यूपी में 70 साल से कम उम्र के रिटायर्ड टीचरों को फिर मिलेगी नौकरी, जानें डिटेल
यूपी के सरकारी स्कूलों में शिक्षकों की कमी को दूर करने के लिए योगी सरकार एक अहम फैसला लेते हुए नई योजना शुरू करने जा…
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यूपी के सरकारी स्कूलों में शिक्षकों की कमी को दूर करने के लिए योगी सरकार एक अहम फैसला लेते हुए नई योजना शुरू करने जा रही है. केजीबीवी समेत सभी सरकारी स्कूलों में सेवानिवृत्त शिक्षकों को एक बार फिर नौकरी देने का निर्णय लिया गया है. इस नई योजना के तहत 70 साल से कम उम्र के शिक्षकों को नौकरी दी जाएगी.
सरकार की इस नई योजना से प्रशिक्षित शिक्षकों समेत शिक्षकों की कमी से जूझ रहे स्कूलों में इनका इस्तेमाल समेत कई फायदे होंगे. साथ ही वे बहुत ही कम लागत वाले स्कूलों में मेंटरिंग की अवधारणा को भी बढ़ावा देंगे जो इस प्रयोग से हल होने की संभावना है.
सेवानिवृत्त शिक्षकों के लिए योगी सरकार की इस योजना पर, बेसिक शिक्षा सचिव विजय कुमार आनंद ने कहा कि सलाहकार के रूप में, उन्हें सहकर्मी शिक्षा सुनिश्चित करने, आंतरिक प्रेरणा देने और कक्षा को छात्र-केंद्रित बनाने की आवश्यकता होगी. इससे छात्रों के सीखने के स्तर में सुधार होगा. इस कदम से कई लाभ होंगे. जिसमें प्रशिक्षित शिक्षकों सहित शिक्षकों की कमी का सामना कर रहे स्कूलों में उनका उपयोग हो सकेगा.
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1 साल का होगा कार्यकाल, जिसे बढ़ाया जा सकता है अधिकारी ने दावा किया कि ये बहुत कम लागत वाले स्कूलों में मेंटरिंग की अवधारणा को भी बढ़ावा देंगे. आदेश के अनुसार 70 वर्ष से कम आयु के शिक्षक काउंसलिंग के लिए पात्र होंगे और उनका कार्यकाल एक वर्ष का होगा. प्रत्येक चयनित शिक्षक के प्रदर्शन का मूल्यांकन अनुबंध के नवीनीकरण से एक वर्ष पहले किया जाएगा.
ये होगी योग्यता
चयन में उन शिक्षकों को वरीयता दी जाएगी जो राज्य या राष्ट्रीय स्तर के पुरस्कार विजेता हैं. साथ ही उन्हें असिस्टेंट टीचर या हेड टीचर के रूप में कम से कम 5 साल का अनुभव होना चाहिए. चयनित शिक्षकों को 2500 रुपये प्रतिमाह भत्ता के रूप में दिया जाएगा. इससे सेवानिवृत्त शिक्षकों को फिर से छात्रों के लिए काम करने का मौका मिलेगा.
महत्वपूर्ण बात यह है कि इसके लिए प्रत्येक चयनित शिक्षक को प्रेरणा एप के माध्यम से कम से कम 30 स्कूलों का ऑनलाइन सहकारी पर्यवेक्षण करना होगा. माता-पिता और छात्रों को दीक्षा और रीड अलॉन्ग ऐप का उपयोग करने के लिए प्रोत्साहित किया जाना चाहिए. ये शिक्षक सभा, खेलकूद जैसी स्कूली गतिविधियों की निगरानी भी करेंगे और स्कूलों में मॉडल शिक्षण का प्रदर्शन भी करेंगे.
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