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17 साल के आदर्श उपाध्याय को बस्ती में पुलिस ने पीट-पीटकर मार डाला! आखिर क्यों किया इतना टॉर्चर?

संतोष सिंह

उत्तर प्रदेश के बस्ती जिले में पुलिस हिरासत में नाबालिग की मौत. परिजनों ने लगाया थर्ड डिग्री टॉर्चर का आरोप. सरकार के 'सेवा, सुरक्षा और सुशासन' के दावे पर उठे सवाल.

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Basti Crime News: उत्तर प्रदेश सरकार जब अपने आठ साल पूरे होने का जश्न मना रही थी और इसे 'सेवा, सुरक्षा और सुशासन दिवस' के रूप में प्रचारित कर रही थी, ठीक उसी दिन प्रदेश के बस्ती जिले में पुलिस की क्रूरता की एक भयावह तस्वीर सामने आई. आरोप है की यहां दो पुलिसकर्मियों ने मामूली विवाद के चलते एक नाबालिग युवक को हिरासत में लिया और उसे इस कदर प्रताड़ित किया कि उसकी मौत हो गई. पुलिसकर्मियों ने पीड़ित के परिजनों से कथित तौर पर 5000 रुपये की मांग की थी और जब परिवार ने पैसे नहीं दिए, तो थर्ड डिग्री टॉर्चर दिया गया. 

कैसे हुई घटना?

यह मामला बस्ती जिले के दुबौलिया थाना क्षेत्र के उभाई गांव का है. यहां 17 वर्षीय आदर्श उपाध्याय सोमवार को गांव में स्थित एक दुकान से खैनी खरीदने गया था, जहां उसका कुछ लोगों से मामूली विवाद हो गया. इसी दौरान मौके पर पहुंची पुलिस ने उसे पकड़ लिया और थाने ले गई. परिजनों के अनुसार, पुलिसकर्मियों ने पूरी रात नाबालिग पर थर्ड डिग्री का इस्तेमाल किया. अगले दिन सुबह भी उसे बेरहमी से पीटा गया, जिससे उसके मुंह से खून निकलने लगा.

जब आदर्श की तबीयत गंभीर रूप से बिगड़ गई, तो आरोपी पुलिसकर्मियों ने उसे घर के बाहर छोड़ दिया और वहां से भाग निकले. परिवार ने जब उसकी हालत देखी, तो उसे तुरंत अस्पताल ले जाया गया, लेकिन डॉक्टरों ने जिला अस्पताल रेफर कर दिया. जिला अस्पताल पहुंचने से पहले ही आदर्श की मौत हो गई. 

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गुस्साए परिजनों ने किया प्रदर्शन

युवक की मौत के बाद परिजनों और गांव वालों में भारी आक्रोश फैल गया. सैकड़ों की संख्या में लोग अस्पताल के बाहर जमा हो गए और पुलिस के खिलाफ विरोध प्रदर्शन करने लगे. मृतक के परिवार ने आरोप लगाया कि पुलिस ने रिश्वत नहीं मिलने पर आदर्श को बेरहमी से पीटा, जिससे उसकी मौत हो गई. 

घटना की सूचना मिलते ही पुलिस और प्रशासन के आला अधिकारी मौके पर पहुंचे. स्थिति को संभालने के लिए कई थानों की पुलिस फोर्स और दो डीएसपी घटनास्थल पर आए. डीएसपी सत्येंद्र भूषण तिवारी ने बताया कि प्रथम दृष्टया दोषी पाए गए दोनों पुलिसकर्मियों को तत्काल निलंबित कर दिया गया है. साथ ही, शव को पोस्टमॉर्टम के लिए भेज दिया गया है. रिपोर्ट आने के बाद आगे की कानूनी कार्रवाई की जाएगी.

 

 

इस घटना ने प्रदेश की कानून व्यवस्था पर एक बार फिर सवाल खड़े कर दिए हैं.  विपक्षी दलों ने योगी सरकार पर निशाना साधते हुए कहा कि जब सरकार अपनी उपलब्धियों का बखान कर रही थी, उसी दौरान बस्ती पुलिस ने उसकी 'सेवा, सुरक्षा और सुशासन' के दावों की पोल खोल दी. सुभासपा के विधायक दुधराम ने दो दिन पहले ही सरकार पर भ्रष्टाचार का आरोप लगाते हुए कहा था कि "जो काम पहले 500 में होता था, अब 5000 में हो रहा है." इस घटना ने उनके दावे को और मजबूती दे दी है. 

क्या आगे होगा?

पुलिस हिरासत में हुई इस मौत के बाद पूरे इलाके में तनाव व्याप्त है. स्थानीय प्रशासन इस मामले को शांत करने में जुटा है, लेकिन जनता का आक्रोश थमने का नाम नहीं ले रहा. सरकार और पुलिस प्रशासन को यह सुनिश्चित करना होगा कि दोषी पुलिसकर्मियों पर सख्त कार्रवाई हो और भविष्य में ऐसी घटनाएं दोबारा न हों. 

 

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