वक्फ बिल पर अयोध्या मस्जिद बनाने वाली संस्था के सचिव ने कही विस्फोटक बात, सरकार को जमकर घेरा
अयोध्या मस्जिद बनाने वाली संस्था के सचिव ने वक्फ बिल पर विस्फोटक बयान देते हुए सरकार को जमकर घेरा। जानें इस विवाद की पूरी जानकारी
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Ayodhya News: उत्तर प्रदेश के अयोध्या में राम मंदिर जन्मभूमि मामले में सुप्रीम कोर्ट के निर्देश पर धुन्नीपुर इलाके में 5 एकड़ जमीन पर इंडो इस्लामिक कल्चरल फाउंडेशन के द्वारा मस्जिद बनवाई जा रही. वहीं, इस संसथ के सचिव अतहर हुसैन का वक्फ संपत्तियों को लेकर लाए संशोधनों पर प्रतिक्रिया सामने आई है. बता दें कि अतहर हुसैन ने इन संशोधनों पर एतराज जताया है.
अतहर हुसैन ने कहा, "हिंदुस्तान आज दुनिया की सबसे वाइब्रेंट डेमोक्रेसी है. वक्फ वह संपत्ति होती है जिसे लोग मुस्लिम समाज के लिए दान करते हैं. हमारी वक्फ की संपत्तियों की जो बाजरू कीमत बताई गई, वह बतौर मुस्लिम मुझे देख पहुंचा रही है, क्योंकि उसमें हमारी मस्जिद हैं, इबादत गाह हैं. ऐसा किसी दूसरे समाज में नहीं देखा, किसी दूसरे समाज की प्रॉपर्टी के बारे में चर्चा हो. हमारी इबादतगाहों, कब्रिस्तान इन सबको लाखों लाख करोड़ बताकर क्या मैसेज दिया जा रहा है?"
उन्होंने कहा, "हर संपत्ति में विवाद होते हैं. अगर हमारी लाखो करोड़ की संपत्ति है तो उसमें विवाद होंगे. लेकिन इनमें हमारे कब्रिस्तानों, मस्जिदों की कीमत आंकना यह नाइंसाफी है. यही काम अगर मुस्लिम समाज को सामने बैठ कर किया गया होता तो बेहतर होता. NDA के दलों ने भी इस पर ऐतराज जताया है. लोकतंत्र में जनता की राय पर निर्णय लिया जाता है. अब जो समाज की बेहतरी के लिए यह बिल लाए, मुस्लिम समाज की जो शंका है उसे जेपीसी के जरिए दूर करने की उम्मीद है. पौने तीन लाख करोड़ की जो वक्फ की संपत्ति बताई जा रही है उसमें ढाई लाख करोड़ कीमत की तो यही मस्जिद कब्रिस्तान और इबादतगाह की कीमत होगी."
अतहर हुसैन ने कहा, "9 नवंबर 2004 को राम मंदिर को लेकर सबसे बड़ा जजमेंट आया. सिविल सूट के तौर पर यह मामला चल रहा था. उत्तर प्रदेश सुन्नी वक्फ बोर्ड इसमें सिविल सूट लड़ रहा था. सिविल सूट का सेटलमेंट हुआ. यह सामने उदाहरण है, कैसे वक्फ के मामले में सिविल सूट की प्रक्रिया होती है."
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उन्होंने आगे कहा, "वक्फ बोर्ड को ही मस्जिद के लिए पांच एकड़ जमीन सुप्रीम कोर्ट के निर्देश पर दी गई. वक्फ में गड़बड़ियां तब होती है जब परिवार की तरफ से उस संपत्ति का एक मुतवल्ली या मैनेजर तय हो जाता है. फिर जब एक दो के बाद परिवार में बंटवारे होते हैं तो उस मतवली को लेकर विवाद खड़ा होता है. मुतवल्ली को तय करने को लेकर एक स्पष्ट निर्देश होना चाहिए."
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