कानपुर पुलिस ने मनोज कुमार की जगह मनोज पोरवाल को पकड़ा और कर दिया कोर्ट में पेश, फिर ये हुआ
Kanpur News: यूपी की कानपुर पुलिस मनोज कुमार और मनोज कुमार पोरवाल में ऐसी उलझी कि उसे कोर्ट की सख्ती झेलनी पड़ी. जानिए पूरा मामला.
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Kanpur News: कानपुर पुलिस की लापरवाही एक बार फिर सवालों के घेरे में है. बिजली चोरी के एक 19 साल पुराने मामले में पुलिस ने असली आरोपी की बजाय नाम की समानता के चलते एक दूसरे व्यक्ति को पकड़कर, उसे कोर्ट में पेश कर दिया. मामला सामने आने पर विशेष अदालत ने बजरिया थाने के इंस्पेक्टर से तीन दिन में जवाब तलब किया है.
क्या है पूरा मामला?
यह मामला केस्को बनाम मनोज कुमार शीर्षक से ईसी एक्ट की विशेष अदालत में साल 2006 से लंबित है. आरोप है कि सीसामऊ बाजार निवासी मनोज कुमार ने बिजली चोरी की थी, जिसके आधार पर उनके खिलाफ गैर-जमानती वारंट जारी किया गया था, लेकिन पुलिस ने इस वारंट के तहत गलती से गांधी नगर निवासी मनोज कुमार पोरवाल को गिरफ्तार कर कोर्ट में पेश कर दिया.
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कोर्ट में पेश होने पर मनोज पोरवाल ने आधार कार्ड और बैंक संबंधित दस्तावेज दिखाकर खुद को निर्दोष साबित किया. उन्होंने साबित कर दिया कि वह वो शख्स नहीं हैं, जिसको पुलिस की तलाश है. इसके बाद कोर्ट ने 20,000 रुपये के निजी मुचलके पर उन्हें रिहा कर दिया.
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कोर्ट पुलिस पर हो गया सख्त
कोर्ट ने इस चूक को गंभीर मानते हुए बजरिया थाना प्रभारी से तीन दिन में जवाब मांगा है कि आखिर कैसे बिना पूरी जांच के आरोपी की जगह दूसरे शख्स को कोर्ट लाया गया. इसके साथ ही कोर्ट ने असली आरोपी मनोज कुमार की गिरफ्तारी और उन्हें अदालत में पेश करने के निर्देश भी दिए है.
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पुलिस ने ये बताया
इस मामले में एसीपी सीसामऊ मंजय सिंह का कहना है की यह वही व्यक्ति है जो इस मामले में अभियुक्त था. मामला 2006 का है, जब इसका नाम मनोज कुमार लिखा जाता था. अब संभवत इसने नाम बदल लिया है. कोर्ट में इस व्यक्ति ने अपना नाम मनोज पोरवाल बता कर बचने की कोशिश की है. एसीपी ने ये भी साफ किया कि अभी तक कोई भी नोटिस थाने और एसीपी ऑफिस तक नहीं पहुंचा है.