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दरगाह आला हजरत उर्स के लिए बरेली से चलेंगी दो जोड़ी स्पेशल ट्रेन, टाइमिंग और शेड्यूल जान लीजिए

बरेली में दरगाह आला हजरत के सालाना उर्स का 18 से 20 अगस्त तक आयोजन हो रहा है. इस बार डीजे और चादर जुलूस पर रोक लगाई गई है. बता दें कि इज्जतनगर रेलवे मंडल ने यात्रियों के लिए दो जोड़ी स्पेशल ट्रेनें भी चलाई हैं.

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बरेली में दरगाह आला हजरत के उर्स का आगाज हो चुका है. यह आयोजन 18 अगस्त से शुरू होके 20 अगस्त तक चलेगा. जिला प्रशासन ने इस बड़े धार्मिक आयोजन को सफल और सुरक्षित रूप से संपन्न कराने के लिए हर सम्भव इंतजाम कर लिया है. बता दें कि देश-विदेश से लाखों श्रद्धालु इस अवसर पर दरगाह पर आते हैं इसलिए प्रशासन ने सुरक्षा, सफाई और स्वास्थ्य व्यवस्थाओं को दुरुस्त किया है ताकि सभी जायरीन को कोई परेशानी न हो.

रेलवे ने चलाई दो जोड़ी स्पेशल ट्रेनें

बता दें कि इज्जतनगर रेलवे मंडल ने भी उर्स के दौरान यात्रियों की सुविधा को ध्यान में रखते हुए दो जोड़ी स्पेशल ट्रेनें चलाने का निर्णय लिया है. ट्रेन नंबर 05311/05312 बरेली सिटी-लालकुआं-बरेली सिटी और 06501/06502 बरेली सिटी-पीलीभीत-बरेली सिटी के बीच 18 से 20 अगस्त तक तीन-तीन फेरों में ट्रेनें चलेंगी. इन ट्रेनों से यात्रियों को बड़े पैमाने पर सफर करने में आसानी होगी. खासतौर पर 05311 ट्रेन दोपहर 3:50 बजे बरेली सिटी से रवाना होकर शाम 6 बजे लालकुआं पहुंचेगी जबकि वापसी की ट्रेन 8:15 बजे लालकुआं से बरेली लौटेगी.

डीजे और चादर जुलूस पर लगी रोक

इस बार उर्स में एक बड़ी सामाजिक पहल भी देखने को मिली है. दरगाह के सज्जादानशीन मुफ्ती अहसान मियां ने घोषणा की है कि इस बार डीजे, शोरगुल और चादर जुलूस जैसी परंपरागत लेकिन महंगी रस्मों पर पूरी तरह प्रतिबंध रहेगा. दरगाह के मीडिया प्रभारी नासिर कुरैशी ने बताया कि ये खर्चे अब फिजूलखर्ची माने जाएंगे और इन पैसों का उपयोग जरूरतमंदों की मदद, बीमारों की दवा खरीदने और गरीब बच्चों की शिक्षा में किया जाएगा.

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जायरीन और राजनेताओं की होगी भीड़

उर्स के दौरान देश-विदेश से भारी संख्या में श्रद्धालु बरेली पहुंचते हैं. कई प्रमुख राजनेता भी इस मौके पर दरगाह में चादर पेश करते हैं. इस बार भी रेलवे और जिला प्रशासन ने यात्रियों की सुविधा के लिए विशेष इंतजाम किए हैं. सुरक्षा कर्मियों की तैनाती बढ़ाई गई है और यातायात प्रबंधन को प्रभावी बनाया गया है. इसके अलावा स्वास्थ्य सेवाओं को भी पूरी तरह सुसज्जित रखा गया है.

समाज को जागरूक करने वाला धार्मिक संदेश

दरगाह की इस पहल से न सिर्फ धार्मिक क्षेत्र में बल्कि सामाजिक जीवन में भी एक नई मिसाल कायम होगी. कमेटी के सदस्यों का कहना है कि धार्मिक आस्था का असली मतलब इंसान की सेवा करना है. फिजूलखर्ची की बजाय जरूरतमंदों की मदद करने से समाज में एक सकारात्मक बदलाव आएगा. फूल बरसाने जैसे आयोजनों पर खर्च को भी गरीबों और असहाय लोगों की सहायता में लगाया जाएगा. 

मानव सेवा है धर्म की नई दिशा

दरगाह आला हजरत की ओर से यह स्पष्ट संदेश दिया गया है कि “मानव सेवा ही सबसे बड़ा धर्म है.” इस बार का उर्स धार्मिक आयोजनों में नई दिशा दिखाने वाला साबित होगा. श्रद्धालु भी इस बदलाव को स्वीकार कर रहे हैं और उन्होंने फिजूलखर्ची से बचने का संकल्प लिया है. इस पहल से समाज में नई जागरूकता आएगी और धार्मिक आयोजनों का स्वरूप अधिक सार्थक और सहानुभूतिपूर्ण होगा.

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