Shardiya Navratri 2024 Day 7: नवरात्रि के सातवें दिन होती है मां कालरात्रि की पूजा, ये पाठ करने से कष्ट होंगे दूर
Shardiya Navratri 2024 Day 7: नवरात्रि के सातवें दिन मां दुर्गा के कालरात्रि की पूजा की जाती है. ऐसा माना जाता है कि मां कालरात्रि की पूजा करने से जीवन से सारे कष्ट दूर हो जाते हैं.
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Shardiya Navratri 2024 Day 7: नवरात्रि के सातवें दिन मां दुर्गा के कालरात्रि की पूजा की जाती है. ऐसा माना जाता है कि मां कालरात्रि की पूजा करने से जीवन से सारे कष्ट दूर हो जाते हैं. मां का यह स्वरूप भयंकर है,लेकिन इन्हें भक्तों के लिए अत्यंत कल्याणकारी और शुभ फलदायकिनी माना जाता है. मां कालरात्रि की पूजा से अज्ञात भय, रोग, शत्रु बाधा और अन्य सभी विपदाओं का नाश होता है.
आज के दिन की विशेषता के बारे में बात करते हुए श्रीकैलख ज्योतिष एवं वैदिक संस्थान ट्रस्ट के अध्यक्ष ज्योतिषाचार्य महंत रोहित शास्त्री ने बताया कि मां कालारात्रि को व्यापक रूप से माता देवी - काली, महाकाली, भद्रकाली, भैरवी, मृत्यू, रुद्रानी, चामुंडा, चंडी और दुर्गा के कई विनाशकारी रूपों में से एक माना जाता है. उन्होंने नवरात्रि में मां कालरात्रि की पूजा के बारे में आगे भी बताया है.
जानिए मां कालरात्रि की पूजा का मंत्र और इनका स्वरूप
या देवी सर्वभूतेषु माँ कालरात्रि रूपेण संस्थिता। नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नम:।।
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इसका अर्थ है कि, 'हे मां! सर्वत्र विराजमान और कालरात्रि के रूप में प्रसिद्ध अम्बे, आपको मेरा बार-बार प्रणाम है. या मैं आपको बारंबार प्रणाम करता हूँ। हे माँ, मुझे पाप से मुक्ति प्रदान करें.' महंत रोहित शास्त्री के मुताबिक मां कालरात्रि के पूरे शरीर का रंग एक अंधकार की तरह है, इसलिये शरीर काला रहता है. उनकी तीन आंखें और बिखरे हुए बाल होते हैं, जो उनके प्रचंड रूप का प्रतीक हैं. वे चार भुजाओं वाली देवी हैं, जिनमें वे एक हाथ में तलवार और दूसरे में लौह अस्त्र धारण करती हैं, जबकि अन्य दो हाथों से वे अभय और वरद मुद्रा में भक्तों को आशीर्वाद देती हैं. उनका वाहन गधा है, जो साधारण जीवन का प्रतीक माना जाता है. मां कालरात्रि के इस रौद्र रूप के बावजूद, वे अपने भक्तों के सभी कष्टों का नाश करती हैं और उन्हें भयमुक्त करती हैं.
महा सप्तमी पूजा की विधि
महंत रोहित शास्त्री ने बताया कि दुर्गा पूजा में सप्तमी तिथि का काफी महत्व है. पूजा से पहले स्नान करके साफ वस्त्र पहनें. इसके बाद पूजा के लिए संकल्प लें और देवी मां का ध्यान करें. मां कालरात्रि के परिवार के सदस्यों, नवग्रहों, दशदिक्पाल को प्रार्थना कर आमंत्रित कर लें. एक साफ स्थान पर पूजा के लिए कलश स्थापित करें. कलश में पानी भरकर उस पर आम के पत्ते और नारियल रखें. इसे देवी का प्रतीक मानकर पूजन करें. हाथों में फूल लेकर देवी को प्रणाम कर देवी के मंत्र का ध्यान करें. मंत्र ये है.
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देव्या यया ततमिदं जगदात्मशक्तया, निश्शेषदेवगणशक्तिसमूहमूर्त्या तामम्बिकामखिलदेवमहर्षिपूज्यां, भक्त नता: स्म विदाधातु शुभानि सा न:" देवी को गुड़ का भोग अर्पित करना शुभ माना जाता है. अंत में मां कालरात्रि की आरती करें और प्रसाद वितरण करें. भोग करने के बाद दान करें और एक थाली ब्राह्मण के लिए भी निकाल कर रखें.
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