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खादी महोत्सव में 3.20 करोड़ की रिकॉर्ड बिक्री, हिट हो गई 'धागे से धरोहर तक' वाली थीम

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गोमतीनगर में आयोजित 10 दिवसीय खादी महोत्सव में 42% वृद्धि के साथ ₹3.20 करोड़ का कारोबार. जानें खादी के प्रति युवाओं का बढ़ता आकर्षण. हर्बल उत्पाद, जूट हस्तशिल्प और माटी कला के उत्पादों की धूम.

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Khadi Mahotsav 2025 Lucknow
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गोमतीनगर स्थित केंद्रीय संस्कृत विश्वविद्यालय में आयोजित 10 दिवसीय खादी महोत्सव-2025 ने इस बार बिक्री के सभी पिछले रिकॉर्ड तोड़ दिए हैं. 'धागे से धरोहर तक' थीम पर 21 से 30 नवंबर तक चले इस आयोजन में कुल कारोबार ₹3.20 करोड़ तक पहुंच गया. यह आंकड़ा पिछले वर्ष की ₹2.25 करोड़ की बिक्री की तुलना में लगभग 42% की जबरदस्त वृद्धि को दर्शाता है. यह खादी के प्रति बढ़ते आकर्षण को साबित करता है. महोत्सव के अंतिम दिन ग्राहकों की सबसे अधिक भीड़ देखी गई और देर शाम तक स्टॉलों पर खरीदारी का जबरदस्त उत्साह बना रहा. आयोजकों ने इस रिकॉर्ड तोड़ सफलता का श्रेय मुख्य रूप से युवा ग्राहकों की बढ़ी हुई उपस्थिति और थीम की लोकप्रियता को दिया है.

खादी बनी 'युवा पहचान': हिट हुए ये उत्पाद

इस वर्ष के महोत्सव में खादी वस्त्रों के अलावा कुछ खास उत्पादों ने ग्राहकों के बीच धूम मचाई. ग्राहकों की पहली पसंद रहे उत्पादों में खादी वस्त्र, हर्बल उत्पाद, जूट हस्तशिल्प और माटी कला से बने उत्पाद शामिल थे. विभिन्न जिलों से आए कारीगरों ने बताया कि इस बार न केवल भीड़ बढ़ी, बल्कि खरीदारी को लेकर उत्साह भी पहले की तुलना में कहीं ज्यादा था. प्रेम कुमार (स्वराज्य आश्रम), सतेन्द्र कुमार (ग्राम सेवा संस्थान), अब्बास अंसारी (मुजफ्फरनगर), और अंजलि सिंह (जूट आर्टिज़न्स) जैसे कारीगरों और उद्यमियों ने एकमत से कहा कि इस बार युवा ग्राहकों की उपस्थिति विशेष रूप से उल्लेखनीय रही है, जिसने बिक्री को एक नया आयाम दिया.

रॉयल हनी के प्रोपराइटर नितिन सिंह ने भी पुष्टि की कि युवाओं, छात्रों और महिलाओं की लगातार उपस्थिति ने यह साबित कर दिया है कि खादी अब केवल पारंपरिक परिधान नहीं रही, बल्कि एक आधुनिक और भरोसेमंद उपभोक्ता उत्पाद बन चुकी है.

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160 उद्यमियों ने लिया हिस्सा

इस 10 दिवसीय आयोजन में कुल 160 उद्यमियों ने भाग लिया. इन्होंने अपने विविध उत्पादों का प्रदर्शन किया. इनमें खादी संस्थाओं के 32 स्टॉल, ग्रामोद्योग के 120 स्टॉल और माटी कला के 8 स्टॉल शामिल थे. लखनऊ, मुजफ्फरनगर, बाराबंकी और गोरखपुर सहित विभिन्न जिलों के कारीगरों ने इस मंच का उपयोग अपने स्थानीय और हस्तनिर्मित उत्पादों को सीधे उपभोक्ताओं तक पहुंचाने के लिए किया. आगंतुकों ने कहा कि एक ही स्थान पर खादी, स्थानीय शिल्प और प्राकृतिक उत्पादों की इतनी व्यापक रेंज मिलना उनके लिए एक दिलचस्प और सुविधाजनक अनुभव रहा.

सांस्कृतिक धरोहर और आधुनिक उपभोक्ता की पहचान

समापन अवसर पर बोर्ड के मुख्य कार्यपालक अधिकारी शिशिर ने इस रिकॉर्ड सफलता के लिए सभी उद्यमियों और आयोजन टीम को धन्यवाद दिया. उन्होंने कहा कि यह महोत्सव इस बात का प्रमाण है कि खादी अब केवल वस्त्र का विकल्प नहीं, बल्कि हमारी सांस्कृतिक धरोहर और आधुनिक उपभोक्ता दोनों की साझा पहचान बन चुकी है. उन्होंने जोर दिया कि इस थीम 'धागे से धरोहर तक' ने खादी को युवाओं के साथ मजबूती से जोड़ा है.

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