बांदा के प्रभात ओझा बने भारत सरकार में वैज्ञानिक, छात्रों को दिए ये जरूरी टिप्स

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उत्तर प्रदेश के बांदा में एक छोटे से गांव के रहने वाले एक युवक ने राष्ट्रीय सूचना विज्ञान केंद्र, इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय (NIC-IT) में वैज्ञानिक बन जिले सहित प्रदेश का नाम रोशन किया है. चयन से घर मे बधाइयां का तांता लगा हुआ है, परिवार के लोग ढोल नगाड़ों, फूल माला और मुंह मीठा करा युवक का स्वागत कर रहे हैं. वहीं होनहार युवक ने इस चयन को पैरेंट्स का आशीर्वाद बताया है.

बबेरू तहसील के तिलौसा गांव के रहने वाले प्रभात ओझा ने बताया, “मैं इस परीक्षा को पास करने के बाद बेहद खुश हूं, मेरी पूरे देश में 44वीं रैंक आई है. जो आईटी मंत्रालय, भारत सरकार के अधीन है. उसमें मैं साइंटिस्ट-बी के रूप में जॉइन करूंगा.”

प्रभात ने बताया,

“मेरी शुरूआती शिक्षा लखनऊ में हुई और बीटेक केंद्रीय विश्वविद्यालय से किया. इसके बाद गेट का एंजाम देकर आईआईटी गुवाहटी में चयन हुआ. उसी तैयारी को करते-करते मेरा रेलवे में इंजीनियर के पद पर सेलेक्शन हो गया था, जिसके बाद नौकरी में भी मैं वैकेंसी का वेट करता रहा और तैयारी करता रहा. 2020 में वैकेंसी आई, मैंने अप्लाई किया और परीक्षा पास कर अब वैज्ञानिक बना हूं. मुझे गर्व है, मैंने अपने पैरेंट्स का नाम रोशन किया है.”

प्रभात ओझा

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प्रभात ने अनुभव साझा करते हुए कहा कि सभी स्टूडेंट्स मेहनत से पढ़ाई करें, टेक्निकल चीजों को समझें, अपनी रुचि के मुताबिक ही लक्ष्य निर्धारित करें, जिससे टारगेट हासिल करने में मदद मिलेगी.

वहीं, दूसरी तरफ प्रभात के माता-पिता भी उनके वैज्ञानिक बनने से खुश हैं. उन्होंने कहा, “बच्चा शुरू से पढ़ने में तेज था, उसकी मेहनत का परिणाम है. दिन-रात पढ़ाई और मेहनत कर उसने ये मुकाम हासिल किया है.” आपको बता दें कि प्रभात के पिता समाज कल्याण विभाग में सचिव हैं और उनकी तैनाती उत्तराखंड में है.

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