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पुलिस ने की थी 75000 रुपये की अवैध मांग?... परेशान होकर बाराबंकी में भीम आर्मी कार्यकर्ता अशोक कुमार ने दी अपनी जान!

सैयद रेहान मुस्तफा

उत्तर प्रदेश के बाराबंकी जिले के जैदपुर थाना क्षेत्र के मऊथरी गांव में भीम आर्मी के कार्यकर्ता अशोक कुमार ने कथित पुलिस और विपक्षियों के उत्पीड़न व ₹75,000 की अवैध मांग से परेशान होकर 1 अक्टूबर 2025 को फांसी लगाकर आत्महत्या कर ली.

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उत्तर प्रदेश के बाराबंकी जिले के मऊथरी गांव से एक हैरान कर देने वाला मामला सामने आया है. यहां खुद को भीम आर्मी का कार्यकर्ता बताने वाले एक मजदूर अशोक कुमार ने कथित तौर पर पुलिस और विपक्षियों के उत्पीड़न से परेशान होकर अपनी जान दे दी. मृतक के परिजनों का आरोप है कि थानाध्यक्ष जैदपुर और एक उपनिरीक्षक ने उनसे ₹75,000 की अवैध मांग की थी और रुपये न देने पर गंभीर धाराओं में फंसाने की धमकी दी.

मामूली विवाद से शुरू हुआ मामला

जानकारी के अनुसार, अशोक कुमार मजदूरी कर परिवार चलाते थे. 25 सितंबर 2025 को उनके और नौमी लाल के बीच पैसों के लेन-देन को लेकर विवाद हुआ. परिजनों का आरोप है कि इसके बाद विपक्षियों ने पुलिस की मिलीभगत से अशोक के खिलाफ गंभीर धाराओं में झूठा मुकदमा दर्ज करा दिया.  

परिवार ने बताया कि उसी रात विपक्षी अशोक के घर में घुस आए और उनके साथ मारपीट की साथ ही उनकी पत्नी के साथ अभद्र व्यवहार भी किया. अगले दिन जब पीड़िता थाने पहुंची तो पुलिस ने उनकी तहरीर लेने की बजाय अशोक को ही पकड़कर जेल भेज दिया.  

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मांगे जा रहे थे 75,000 रुपए 

जमानत पर छूटने के बाद जब अशोक ने उच्च अधिकारियों से शिकायत की तो थानाध्यक्ष और दरोगा निर्मल सिंह नाराज हो गए. परिवार का आरोप है कि उन्होंने अशोक से ₹75,000 की मांग की और रुपये न देने पर NDPS एक्ट जैसे गंभीर मामलों में फंसाने की धमकी दी.

बेटे ने कहा “पुलिस हमें थाने में मारती थी”

मृतक के बेटे रवि कुमार ने बताया कि “पुलिस अक्सर हमें थाने बुलाकर मारती थी और 75 हजार रुपये की मांग करती थी. मेरे पिता ने बार-बार कहा था कि वे गरीब हैं और इतने पैसे नहीं दे सकते. इसी मजबूरी और दबाव में उनके पिता ने आत्महत्या कर ली.”

मौत से पहले लिखा सुसाइड नोट

अशोक कुमार ने लगातार उत्पीड़न और दबाव से टूटकर 1 अक्टूबर 2025 की रात गांव के बाहर पेड़ से फांसी लगा ली. मरने से पहले उन्होंने व्हाट्सएप मैसेज और कागज पर अपनी मौत के लिए विपक्षी रामू, अरविंद, संतोष, इंस्पेक्टर और दरोगा निर्मल सिंह को जिम्मेदार ठहराया. सुसाइड नोट में उन्होंने स्पष्ट लिखा कि ''मेरी मौत के लिए पुलिस और विपक्षी लोग जिम्मेदार हैं, जिन्होंने बार-बार 75 हजार रुपये की मांग की और मुझे झूठे मुकदमे में फंसाने की धमकी दी. अशोक ने लिखा कि मैं भीम आर्मी का सदस्य हूं. मेरी मौत का जिम्मेदार पुलिस और दबंग लोग हैं.''

न्याय की गुहार

मृतक के बेटे ने पुलिस अधीक्षक बाराबंकी को प्रार्थनापत्र देकर मामले की निष्पक्ष जांच, दोषियों पर कड़ी कार्रवाई और परिवार को न्याय दिलाने की मांग की.

प्रशासन और राजनीतिक प्रतिक्रिया

पुलिस अधीक्षक अर्पित विजयवर्गीय ने कहा कि तहरीर मिली है और मामले की जांच जारी है. दोषियों को न्याय दिलाया जाएगा. कांग्रेस सांसद तनुज पुनिया ने मौके पर पहुंचकर निष्पक्ष जांच की मांग की और आरोपी पुलिसकर्मियों को हटाने की अपील की. भीम आर्मी के कार्यकर्ताओं ने आरोप लगाया कि पुलिस ने मृतक के सामने उसके बेटे को पीटा और ₹75,000 की मांग की, न देने पर गंभीर धाराओं में फंसाने की धमकी दी.

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