UP चुनाव 2022: योगी के गढ़ गोरखपुर में पिछली बार जैसा प्रदर्शन दोहरा पाएगी BJP?
उत्तर प्रदेश का गोरखपुर जिला अपनी ऐतिहासिक और राजनीतिक विरासत की वजह से काफी अहम माना जाता है. कहा जाता है कि नाथ परंपरा के…
ADVERTISEMENT
उत्तर प्रदेश का गोरखपुर जिला अपनी ऐतिहासिक और राजनीतिक विरासत की वजह से काफी अहम माना जाता है. कहा जाता है कि नाथ परंपरा के संत साधक गुरु गोरक्षनाथ की साधना स्थली होने के कारण इसका नाम गोरखपुर पड़ा.
इस जिले में 2 लोकसभा क्षेत्र – गोरखपुर और बांसगांव – हैं, जबकि 9 विधानसभा क्षेत्र हैं. इस क्षेत्र के सामाजिक-राजनीतिक मामलों में गोरखधाम मठ का हमेशा से ही अच्छा-खासा प्रभाव रहा है.
इसी मठ के महंत अवैद्यनाथ (यूपी के मौजूदा मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के गुरु) ने 1998 में जब सक्रिय राजनीति से संन्यास लिया था, तब उन्होंने लोकसभा चुनाव के लिए योगी को अपना उत्तराधिकारी घोषित किया था. योगी गोरखपुर संसदीय सीट से 5 बार (1998-2017) सांसद रह चुके हैं.
बात विधानसभा चुनावों की करें तो 2017 के चुनाव में गोरखपुर जिले में भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) का दबदबा दिखा था. उस वक्त बीजेपी ने यहां की 8 सीटें जीती थीं, जबकि एक सीट बहुजन समाज पार्टी (बीएसपी) के खाते में गई थी. हालांकि, 2012 के विधानसभा चुनाव में इस जिले में किसी अकेली पार्टी का दबदबा नहीं रहा था. ऐसे में देखते हैं कि पिछले दो विधानसभा चुनावों में गोरखपुर जिले की सियासी तस्वीर किस तरह बदली है.
यह भी पढ़ें...
ADVERTISEMENT
1. कैम्पियरगंज
2017: कैम्पियरगंज सीट इस चुनाव में बीजेपी के खाते में गई थी. बीजेपी उम्मीदवार फतेह बहादुर ने कांग्रेस प्रत्याशी चिंता यादव को 32854 वोटों से हराया था.
2012: इस चुनाव में यहां एनसीपी उम्मीदवार फतेह बहादुर ने एसपी प्रत्याशी चिंता यादव को 8958 वोटों से हराया था.
ADVERTISEMENT
2. पिपराइच
2017: इस चुनाव में यहां बीजेपी उम्मीदवार महेंद्र पाल सिंह ने बीएसपी प्रत्याशी आफताब आलम उर्फ गुड्डू भैया को 12809 वोटों से हराया था.
2012: पिपराइच सीट पर इस चुनाव में एसपी प्रत्याशी राजमती ने बीएसपी उम्मीदवार जितेंद्र को 35635 वोटों से हराया था.
ADVERTISEMENT
3. गोरखपुर नगरीय
2017: इस चुनाव में गोरखपुर नगरीय सीट पर बीजेपी उम्मीदवार राधामोहन दास अग्रवाल ने कांग्रेस प्रत्याशी राना राहुल सिंह को 60730 वोटों से हराया था.
2012: गोरखपुर नगरीय सीट इस चुनाव में भी बीजेपी के खाते में गई थी. बीजेपी उम्मीदवार राधामोहन दास अग्रवाल ने एसपी प्रत्याशी राजकुमारी देवी को 47454 वोटों से हराया था.
4. गोरखपुर ग्रामीण
2017: गोरखपुर ग्रामीण सीट पर इस चुनाव में बीजेपी उम्मीदवार बिपिन सिंह की जीत हुई थी. उन्होंने एसपी प्रत्याशी विजय बहादुर यादव को 4410 वोटों से हराया था.
2012: इस चुनाव में यहां बीजेपी उम्मीदवार विजय बहादुर यादव ने एसपी प्रत्याशी जफर अमीन को हराया था. दोनों उम्मीदवारों को मिले वोटों का अंतर 16985 रहा था.
5. सहजनवा
2017: इस चुनाव में सहजनवा सीट पर बीजेपी प्रत्याशी शीतल पांडे ने एसपी उम्मीदवार यशपाल सिंह रावत को 15377 वोटों से हराया था.
2012: सहजनवा सीट पर इस चुनाव में बीएसपी प्रत्याशी राजेंद्र ने बीजेपी उम्मीदवार अश्विनी को 12691 वोटों से हराया था.
6. चौरी चौरा
2017: इस चुनाव में यहां बीजेपी प्रत्याशी संगीता यादव ने एसपी उम्मीदवार मनुरोजन यादव को 45660 वोटों से हराया था.
2012: चौरी चौरा सीट पर इस चुनाव में बीएसपी उम्मीदवार जयप्रकाश ने एसपी प्रत्याशी अनूप कुमार पांडे को 20601 वोटों से हराया था.
7. खजनी (एससी)
2017: इस चुनाव में खजनी सीट भी बीजेपी के खाते में गई थी. बीजेपी उम्मीदवार संत प्रसाद ने बीएसपी प्रत्याशी राजकुमार को 20079 वोटों से हराया था.
2012: खजनी सीट पर इस चुनाव में बीजेपी उम्मीदवार संत प्रसाद ने बीएसपी प्रत्याशी राम समुझ को 9436 वोटों से हराया था.
8. बांसगांव (एससी)
2017: इस चुनाव में बांसगांव सीट पर बीजेपी उम्मीदवार विमलेश पासवान ने बीएसपी प्रत्याशी धर्मेंद्र कुमार को 22873 वोटों से हराया था.
2012: बांसगांव सीट पर इस चुनाव में बीएसपी प्रत्याशी विजय कुमार ने एसपी उम्मीदवार शारदा देवी को 8346 वोटों से हराया था.
9. चिल्लूपार
2017: चिल्लूपार सीट पर इस चुनाव में बीएसपी प्रत्याशी विनय शंकर तिवारी ने बीजेपी उम्मीदवार राजेश त्रिपाठी को 3359 वोटों से हराया था.
2012: इस चुनाव में भी चिल्लूपार सीट बीएसपी के खाते में गई थी. बीएसपी उम्मीदवार राजेश त्रिपाठी ने एसपी प्रत्याशी सीपी चंद को 11153 वोटों से हराया था.
अब 2022 के विधानसभा चुनाव में यह देखना दिलचस्प होगा कि क्या बीजेपी यहां अपना दबदबा कायम रख पाती है या फिर बाजी किसी और के हाथ लगेगी.
मोदी सरकार ने कैंसिल किया विदेश दौरा और फिर अचानक बदली ‘किस्मत’, कहानी योगी आदित्यनाथ की
ADVERTISEMENT