यूपी बोर्ड 10वीं-12वीं के एग्जाम खत्म, बोर्ड ने 30 साल बाद बनाया ये रिकॉर्ड

शिल्पी सेन

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UP Board Results: यूपी बोर्ड की हाई स्कूल और इंटरमीडीएट की परीक्षाओं में ये 30 साल में पहला मौक़ा है, जब न कोई पेपर लीक हुआ न ही कोई परीक्षा कैन्सल हुई. ये बात चौंकाने वाली लग सकती है पर यूपी सरकार की नक़ल पर सख़्ती का असर दिखायी पड़ा. 16 फ़रवरी से 4 मार्च तक सम्पन्न दसवीं और बारहवीं की बोर्ड परीक्षाएं इस बार यूपी में कई मायनों में ख़ास रहीं. यूपी में बोर्ड की दसवीं और बारहवीं की परीक्षाएं इस बार नक़ल विहीन सम्पन्न हुईं. न कोई संगठित नक़ल का मामला सामने आया न ही कोई पेपर लीक की शिकायत आयी.

उत्तर प्रदेश में 30 साल में ये पहली बार रहा जब पेपर लीक होने की वजह से कोई परीक्षा कैन्सल हुई. परीक्षा समाप्त होने के बाद माध्यमिक शिक्षा परिषद उत्तर प्रदेश ने आँकड़े जारी किए हैं. पूरे प्रदेश के 1 लाख 43 हज़ार से ज़्यादा परीक्षा कक्षों पर लखनऊ से पूरी परीक्षा के दौरान मॉनिटरिंग होती रही. साथ ही ज़िले में डीएम और एसपी/एसएसपी ने भी परीक्षा पर निगरानी की.

4 लाख से ज़्यादा परीक्षार्थियों ने छोड़ा एग्जाम

माध्यमिक शिक्षा परिषद उत्तर प्रदेश (यूपी बोर्ड) देश में परीक्षा कराने वाली सबसे बड़ी संस्था है. इस बार की परीक्षाओं में 58 लाख 85 हजार 745 छात्रों ने रजिस्ट्रेशन कराया था. इसमें हाई स्कूल के 31, 16487 छात्र थे, जबकि इंटरमीडिएट के 27, 69258 छात्र शामिल थे. परीक्षा शुरू होने से पहले इस बात का फ़ैसला किया गया था कि संगठित नक़ल कराने पर एनएसए के तहत कार्रवाई की जाएगी. वहीं नक़ल करने वाले छात्रों पर भी अनुचित साधनों के प्रयोग के तहत होने वाली कार्रवाई कर परीक्षा से वंचित किया जाएगा. सख़्ती का असर पहले ही दिन से देखने को मिला और रेजिस्ट्रेशन कराने वाले 4 लाख से ज़्यादा छात्रों ने परीक्षा छोड़ दी. कुल 54, 54174 छात्रों ने ही परीक्षा दी जिसमें हाईस्कूल के 29, 07533 और इंटर के 25, 46640 छात्र शामिल रहे.

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यूपी बोर्ड के आँकड़ों के अनुसार 30 साल में पहली बार परीक्षा शुरू होने से पहले प्रश्न पत्र लीक होने का एक भी वाकया सामने नहीं आया. कुछ मामले पाए गए जिन कर कार्रवाई हुई. छात्रों, कक्ष निरीक्षकों, प्रधानाचार्यों , प्रबंधकों व अन्य के खिलाफ एफआईआर भी दर्ज कराई गई. अनुचित साधनों का प्रयोग करते 81 छात्र पाए गए. इसमें 51 (32 बालक व 19 बालिकाएं), जबकि इंटर में 30 (22 बालक व 8 बालिकाएं) नकल करते हुए पाए गए. यही नहीं, 85 लोगों पर एफआईआर की गयी. 3 कक्ष निरीक्षकों, 6 प्रधानाचार्यों या केंद्र व्यवस्थापकों, 4 प्रबंधकों और 14 अन्य के खिलाफ एफआईआर की गई.

पहली बार उत्तर पुस्तिकाओं में क्यू आर कोड

इस बार यूपी बोर्ड में कई बातों को शामिल किया गया।उत्तर प्रदेश माध्यमिक शिक्षा परिषद के सचिव दिव्यकांत शुक्ल ने बताया कि ‘ इस बार जो तैयारियां की गई थीं, उनका अच्छा नतीजा सामने आया है. पहली बार प्रश्नपत्र(question papers) की कोडिंग(coding)की गयी. प्रश्नपत्रों की पैकेजिंग चार लेयर में टेम्पर्ड प्रूफ लिफाफों में की गयी।पहली बार उत्तर पुस्तिकाओं (Answer copies) पर क्यूआर कोड और माध्यमिक शिक्षा परिषद का लोगो लगाया गया. हर साल लखनऊ में कंट्रोल रूम से मॉनिटरिंग होती है. पहली बार लखनऊ में दो कंट्रोल रूम बनाए गए.पहली बार प्रश्नपत्रों को रखने के लिए स्ट्रांग रूम को प्रधानाचार्य के कक्ष में नहीं बनाया गया।इसके लिए अलग से स्ट्रॉंग रूम बनाए गए. साथ ही पहली बार प्रश्नपत्रों की सील खोलने और बंद करने का उत्तरदायित्व जिलाधिकारी द्वारा नामित स्ट्रेटिक मजिस्ट्रेट को दिया गया. इसके साथ ही सभी जनपदों में पहली बार सिलाईयुक्त उत्तर पुस्तिकाएं तैयार कराई गईं.

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3 लाख से ज़्यादा CCTV कैमरों से हुई मॉनिटरिंग

बोर्ड परीक्षाओं के लिए यूपी में 1.43 लाख परीक्षा कक्षों और परिसर में लगभग 3 लाख वॉयस रिकॉर्डरयुक्त सीसीटीवी कैमरे, डीवीआर राउटर डिवाइस और हाईस्पीड इंटरनेट कनेक्शन की व्यवस्था की गई. जिनसे हर ज़िले में बने कंट्रोल रूम से न सिर्फ़ मॉनिटरिंग हो रही थी. इसके अलावा लखनऊ में बने कंट्रोल रूम इन ज़िलों के कंट्रोल रूम से भी जुड़े थे. इस वर्ष पहली बार प्रश्नपत्रों की सुरक्षा के लिए स्ट्रांग रूम की रात्रिकालीन निगरानी हेतु अधिकारियों की 632 भ्रमण टीमों का गठन करके सभी 8753 परीक्षा केंद्रों के स्ट्रांग रूम का कुल 28716 बार निरीक्षण कराया गया. यूपी बोर्ड की परीक्षाओं के लिए तीन महीने पहले से ही शिक्षा विभाग के अधिकारियों के साथ यूपी पुलिस, एसटीएफ(STF)की बैठकें हुईं. संवेदनशील ज़िलों पर एसटीएफ और एलआइयू की ख़ास तौर पर नज़र रही.

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