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पहलगाम के नाम पर आया बरेली में फोन और गुलशन फंस जातीं उससे पहले ही खुल गया पूरा मामला

बरेली में रिटायर्ड बैंककर्मी महिला को साइबर ठगों ने व्हाट्सएप कॉल पर खुद को पुलिस अधिकारी बताकर 'डिजिटल अरेस्ट' में फंसा लिया. तीन दिन तक महिला को डरा-धमकाकर मनी लॉन्ड्रिंग केस में फंसाने की कोशिश की गई. समय रहते पुलिस की सतर्कता से महिला को बचा लिया गया.

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Bareilly Digital Arrest Case: उत्तर प्रदेश के बरेली से एक बार फिर 'डिजिटल अरेस्ट' का चौंकाने वाला मामला सामने आया है. बता दें कि यहां साइबर ठगों ने इस बार एक रिटायर्ड बैंककर्मी महिला को अपना शिकार बनाने की कोशिश की है. ठगों ने तीन दिन तक महिला को मानसिक रूप से प्रताड़ित किया और उसे किसी से बात न करने की धमकी देकर डराया. हालांकि समय रहते पुलिस की सतर्कता और तत्परता से महिला को सुरक्षित बचा लिया गया है. आपको बता दें कि यह घटना बरेली के थाना प्रेम नगर क्षेत्र के एकता नगर इलाके की है. यहां रहने वाली गुलशन कुमारी बैंक ऑफ बड़ौदा से रिटायर्ड हैं. गुलशन साइबर ठगी का शिकार होने से बाल-बाल बच गईं. क्या है पूरा मामला आगे खबर में जानिए. 

डिजिटल अरेस्ट के जाल में फंसी रिटायर्ड महिला

गुलशन कुमारी ने बताया कि उन्हें 11 अगस्त को एक अज्ञात व्हाट्सएप कॉल आया था जिसमें खुद को पहलगाम पुलिस स्टेशन का अधिकारी बताने वाले व्यक्ति ने उन्हें मनी लॉन्ड्रिंग और फर्जी सिम कार्ड से जुड़े केस में फंसाने की धमकी दी थी. उनके अनुसार कॉल पर मौजूद व्यक्ति ने डीआईजी की टोपी और पुलिस वर्दी पहनी हुई थी जिससे गुलशन को विश्वास हो गया कि वह कोई उच्च अधिकारी है. इसके अलावा ठगों ने महिला को यह कहकर डराया कि उनके आधार कार्ड का इस्तेमाल कई फर्जी बैंक खातों में पैसे ट्रांसफर करने के लिए किया गया है और जल्द ही उनके नाम पर अरेस्ट वारंट जारी किया जा रहा है.

तीन दिन तक डिजिटल अरेस्ट में रखा

बता दें कि साइबर अपराधियों ने गुलशन कुमारी से कहा कि वह किसी से इस बारे में बात न करें. यहां तक कि उन्हें धमकी दी गई कि अगर उन्होंने किसी को जानकारी दी तो वही धाराएं उन पर भी लगेंगी. मानसिक रूप से डराई गई गुलशन ने तीन दिनों तक खुद को कमरे में बंद रखा और किसी से बात नहीं की.  उनकी सेहत पहले से ही खराब थी जिसका फायदा ठगों ने बखूबी उठाया. महिला ने बताया कि हर आधे घंटे में कॉल या मैसेज आ रहे थे जिसमें उनसे रिपोर्ट देने को कहा जाता था कि वे क्या कर रही हैं. सुबह 7 बजे एक कॉल में कहा गया कि उन्हें तुरंत दिल्ली हेडक्वार्टर बुलाया जा रहा है. उनको बोला गया कि चाहे वो फ्लाइट से आएं या बस से. जब महिला ने कहा कि वह बीमार हैं तो उन्हें एंबुलेंस भेजने और एनआईए अस्पताल में भर्ती कराने का झांसा दिया गया. 

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परिजनों की सूझबूझ और पुलिस की तत्परता से मिली राहत

गुलशन कुमारी की मानसिक स्थिति बिगड़ती देख परिजनों ने उन्हें समझाया और 112 डायल करने की सलाह दी. जैसे ही पुलिस को सूचना मिली, एसएसपी अनुराग आर्य और एसपी सिटी मानुष पारीक ने तत्परता दिखाते हुए पुलिस टीम के साथ मौके पर पहुंचकर महिला को ठगों के चंगुल से मुक्त कराया. एसपी सिटी मानुष पारीक ने खुद साइबर ठगों से बात की जिसके बाद कॉल तुरंत काट दी गई. पुलिस ने स्पष्ट किया कि ‘डिजिटल अरेस्ट’ जैसी कोई कानूनी प्रक्रिया नहीं होती. यह शब्द केवल ठगों द्वारा लोगों को डराने और मानसिक रूप से नियंत्रण में रखने के लिए गढ़ा गया है.

गुलशन कुमारी ने जनता की अपील

राहत मिलने के बाद गुलशन कुमारी ने बरेली पुलिस का आभार जताया और जनता से अपील की कि ऐसे किसी भी फर्जी कॉल से डरें नहीं और न ही किसी से छिपाएं. उन्होंने कहा कि “पुलिस की वजह से मैं आज सुरक्षित हूं. जनता से यही कहना चाहूंगी कि डिजिटल अरेस्ट जैसी कोई चीज नहीं होती है. यदि किसी को इस तरह का कॉल आता है, तो तुरंत पुलिस को सूचित करें. सतर्क रहें और ठगों से बचें.” 

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