कभी नरेंद्र गिरि के दुलारे शिष्य थे, आज जेल में आनंद गिरि, क्या था विवाद, इनसाइड स्टोरी

संतोष शर्मा

ADVERTISEMENT

UPTAK
social share
google news

अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष महंत नरेंद्र गिरि की मौत हत्या है या आत्महत्या, इस सवाल का जवाब तलाशने के लिए योगी ने सरकार सीबीआई जांच की सिफारिश कर दी. वहीं, इस रिपोर्ट में आप महंत नरेंद्र गिरि के शिष्य आनंद गिरि, बाघंबरी गद्दी के पास मौजूद अरबों की संपत्ति, गौशाला में बनने वाले पेट्रोल पंप और गुरु-शिष्य के बीच हुए विवाद के बारे में विस्तार से पढ़ सकेंगे.

प्रयागराज के नगर देवता कहे जाने वाले लेटे हनुमान मंदिर या बड़े हनुमान मंदिर की मान्यता देश दुनिया में है. उस बड़े हनुमान मंदिर से ही आनंद गिरि ने अपने सपनों को साकार करना शुरू किया था. बचपन से ही नरेंद्र गिरि के साथ रहने वाले आनंद गिरि ने गुरु का इतना भरोसा जीत लिया कि महंत नरेंद्र गिरि ने बड़े हनुमान मंदिर की पूजा अर्चना से लेकर पूरी देखरेख की जिम्मेदारी आनंद गिरि को सौंप दी थी. आनंद गिरि ने शुरुआती दिनों में बतौर मुख्य पुजारी बड़े हनुमान मंदिर में पूजा अर्चना भी की और मंदिर में आने वाले चढ़ावे का हिसाब रखना शुरू कर दिया. प्रयागराज में जब भी कोई नेता या अफसर आता तो वह बड़े हनुमान मंदिर दर्शन करने जरूर जाता, यहीं से आनंद गिरि के संपर्क में ताकत और रसूख बढ़ी.

किन कारणों से नरेंद्र गिरि और आनंद गिरि के बीच शुरू हुआ विवाद?

धीरे-धीरे आनंद गिरि ने बड़े हनुमान मंदिर की पूरी जिम्मेदारी ले ली और यहीं पर आनंद गिरि की दोस्ती आद्या तिवारी के बेटे संदीप तिवारी से हुई. आनंद गिरि ने आद्या तिवारी को बड़े हनुमान मंदिर का पुजारी बनाया तो गुरू नरेंद्र गिरि ने एतराज भी नहीं जताया. आनंद गिरि और संदीप तिवारी के बीच दोस्ती बढ़ी, तमाम रसूखदार-ताकतवर लोगों से संपर्क बढ़ा तो बाघंबरी गद्दी के पास मौजूद करोड़ों रुपए की संपत्ति और पूर्व में बेची जा चुकी संपत्ति से जुड़ी जानकारियां आनंद गिरि को मिलने लगीं. कहते हैं यहीं से गुरु और शिष्य के रिश्तों में गांठ पड़ना शुरू हुई. बाद में आद्या और संदीप तिवारी आनंद गिरि के ज्यादा वफादार हो गए.

ऐसे आरोप हैं कि महंत नरेंद्र गिरि ने बाघंबरी गद्दी के आसपास की करीब आधा किलो मीटर की जमीन बिल्डर और नेताओं को बेची थी. स्थानीय लोगों की मानें तो गुरु शिष्य के बीच झगड़े का कारण महंत नरेंद्र गिरि द्वारा बेची गई यही अरबों की प्रॉपर्टी थी.

यह भी पढ़ें...

ADVERTISEMENT

बाघंबरी गद्दी के पास पीढ़ियों से रहने वाले हाई कोर्ट के अधिवक्ता उमेश चंद्र मिश्रा ने बताया कि महंत नरेंद्र गिरि और आनंद गिरि के बीच झगड़े की असल वजह संपत्ति है. उन्होंने आरोप लगाया कि महंत नरेंद्र गिरि ने अरबों की संपत्ति बेच दी थी.

2 साल पहले शुरू हुआ था गुरु-शिष्य के बीच विवाद

गुरु और शिष्य के बीच हालिया विवाद 2 साल पहले का बताया जा रहा है. कहते हैं कि बाघंबरी गद्दी की गौशाला वाली जमीन पर आनंद गिरि की पेट्रोल पंप को लेकर बात हुई थी. पेट्रोल पंप कंपनी को जमीन लीज पर दी जाने वाली थी, लेकिन अचानक गुरु नरेंद्र गिरि ने पेट्रोल पंप खोलने से ही मना कर दिया.

पेट्रोल पंप के लिए जमीन न देने पर महंत नरेंद्र गिरि और शिष्य आनंद गिरि के रिश्तों में खटास आ गई. आनंद गिरि ने प्रयागराज जिला प्रशासन से लेकर मुख्यमंत्री और प्रधानमंत्री तक बाघंबरी गद्दी के नाम की जमीन को बेचने की शिकायत कर दी.

ADVERTISEMENT

यूपी पुलिस के रिटायर्ड डीजी ने भी नरेंद्र गिरि पर लगाया था आरोप

आपको बता दें कि महंत नरेंद्र गिरि पर जमीनों को बेचने का आरोप यूपी पुलिस के रिटायर्ड डीजी आर.एन. सिंह ने भी लगाया था. 2006 में आईजी रेलवे रहते हुए आर.एन. सिंह ने बेवजह मठ की जमीन बेचने का विरोध भी किया था. आर.एन. सिंह कहते हैं कि साल 2008 में जब नरेंद्र गिरि बड़े हनुमान मंदिर और मठ से जुड़ी जमीनों को बेच रहे थे तो संगम क्षेत्र के रहने वाले श्रमदानियों ने इसके विरोध में मंदिर में ही हनुमान जी के सामने प्रार्थना करनी शुरू की थी.

2 साल पहले जब आनंद गिरि ने गुरु नरेंद्र गिरि पर जमीनों को बेचने का आरोप लगाया था तब नरेंद्र गिरि ने शिष्य को निरंजनी अखाड़ा से निष्कासित कर दिया था. इसके अलावा, बाघंबरी गद्दी और हनुमान मंदिर में भी आनंद गिरि का प्रवेश वर्जित कर दिया गया था.

ADVERTISEMENT

गुरु पूर्णिमा के दिन 26 मई 2021 को गुरु शिष्य के बीच समझौता हो गया. आनंद गिरि ने अपने आरोपों को वापस लेते हुए गुरु नरेंद्र गिरि के पैर पकड़ कर माफी मांगी. इसके बाद नरेंद्र गिरि ने भी मंदिर में प्रवेश पर लगाई रोक हटा ली और गुरु पूर्णिमा पर बाघंबरी गद्दी में आने की अनुमति दे दी.

आपको बता दें कि आनंद गिरि ने अब अपना दूसरा ठिकाना हरिद्वार में बना लिया है. हरिद्वार में रहकर आनंद गिरि ने उन संतो का साथ लेना शुरू किया जिनका महंत नरेंद्र गिरि से मनभेद या मतभेद था. इतना ही नहीं आनंद गिरि ने अंतर्राष्ट्रीय युवा संत नाम से भी एक संस्था बनाई है.

गौरतलब है कि 20 सितंबर को महंत नरेंद्र गिरि अपने कमरे में मृत मिले थे. पुलिस ने अब तक इस मामले में उनके शिष्य आनंद गिरि, आद्या तिवारी और संदीप तिवारी को गिरफ्तार कर जेल भेज दिया है. बुधवार, 22 सितंबर को आनंद गिरि और आद्या तिवारी को कोर्ट में पेश किया गया. इसके बाद कोर्ट ने दोनों को 14 दिन के लिए न्यायिक हिरासत में भेज दिया था. वहीं, योगी सरकार की सिफारिश के बाद अब इस मामले की जांच सीबीआई की टीम कर रही है. आपको बता दें कि इस मामले में सीबीआई ने एफआईआर दर्ज कर ली है और इसके 6 अफसर प्रकरण की जांच करेंगे.

नरेंद्र गिरि मौत केस: CBI ने दर्ज की FIR, जानें महंत के कॉल रिकॉर्ड से मिली क्या जानकारी

    Main news
    follow whatsapp

    ADVERTISEMENT