गणतंत्र दिवस परेड: उत्तर प्रदेश की झांकी में भगवान राम, अयोध्या के दीपोत्सव की झलक

भाषा

UP News: चौहत्तरवें गणतंत्र दिवस पर आयोजित परेड के दौरान कर्तव्य पथ पर गुरुवार को उत्तर प्रदेश की झांकी में भगवान राम और देवी सीता…

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UP News: चौहत्तरवें गणतंत्र दिवस पर आयोजित परेड के दौरान कर्तव्य पथ पर गुरुवार को उत्तर प्रदेश की झांकी में भगवान राम और देवी सीता के वनवास से लौटने पर अयोध्या के लोगों द्वारा उनका स्वागत करते हुए दिखाया गया. साथ ही इस शहर में दीपोत्सव समारोह के आयोजन की झलक भी झांकी में प्रस्तुत की गई. अयोध्या में वर्तमान में एक भव्य राम मंदिर का निर्माण हो रहा है और उत्तर प्रदेश के इस शहर में बड़े पैमाने पर सड़क-चौड़ीकरण सहित कई अन्य परियोजनाएं पर काम हो रहा है.

रक्षा मंत्रालय के अधिकारियों ने इससे पहले कहा था कि कर्तव्य पथ पर होने वाली परेड में 23 झांकियां शामिल हैं, जिनमें 17 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों की और छह विभिन्न मंत्रालयों एवं विभागों की झांकियां हैं.

उत्तर प्रदेश के सूचना एवं जनसंपर्क विभाग के एक वरिष्ठ अधिकारी के अनुसार, उत्तर प्रदेश की झांकी में भगवान राम और देवी सीता के वनवास से लौटने पर अयोध्या के लोगों द्वारा उनका स्वागत करते हुए दिखाया गया है. एक वरिष्ठ रक्षा अधिकारी ने पहले कहा था कि गणतंत्र दिवस की झांकी में अयोध्या दीपोत्सव उत्तर प्रदेश का मुख्य विषय है.

उत्तर प्रदेश सरकार के एक अधिकारी ने कहा, “झांकी के किनारे वाले हिस्से में अयोध्या में सरयू नदी के तट पर ‘राम की पैड़ी’ को दर्शाया गया है और एक बड़ा ‘दीपोत्सव द्वार’ बनाया गया है. इसमें महर्षि वशिष्ठ की एक प्रतिमा भी है.”

पिछले साल ऐतिहासिक राजपथ का नाम कर्तव्य पथ रखे जाने के बाद यह पहला गणतंत्र दिवस समारोह है. उत्तर प्रदेश पिछले दो साल से परेड में सर्वश्रेष्ठ झांकी का पुरस्कार जीतता आ रहा है. वर्ष 2022 की उत्तर प्रदेश की झांकी में आध्यात्मिक नगरी वाराणसी और वहां का काशी विश्वनाथ धाम आकर्षण का केंद्र बिंदु था.

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इस बड़ी परियोजना का पहला चरण पिछले साल 13 दिसंबर को प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी द्वारा लोगों को समर्पित किया गया था. इससे इस पवित्र शहर में पर्यटन को बढ़ावा मिलने की उम्मीद है.

साल 2021 में, राज्य की झांकी में 26 जनवरी की परेड के दौरान प्राचीन शहर अयोध्या की विरासत और राम मंदिर को दर्शाया गया था. झांकी के सामने महर्षि वाल्मीकि का एक बैठा हुआ प्रतिरूप था और मंदिर का प्रतिरूप पीछे की तरफ था.

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