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रुबीना से रूबी बनी मुस्लिम युवती, लड़की के पिता ने बेटी को बताया नाबालिग, कोर्ट ने दिया ये फैसला

राम बरन चौधरी

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Bahraich News: बहराइच में एक शादी-शुदा युवती के बालिग होने के प्रमाण मिलने के बाद स्थानीय न्यायालय ने उसके अनुवांशिक परिजनों की मर्जी विरुद्ध उसे उसके ससुराल वालों के साथ जाने की इजाजत दे दी. कोर्ट ने पुलिस अभिरक्षा में युवती को उसकी मर्जी के मद्देनजर सुरक्षित भेजने का आदेश जारी किया, जिसके बाद पुलिस ने युवती को उसके ससुराल पक्ष के परिजनों के पास पहुंचा दिया.
इस मामले में अदालत पर युवती की उम्र को लेकर उसके ससुर और उसके अनुवांशिक पिता ने अलग-अलग दावे किए थे, जहां उसके ससुर ने युवती के बालिग होने के प्रमाण में उसकी मार्कशीट कोर्ट में दाखिल की थी. वहीं युवती के अनुवांशिक पिता ने जन्म प्रमाण पत्र कोर्ट में दाखिल कर उसे नाबालिग बताया और साथ ही यह भी दावा किया की उसकी बेटी पढ़ी लिखी नहीं है. हालंकि दोनों के दावों के बीच कोर्ट ने युवती के शैक्षिक दस्तावेजों में दर्ज जन्मतिथि को सही मानकर उसे बालिग करार दिया और उसे उसकी मर्जी पर उसके ससुराल जाने की इजाजत दे दी.

क्या है मामला ?

जिले के कोतवाली देहात थाना क्षेत्र के शिवपुरा गांव की रुबीना ने तमाम सामाजिक बंधनों को दरकिनार कर गांव के ही दूसरे समुदाय के शेष कुमार अवस्थी से भाग कर मुंबई के एक मंदिर में शादी की थी और अपना नाम रूबी अवस्थी कर लिया था. वहीं रुबीना के पिता कल्लन ने बीती 30 अप्रैल को कोतवाली में एफआईआर की और अपने ही गांव के शेष कुमार अवस्थी पर उसकी बेटी को बहला फुसला कर भगा ले जाने का आरोप लगाया.

थाने में दर्ज एफआईआर के मद्देनजर कोतवाली देहात पुलिस ने रुबीना को मुंबई से बरामद कर लिया और बहराइच ले आई, जहां उसका मेडिकल परीक्षण कराने के साथ उसका बयान दर्ज किया गया. साथ ही उसका बहराइच जिले की जिला एवं सत्र न्यायालय की अपर मुख्य न्यायिक दंडाधिकारी कोर्ट पर दफा 164 के तहत भी बयान कराया गया, जिसमें रुबीना ने बताया की वह बालिग है और उसने अपनी मर्जी से शेष कुमार अवस्थी से शादी की है.

अदालत के सामने हुए ये अलग-अलग दावे

वहीं, अदालत के सामने युवती की सुपुर्दगी को लेकर दो अलग अलग दावे किए गए. जहां एक तरफ रुबीना के ससुर कन्हैया लाल अवस्थी ने कोर्ट पर उसके शैक्षिक दस्तावेज के तौर उसकी मार्कशीट पेश कर यह मांग की कि उनकी बहू बालिग है और उसे उन्हें सौंपा जाय, तो दूसरी ओर रुबीना के अनुवांशिक पिता कल्लन ने उसके ससुर के दावों को फर्जी बताया और कहा की उनकी बेटी पढ़ी लिखी नहीं और उसकी उम्र 15 वर्ष है. उन्होंने अपने दावे के पक्ष में उसका जन्म प्रेम पत्र कोर्ट को सौंपा.

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कोर्ट ने सुनाया ये फैसला

दो अलग-अलग दावों के बीच कोर्ट ने यह मामला जिले की बाल कल्याण समिति (सीडब्लूसी) के पास इनके दस्तावेजों के परीक्षण के लिए सौंप दिया, जहां बाल कल्याण समिति ने रुबीना के शैक्षिक दस्तावेजों में अंकित उसकी जन्मतिथि के आधार पर उसे बालिग करार देकर उसे अग्रिम कार्यवाही के लिए फिर से न्यायालय रेफर कर दिया. वहीं कोर्ट ने सीडब्लूसी द्वारा रुबीना को बालिग बताए जाने के बाद पुलिस को आदेश दिया कि रुबीना को स्वतंत्र रूप से उसकी इच्छा पर वह जहां जाना चाहे उसके पास भेजा जाए. इसके बाद रुबीना ने कोर्ट पर अपने ससुराल जाने की इच्छा प्रकट की, जिसपर कोर्ट ने उसे पुलिस अभिरक्षा में उसके ससुराल के परिजनों के पास भेजने का आदेश पारित किया.

क्या कहते हैं कोर्ट के विधि अधिकारी?

इस मामले में अभियोजन अधिकारी राजपति ने बताया कि पुलिस ने अभी मामले की विवेचना समाप्त नहीं की है और पुलिस इस मामले से जुड़े तमाम तथ्यों की अभी भी जांच कर रही. जिसमें रुबीना के अनुवांशिक पिता कल्लन द्वारा उसके शैक्षिक दस्तावेजों को गलत बताने की भी जांच शामिल है.

अभियोजन अधिकारी राजपति से जब ये सवाल किया गया कि जब उसका अनुवांशिक पिता उसका जन्म प्रमाण पत्र कोर्ट के समक्ष पेश कर रहा है, जिसमें वह नाबालिग है और वह मेडिकल जांच में भी नाबालिग साबित हुई है तो फिर वह बालिग कैसे हो सकती है? इस पर उन्होंने बताया कि जुविनाइल जस्टिस एक्ट धारा 94 के मुताबिक अगर लड़की पढ़ी लिखी है तो प्रथम दृष्टया उसके शैक्षिक अभिलेखों को ही सही माना जाएगा. जहां तक उसके पिता का कहना है कि उनकी लड़की पढ़ी लिखी नहीं है, तो पुलिस उनके इस दावे की विवेचना कर रही है और अगर शैक्षिक दस्तावेज फर्जी पाए गए तो जिन्होंने उसके शैक्षिक दस्तावेज कोर्ट पर दाखिल किए हैं उनके विरुद्ध कार्रवाई की जाएगी.

इस मामले में तमाम दावों के बीच फिलहाल रुबीना के प्रेम की नैतिक जीत हुई है. रुबीना को फिलहाल उसके ससुराल वालों के पास भेजा दिया गया है. वहीं जब रुबीना को उसके ससुर कन्हैया लाल को सौंपा गया तो रुबीना बेहद खुश नजर आई.

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