मुंबई की नीतू वोहरा नहीं हो रही थी प्रेग्नेंट फिर जिंदगी में आया छांगुर बाबा, इस युवती की पूरी कहानी जान चौंक जाएंगे
UP News: छांगुर बाबा के खिलाफ उत्तर प्रदेश सरकार और यूपी पुलिस एक्शन मोड में हैं. इसी बीच उसकी करीबी नीतू वोहरा उर्फ नासरीन चर्चाओं में आ गई है. वह भी गिरफ्त में हैं. जानिए इसकी पूरी कहानी.
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UP News: छांगुर बाबा यूपी पुलिस की पकड़ में हैं. उसका साम्राज्य ढह चुका है. मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने भी छांगुर बाबा के खिलाफ सख्त कार्रवाई के निर्देश दिए हैं. बलरामपुर का छांगुर बाबा नवीन वोहरा और नीतू वोहरा के साथ मिलकर जो धर्मांतरण का रैकेट चला रहा था, उसने पूरे यूपी को हिला कर रख दिया है. इसी बीच नीतू वोहरा भी काफी चर्चाओं में हैं. दरअसल नीतू और नवीन पति-पत्नी हैं. मगर दोनों ने छांगुर बाबा के संपर्क में आकर इस्लाम अपना लिया और फिर तीनों मिलकर हिंदू लड़कियों को अपने जाल में फंसाने लगे.
क्या है नीतू वोहरा उर्फ नसरीन की कहानी?
मिली जानकारी के मुताबिक, छांगुर बाबा की सबसे नजदीकी नीतू नवीन वोहरा, तमिलनाडु की रहने वाली है. उसकी शादी नवीन वोहरा के साथ हुई. शादी के बाद उसके बच्चे नहीं हुए. उसे प्रेग्नेंसी में दिक्कतें आईं. इसी बीच किसी तरह से नवीन का संपर्क बलरामपुर के छांगुर बाबा से हुआ, जो खुद को पीर कहता था.
नीतू और नवीन मुंबई से बलरामपुर बाबा से मिलने आए. उसने बताया कि उसे प्रेग्नेंसी में दिक्कत आ रही है और उसे मानसिक तौर पर कुछ परेशानी भी हो रही है. ये जान छांगुर बाबा ने उसे कुछ दवाइंया दीं और अपनी एक अंगूठी भी दी, जिसके बाद नीतू और नवीन बाबा से प्रभावित होते चले गए. इसके बाद वह मुंबई से बलरामपुर कई बार आए और बाबा से मिलने लगे.
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नीतू को अपनी पत्नी की तरह रखता था छांगुर बाबा
छांगुर बाबा ने नीतू वोहरा और उसके पति नवीन वोहरा का धर्मांतरण करवा दिया. नीतू वोहरा का नाम बदलकर नसरीन रख दिया गया और नवीन वोहरा का नाम जमालुद्दीन कर दिया गया.
दोनों पति-पत्नी बाबा के पास ही समय गुजारने लगे. झांगुर बाबा नसरीन के साथ रहने लगा. फिर तीनों मिलकर धर्मांतरण के इस रैकेट को बड़ा करने में जुट गए. आलम यह था कि नवीन गाड़ी चलाता था और पीछे की सीट पर नीतू यानी नसरीन और झांगुर बाबा बैठकर पूरा नेटवर्क चलाते थे. बता दें कि छांगुर बाबा नसरीन को अपनी पत्नी की तरह रखता था. अब ये सभी पुलिस के शिकंजे में हैं. पुलिस ने बाबा के बेटे को भी अरेस्ट कर लिया है.
जांच में ये भी सामने आया है कि ये लोग गरीब और मजदूर वर्ग की लड़कियों, उनके परिवारों को अपने झांसे में लेकर मुसलमान बनाते थे. हिंदू जातियों के हिसाब से इस्लाम अपनाने वाली लड़कियों को लाखों रुपये दिए जाते थे. ओबीसी लड़कियों को 10 से 12 लाख, जनरल कास्ट यानी सिख, ब्राह्मण, क्षत्रिय की लड़कियों को 15 लाख और अन्य जातियों की लड़कियों को 8 लाख रुपये दिए जाते थे.