ताजमहल के बंद 22 कमरों के छिपे हैं ऐसे राज जिसे शायद ही कोई जानता होगा, चौंका देगा हर दरवाजे के पीछे का रहस्य

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आगरा का ताजमहल प्यार की निशानी और दुनिया के सात अजूबों में शुमार है. ताजमहल का निर्माण शाहजहां ने अपनी पत्नी मुमताज की याद में कराया था.

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आगरा का ताजमहल प्यार की निशानी और दुनिया के सात अजूबों में शुमार है. ताजमहल का निर्माण शाहजहां ने अपनी पत्नी मुमताज की याद में कराया था. मगर क्या आप जानते हैं कि ताजमहल अपनी खूबसूरती के साथ-साथ कई रहस्यों को भी अपने आगोश में समेटे हुए है.  इनमें सबसे बड़ा रहस्य है इसके 22 बंद कमरों का जो सदियों से बंद हैं. 

आगरा में स्थित ताजमहल को मुगल बादशाह शाहजहां ने अपनी बेपनाह मोहब्बत मुमताज महल की याद में बनवाया था. 1632 में शुरू हुआ इसका निर्माण 1653 तक चला. यह स्मारक भारतीय, फारसी, तुर्क, और इस्लामी वास्तुकला का अनूठा संगम है. इसका मुख्य मकबरा सफेद संगमरमर से बना है. इसकी बारीक नक्काशी हर किसी को मंत्रमुग्ध कर देती है.ताजमहल की चमकदार सफेद संगमरमर की संरचना इसे दुनिया भर में प्रसिद्ध बनाती है. इस स्मारक के निर्माण में 28 प्रकार के कीमती पत्थरों का उपयोग किया गया, जो राजस्थान, बगदाद, अफगानिस्तान, तिब्बत, मिश्र, रूस, और ईरान जैसे स्थानों से मंगवाए गए थे. संगमरमर की चमक सूरज की रोशनी में और भी निखरती है, जिससे ताजमहल चांदनी रात में भी चमकता प्रतीत होता है.

क्या है बंद कमरों का राज

बता दें कि ताजमहल के मुख्य मकबरे के नीचे 22 कमरे हैं जिनका दीदार अभी तक कोई नहीं कर पाया है. इतिहासकारों की मानें तो ये कमरे आखिरी बार 1934 में खोले गए थे. ताजमहल की पहली मंजिल पर भी कई कमरे हैं, लेकिन इस तरफ जाने वाली दो सीढ़ियां शाहजहां के वक्त से बंद हैं.कुछ वक्त पहले भारतीय पुरातत्व विभाग ने इन बंद कमरों की दो तस्वीरें जारी की थीं. ऐसी अटकलें हैं कि इन बंद कमरों में सोने-चांदी के छिपे हुए खजाने मौजूद हैं. इसके अलावा प्राचीन मुगल दस्तावेज और अन्य कलाकृतियां भी हैं. वहीं कई इतिहासकार कहते हैं कि इन बंद कमरों में तमाम हिंदू मूर्तियां और शिलालेख मौजूद हैं. इसको खोलने को लेकर जनहित याचिका दर्ज की गई थी, जिसको इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच ने ठुकरा दिया था.

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मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक,ताजमहल के निर्माण में लगभग 20,000 कारीगरों ने काम किया, जिनमें शिल्पकार, संगतराश, वास्तुकार, कढ़ाईकार और कलाकार शामिल थे. इसे डिजाइन किया था उस्ताद अहमद लाहौरी ने, जो शाहजहां के दरबार के प्रमुख वास्तुकार थे .

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