री को हर धर्म और हर समाज को साथ लेकर बात करनी चाहिए तभी देश मजबूत होगा.
पश्चिम बंगाल में बाबरी मस्जिद बनाने को लेकर बर्क ने क्या कहा
टीएमसी विधायक हुमायूं कबीर के द्वारा पश्चिम बंगाल में 6 दिसंबर को बाबरी मस्जिद बनाने के ऐलान पर सांसद बर्क ने प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि हमारे देश और प्रदेश के अंदर धार्मिक स्थलों को लेकर राजनीति चल रही है. लेकिन धार्मिक स्थलों पर राजनीति नहीं होनी चाहिए. वहीं मस्जिद निर्माण को लेकर कहा कि इसमें किसी को कोई आपत्ति नहीं होनी चाहिए क्योंकि मस्जिद अल्लाह का घर है. मस्जिद हमारा मजहबी और संवैधानिक अधिकार भी है कि हम अपने अपने तरीके से इबादत करने के लिए स्वतंत्र हैं. इसलिए जरूरत के अनुसार जहां मस्जिद की जरूरत है वहां मस्जिद बनी चाहिए.











