सिख व्यापारी को BJP नेताओं ने मारा! इस मामले में क्यों आ रहा है सौम्या शुक्ला का नाम? कौन है ये

सिमर चावला

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Kanpur News: कानपुर में बीते दिनों सिख व्यापारी को भारतीय जनता पार्टी के नेता और कार्यकर्ताओं ने बेरहमी से पीटा था. इसके बाद आरोपी भाजपा नेता अंकित शुक्ला समेत आरोपी भाजपा कार्यकर्ता फरार हो गए थे. इस पूरे मामले में एक नाम खासा सुर्खियों में हैं. ये नाम है सौम्या शुक्ला का. बता दें कि सौम्या शुक्ला आरोपी भाजपा नेता अंकित शुक्ला की पत्नी हैं. सौम्या शुक्ला भी भारतीय जनता पार्टी की नेत्री हैं और कानपुर से पार्षद हैं.

बता दें कि सौम्या शुक्ला साउथ कानपुर के किदवई नगर इलाके से पार्षद हैं. इन्हें सतीश महाना गुट का करीबी माना जाता है. बताया जाता है कि सौम्या शुक्ला और उनके पति अंकित शुक्ला के सतीश महाना, उनके पी.ए और पूर्व पी.ए और भाजपा नेता राकेश तिवारी से अच्छे संबंध हैं. माना जाता है कि सौम्या शुक्ला को पार्षदी का टिकट भी महाना गुट की वजह से मिला था. 

घटना के दिन सौम्या भी थी मौजूद

आपको बता दें कि जिस दिन सिख व्यापारी के साथ मारपीट हुई, उस रात सौम्या शुक्ला अपने पति अंकित शुक्ला के साथ गाड़ी में मौजूद थी. इनके साथ कुछ भाजपा कार्यकर्ता भी थे. आरोप है कि इसी दौरान इनकी सिख व्यापारी से बहस हो गई और लड़ाई हो गई. आरोप है कि अंकित शुक्ला और उसके साथ मौजूद लोगों ने सिख व्यापारी को बेरहमी से मारा, जिससे उसकी एक आंख की रोशनी भी चली गई. घायल व्यापारी को एयर एंबुलेंस से कानपुर से नोएडा एनसीआर के अस्पताल में भर्ती करवाया गया है.  

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आपको ये भी बता दें कि इस केस में पहले पीड़ित पक्ष की तरफ से मांग की गई थी कि पुलिस सौम्या शुक्ला के खिलाफ भी पुलिस केस दर्ज करें. मगर पुलिस ने सौम्या शुक्ला के पति अंतिक शुक्ला और वहां मौजूद भाजपा कार्यकर्ताओं के खिलाफ केस दर्ज किया था. 

अब सभी आरोपियों ने किया सरेंडर

बता दें कि इस घटना के बाद आरोपी भाजपा नेता-कार्यकर्ता फरार हो गए थे. पुलिस ने सभी के ऊपर इनाम रख दिया था. मगर आज यानी शुक्रवार को सभी आरोपियों ने सरेंडर कर दिया है. सौम्या शुक्ला को इस मामले में आरोपी नहीं बनाया गया है.

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भाजपा के 2 गुट फिर आए आमने-सामने 

बता दें कि इस केस में जमकर सियासत भी हुई है. एक तरफ सतीश महाना गुट था तो दूसरी तरफ भाजपा सांसद सत्यदेव पचौरी का गुट था. महाना गुट जहां इस केस में पीड़ित पक्ष के खिलाफ केस दर्ज करवाने का प्रेशर बना रहा था तो दूसरी तरफ सत्यदेव गुट लगातार पीड़ित के साथ खड़ा था. इस केस में दोनों गुटों ने राजनीति की और अपने वोट बैंक को मजबूत किया है. 

बताया जा रहा है कि कानपुर पुलिस ने इस मामले को गंभीरता से लिया है और मामले की जांच कर आरोपियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की है. फिलहाल सभी फरार आरोपी सरेंडर कर चुके हैं.

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