पहलवानों का बड़ा दाव! धरना स्थल पर ही खंगाल ली बृजभूषण सिंह की आपराधिक कुंडली, देखें
बृजभूषण शरण सिंह की मुश्किलें एक बार फिर बढ़ती हुई दिख रही हैं. एक बार फिर से ओलंपियन पहलवानों ने भारतीय कुश्ती महासंघ के अध्यक्ष…
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बृजभूषण शरण सिंह की मुश्किलें एक बार फिर बढ़ती हुई दिख रही हैं. एक बार फिर से ओलंपियन पहलवानों ने भारतीय कुश्ती महासंघ के अध्यक्ष बृजभूषण शरण सिंह के खिलाफ मौर्चा खोल दिया है. देश के जाने-माने पहलवान बजरंग पूनिया, साक्षी मलिक और विनेश फोगाट समेत कई खिलाड़ी बृजभूषण शरण सिंह के खिलाफ धरने पर बैठे हैं. इसी बीच धरने पर बैठे पहलवानों ने भाजपा सांसद के खिलाफ सख्त कदम उठाया है.
बता दें कि दिल्ली के जंतर-मंतर पर धरना दे रहे पहलवानों ने धरना स्थल पर ही एक बैनर लगाया है. इस बैनर पर बृजभूषण शरण सिंह का पूरा आपराधिक इतिहास लिखा हुआ है. बैनर पर वह सभी केस दर्ज हैं, जो अब तक बृजभूषण शरण सिंह के खिलाफ दर्ज हुए हैं.
इस कदम को पहलवानों का भारतीय कुश्ती महासंघ के अध्यक्ष बृजभूषण शरण सिंह के खिलाफ सख्त और बड़ा कदम माना जा रहा है.
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क्या है पूरा मामला
आपको बता दें कि करीब 3 महीने पहले जनवरी में भी देश के जाने-माने पहलवानों ने बृजभूषण शरण सिंह के खिलाफ धरना दिया था. इस दौरान विनेश फोगाट, साक्षी मलिक और बजरंग पूनिया के साथ कई पहलवानों ने बृजभूषण सिंह के खिलाफ शोषण के आरोप लगाए थे. इन आरोपों पर आगे कोई कार्रवाई होता न देख इन पहलवानों ने एक बार फिर कुश्ती महासंघ के अध्यक्ष बृजभूषण सिंह के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है. वहीं पहलवानों विरोध प्रदर्शन के बाद एक बार फिर बृजभूषण सिंह चर्चा में आ गए हैं.
बृजभूषण सिंह पर चार मामले हैं दर्ज
बृजभूषण शरण सिंह के अपराधिक इतिहास की बात करें तो साल 2019 में ब्रजभूषण शरण सिंह की तरफ से लोकसभा चुनाव में दिए गए हलफनामे के मुताबिक उन पर 4 मामले दर्ज हैं, लेकिन किसी में भी सजा नहीं सुनाई गई है. इन चार मामलों में एक मामला अयोध्या में विवादित ढांचा विध्वंस का था, जिसमें सीबीआई की स्पेशल कोर्ट ने इन्हें बरी कर दिया था.
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दूसरा मामला गोंडा के नवाबगंज कोतवाली में हत्या के प्रयास का दर्ज था, जिसमे सपा के पूर्व विधायक पंडित सिंह ने केस दर्ज करवाया था, लेकिन इस मामले में भी कोर्ट ने सभी आरोपियों को बरी कर दिया था. तीसरा मामला राम जन्मभूमि अयोध्या कोतवाली में सरकारी आदेश की अवहेलना का दर्ज कराया था. इसे भी कोर्ट ने रद्द कर दिया था. फिलहाल इनपर सरकारी अधिकारी को बंधन बनाने का मामला लंबित है.
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