लोकसभा चुनाव से पहले यूपी की सभी सीटों का सर्वे, ये एक बात अखिलेश यादव पर पड़ सकती है भारी!
लोकसभा चुनाव को देखते हुए देश और उत्तर प्रदेश का सियासी पारा चढ़ गया है. सभी राजनीतिक दलों ने कमर कस के सियासी रणनीतियां बनानी शुरू कर दी हैं. लेटेस्ट सर्वे में यूपी में कौन है आगे? जानिए...
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UP Latest Opinion Pol News: लोकसभा चुनाव को देखते हुए देश और उत्तर प्रदेश का सियासी पारा चढ़ गया है. सभी राजनीतिक दलों ने कमर कस के सियासी रणनीतियां बनानी शुरू कर दी हैं. यूपी की बात की जाए तो यहां मुख्य मुकाबला भारतीय जनता पार्टी नीत NDA और समाजवादी पार्टी के नेतृत्व वाले गठबंधन Indian National Developmental Inclusive Alliance के बीच ही है. दूसरी तरफ बहुजन समाज पार्टी (BSP) की मुखिया मायावती ने अकेले चुनाव लड़ने का ऐलान किया है.
लोगों के मन में इस वक्त सबसे बड़ा सवाल यही है कि आगमी चुनाव में किस पार्टी को यूपी में कितनी सीटें मिलेंगी. वहीं, उत्तर प्रदेश का सियासी माहौल जानने के लिए ZEE NEWS और MATRIZE ने अपने ओपिनियन पोल के आंकड़े सार्वजनिक किए हैं. यह ओपिनियन पोल 5 फरवरी से 27 फरवरी के बीच किया गया था. खबर में आगे जानिए इस ओपिनियन पोल से क्या-क्या पता चला है.
अभी चुनाव हुए तो किसे कितनी सीट
आपको बता दें कि ZEE NEWS और MATRIZE के ओपिनियन पोल से यूपी में विपक्ष को जोरदार झटका लगता हुआ दिख रहा है. दूसरी तरफ यहां NDA की बल्ले-बल्ले हो रही है. इस ओपिनियन पोल में NDA को आगामी लोकसभा चुनाव में 80 में 78 सीटें जीतने का अनुमान जताया गया है. वहीं, INDIA (सपा-कांग्रेस) को महज 2 सीटें जीतने की बात सामने आई है. सबसे बड़ा झटका मायावती की बसपा को लगा है. ओपिनियन पोल के अनुसार, आगामी चुनाव में बसपा को एक भी सीट नहीं जीतने का अनुमान है.
किसको मिल रहे कितने % वोट?
सर्वे के मुताबिक, यूपी में NDA को 58 फीसदी, INDIA को 32 फीसदी, बसपा को 8 प्रतिशत और अन्य को 2 फीसदी वोट मिलने का अनुमान लगाया है.
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अखिलेश के लिए ये बातें हैं परेशानी का सबब!
इस सर्वे से पता चला है कि 28% लोगों का मानना है कि कल्याणकारी योजनाओं की वजह से प्रधानमंत्री मोदी लोकप्रिय हैं. 20% लोगों ने राम मंदिर निर्माण को पीएम मोदी की लोकप्रियता की वजह बताया है. वहीं, 10% लोग राष्ट्रवाद का मुद्दा पीएम मोदी की लोकप्रियता का कारण मानते हैं. यही तीन वजह उत्तर प्रदेश में सपा चीफ अखिलेश के लिए परेशानी का सबब बन सकती हैं. अब देखना यह दिलचस्प होगा कि अखिलेश किस रणनीति के साथ इन चुनौतियों का सामना करते हैं.
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