तुलसीदास जन्मस्थली विवाद: इतिहासकार ने राजापुर और सोरों को नहीं सूकर खेत को बताया प्रमाणिक
सीएम योगी के एक बयान के ट्वीट होने के बाद गोस्वामी तुलसीदास की जन्मस्थली को लेकर विवाद शुरू हो गया है. कुछ का दावा है…
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सीएम योगी के एक बयान के ट्वीट होने के बाद गोस्वामी तुलसीदास की जन्मस्थली को लेकर विवाद शुरू हो गया है. कुछ का दावा है कि उनकी जन्मस्थली राजापुर तो कुछ लोग सोरों बता रहे हैं. इन सबमें राजापुर उनका जन्म स्थान होने का दावा सबसे पुराना है. इसी बीच ‘तुलसीदास जन्मभूमि’ किताब के लेखक प्रोफेसर सूर्य प्रसाद दीक्षित का कहना है कि गोंडा में स्थित सूकर खेत तुलसीदास जी का जन्म स्थान है.
सीएम योगी के एक बयान को सीएम ऑफिस ने ट्वीट किया. इसके बाद से तुलसीदास की जन्मस्थली को लेकर विवाद छिड़ गया. ट्वीट में कहा गया – ‘संत तुलसीदास जी की जन्मस्थली राजापुर के पर्यटन विकास की कार्ययोजना को समयबद्ध ढंग से पूर्ण कराएं. राजापुर में रामलीला मंचन के लिए व्यवस्थित मंच तैयार कराया जाए। यहां पुस्तकालय की स्थापना भी कराई जाए: मुख्यमंत्री श्री @myogiadityanath जी महाराज.’ इस ट्वीट के बाद सोरों के लोगों ने ये कहना शुरू किया कि तुलसीदास जी का जन्म स्थान तो सोरों में है. राजापुर में नहीं. गौरतलब है कि राजापुर चित्रकूट जिले में स्थित है जबकि सोरों कासगंज जिले में.
इतिहासकार प्रोफेसर सूर्य प्रसाद दीक्षित का कहना है- सोरों के लोगों के दावे में कोई दम नहीं है क्योंकि उनके पास कोई प्रामाणिक तथ्य नहीं.वो सिर्फ जनश्रुतियों के आधार पर बात कर रहे हैं. उस समय के अयोध्या राज्य में जो अब गोंडा के अंतर्गत आता है, तुलसी दास का जन्म होना ज़्यादा प्रामाणिक है. खुद तुलसीदास के आत्मकथ्य के आधार पर इसे कहा जा सकता है, जबकि राजापुर, सोरों और सूकर खेत(गोंडा) में इस बात को लेकर हमेशा विवाद चलता रहा है.
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राजापुर का दावा सबसे पुराना है. तीनों स्थान (सोरों, राजापुर, सूकर खेत) पर रामचरित मानस की हस्तलिखित प्रतियां रखी हैं. तीनों स्थानों के पास तुलसीदास का ददिहाल और ननिहाल बताया जा रहा है.तीनों स्थानों पर तुलसी की प्रतिमा और महिमा है. बुंदेलखंड और इम्पिरीयल गजेटियर में अलग अलग बातें लिखी हैं. इसी तरह अलग-अलग ग्रंथ हैं, जो इन तीनों स्थानों में कहीं तुलसी जन्म बताते हैं.
गजेटियर में विवादास्पद बातें हैं
इतिहासकार प्रोफेसर सूर्य प्रसाद दीक्षित का कहना है- गजेटियर में विवादास्पद बातें हैं. जन्मस्थान पर विवाद के बाद जब उपलब्ध सामग्रियों की चर्चा करने के लिए 1959 में दिल्ली में गोष्ठी हुई थी तो सोरों का दावा उसी समय 40 वर्ष पूर्व सर्वसम्मति से ख़ारिज कर दिया गया था, क्योंकि कोई प्रामाणिक तथ्य नहीं था. वर्ष 1999 में लखनऊ में एक गोष्ठी हुई. हाईकोर्ट के जज भी थे तो भी इस समय तीनों स्थानों के पक्ष में किसी के पास कोई साक्ष्य नहीं थे.
प्रोफेसर सूर्य प्रसाद दीक्षित कहते हैं- कोई भी पोथी कहीं भी रखी जा सकती है. हमारे कई ग्रंथ विदेशों में रखे हैं. ऐसे में जरूरी नहीं कि उस स्थान पर उस व्यक्ति का जन्म हुआ हो. खुद तुलसीदास ने ‘कवितावली’ में ये कहा है कि ‘तुलसी तिहारो घर जायो है…’(मेरा तो आपके घर जन्म हुआ यानि मैं आपके घर का हूं).‘ये विभीषण आपका कौन है जबकि मैं आपके घर का व्यक्ति हूं (ये तुलसीदास ने खुद कहा इसलिए उसे ज़्यादा प्रामाणिक माना जा सकता है).
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राजपुर के बारे में ये बात ज्यादा सटीक
प्रोफेसर दीक्षित ने कहा- राजापुर के बारे में बुंदेलखंड गजेटियर और इम्पिरियल गजेटियर दोनों में कहा गया है कि तुलसीदास ने राजापुर का निर्माण कराया. यानि जिसको उन्होंने खुद बसाया वहां उनका जन्म कैसे हो सकता है. वो उनकी कर्मभूमि हो सकती है. समें कोई शक नहीं कि राजापुर में तुलसीदास बहुत समय तक रहे.
सूकर खेत ही गोस्वामी तुलसी दास की जन्मस्थली
प्रोफेसर दीक्षित ने कहा- अब गोंडा का दावा आता है. गोंडा में और उस समय अवध का एक हिस्सा था सूकर खेत. तुलसीदास ने कहा है ‘राजा मोरे राम राजा हैं अवध मेरा घर है….’ अयोध्या में तुलसी चौरा में ही तुलसीदास ने रामचरित मानस लिखना शुरू किया था. गोस्वामी तुलसीदास के अपने आत्मकथ्य के आधार पर इसी स्थान का जन्मस्थान होना ज़्यादा प्रामाणिक है. सूकर खेत में सरयू और घाघरा के संगम पर नरसिंह का आश्रम है. वहां रहने के बाद तुलसीदास काशी गए.
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