क्या है साल 1990 में हुआ आगरा का पनवारी कांड? जिसमें 34 साल बाद आया फैसला और 36 लोग हुए दोषी करार

अरविंद शर्मा

उत्तर प्रदेश में आगरा के चर्चित पनवारी कांड में 34 साल बाद कोर्ट ने 36 लोगों को दोषी करार दिया है. ये फैसला एससीएसटी कोर्ट ने सबूतों और गवाहों की सुनवाई के बाद सुनाया है.

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उत्तर प्रदेश में आगरा के चर्चित पनवारी कांड में 34 साल बाद कोर्ट ने 36 लोगों को दोषी करार दिया है. ये फैसला एससीएसटी कोर्ट ने सबूतों और गवाहों की सुनवाई के बाद सुनाया है. वहीं इस मामले में 15 लोगों को बरी कर दिया गया है. अदालत में तीन आरोपी फरार रहे हैं जिनके खिलाफ गैर जमानती वारंट अदालत ने जारी किए गए हैं. 

मुकदमे में 31 गवाहों की गवाही अदालत में हुई थी. अदालत ने दोष सिद्ध करने के बाद 32 अभियुक्तों को जेल भेज दिया है. घटना में एक नाबालिक का नाम भी दर्ज किया गया था जिसका मुकदमा जुवेनाइल कोर्ट में चल रहा है.  बता दें कि इस मामले में कुल 80 लोगों के खिलाफ चार्जशीट दाखिल हुई थी. इनमें से 27 की मौत हो चुकी है और 53 जीवित थे. तीन आरोपी अदालत में हाजिर नहीं हुए, जिनके खिलाफ एनबीडब्लू जारी किया गया है. कोर्ट ने आईपीसी की धारा 148, 149, 323, 144, 325, 452, 436, 427, 504, 395 IPC एवं 3/2/5 SC ST Act के तहत मुकदमा दर्ज किया था. 

घटना के समय आगरा के कागारौल थाने में मुकदमा दर्ज किया गया था. तत्कालीन एसओ ओमवीर सिंह राणा ने एक राहगीर की सूचना पर एफआईआर कराई थी. अब तक इस मामले में 35 गवाहों के बयान दर्ज हुए हैं.

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क्या था पनवारी कांड?

यह मामला 21 जून 1990 का है जब आगरा के सिकंदरा थाना क्षेत्र के गांव पनवारी में जाटव समाज की बेटी की बारात पहुंची थी. आरोप है कि जाट समुदाय के लोगों ने बारात को अपने घर के सामने से गुजरने नहीं दिया. इसे लेकर विवाद इतना बढ़ा कि मामला जातीय दंगे में बदल गया. तनाव बढ़ते ही आगरा शहर में हिंसा भड़क गई और जाटव समाज के कई घर जला दिए गए. हालात काबू से बाहर हो गए जिसके बाद शहर में कर्फ्यू लगा दिया गया. इस घटना की राजनीतिक प्रतिक्रिया भी हुई.
  

पनवारी कांड में पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी आगरा आए थे. राजीव गांधी उसी समय पीड़ितों से मिले थे. आगरा लोकसभा से उस समय अजय सिंह सांसद थे जो केंद्र सरकार में रेल उप मंत्री भी थे. अजय सिंह ने जातीय दंगे को निपटने के लिए दोनों तरफ गहरी शिरकत की थी.

 

 22 जून 1990 को सिकंदरा थाने में तत्कालीन थानाध्यक्ष ने 6,000 अज्ञात लोगों के खिलाफ बलवा, जानलेवा हमला, एससीएसटी एक्ट व अन्य धाराओं में मुकदमा दर्ज कराया था. लेकिन मौके से कोई गिरफ्तारी नहीं हो पाई थी.पनवारी कांड के एक मुकदमे में भाजपा विधायक चौधरी बाबूलाल भी आरोपी थे, जिन्हें 2022 में एमपी एमएलए अदालत से बरी कर दिया गया था.

 

अब आगे क्या?

कोर्ट ने दोषियों के खिलाफ 30 मई को सजा सुनाने की तारीख तय की है। देखना होगा कि जिन पर 34 साल बाद दोष सिद्ध हुआ है, उन्हें कोर्ट किस सख्ती से सजा देता है.  

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