रामपुर के किले की मीनारों में छिपे हैं ये राज, यहां नवाबों का कभी था जलवा, जानिए रियासत के इतिहास की पूरी कहानी
Uttar Pradesh News: उत्तर प्रदेश का जनपद रामपुर 1774 ईस्वी में रियासत के रूप में अस्तित्व में आया,जो गंगा जमुनी तहजीब हमेशा से ही यहां…
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Uttar Pradesh News: उत्तर प्रदेश का जनपद रामपुर 1774 ईस्वी में रियासत के रूप में अस्तित्व में आया,जो गंगा जमुनी तहजीब हमेशा से ही यहां की पहचान रही है. रियासत के नवें नवाब हामिद अली ख़ान को अपने दौर का शाहजहां कहा जाता है. खास बात यह है कि उन्होंने यहां पर कई खूबसूरत इमारतों का निर्माण कराया, साथ ही किले की खूबसूरत बिल्डिंग को भी बनवाया. इस बिल्डिंग में आज विश्व प्रसिद्ध रजा लाइब्रेरी स्थापित है. गौर करने वाली बात यह है कि बीसवीं सदी की शुरुआत में तामीर हुई इस बिल्डिंग की चारों मिनारें चारों धर्म के धार्मिक स्थलों मंदिर, मस्जिद, गिरजाघर, गुरुद्वारा को अपने अंदर समायोजित किए हुए है. जो धार्मिक एकता को प्रदर्शित करती हुई नजर आती है.
कैसे बना रामपुर रियासत
वर्ष 1774 मैं जहां पूरे देश में अंग्रेजी हुकूमत काबिज थी, तो वहीं कठेर नाम के घने जंगल के एक स्थान पर रामपुर रियासत का उदय हुआ. इस रियासत को आंवला से आकर नवाब फैज उल्ला खान ने बसाया था. यहां पर 1774 से 1949 तक कुल 10 नवाबों ने शासन किया. सभी नवाबों ने अपने अपने कार्यकाल के दौरान कुछ ना कुछ नया किया जो आज भी लोगों के लिए एक मिसाल से कम नहीं है. इनमें से रामपुर के नवें नवाब हामिद अली ख़ान ने 14 वर्ष की आयु में सन् 1887 ईसवी में हुकूमत की बागडोर संभाली. उनकी देखरेख में 1899 में यहां के किले की दीवारें बननी शुरू हुई और फिर 1902 में मुख्य इमारत जो वर्तमान में रजा लाइब्रेरी कहलाती है. इसका निर्माण 1905 ईस्वी में पूरा हो गया. किले की इमारत बनने के बाद यहीं पर नवाब हामिद अली ख़ान ने अपने खानदान सहित रिहाइश शुरु कर दी.
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किले के दरबार हाल से शाही फरमान जारी होना शुरू हो गए, 1930 में नवाब हामिद अली खान की मृत्यु हो गई. अब उनकी जगह नवाब रजा अली खान ने हुकूमत की बागडोर संभाली और देश की आजादी के बाद अपने रियासत का 1949 में भारत गणराज्य में विलय कर दिया.
आजादी के बाद नवाब खानदान ने उठाया ये कदम
रियासत खत्म होने के बाद यहां की मुख्य इमारतों मे से किले को भी भारत सरकार के हवाले कर दिया गया. धीरे-धीरे वक्त बीता गया साल गुजरते गए और 90 के दशक में किले की भव्य इमारत जिसे हामिद मंजिल कहां जाता था, उसमें विश्व प्रसिद्ध रजा लाइब्रेरी को स्थापित कर दिया गया. इस लाइब्रेरी की देखभाल और रखरखाव का जिम्मा सांस्कृतिक मंत्रालय के कंधों पर है. रजा लाइब्रेरी स्थापित होने के शुरुआती दौर में किसी को भी पता ना था कि इस भव्य इमारत की चार मीनारो में धार्मिक एकता की वह मिसाल छुपी है. जिसे नवाब हामिद अली ख़ान ने 1905 में इस इमारत को बनाने के बाद एक अद्भुत नमूने के रूप में पेश कर दिया था. जो आज भी धर्म के नाम पर एक दूसरे को लड़ा कर राजनीतिक रोटियां सीखने वालों के मुंह पर करारा तमाचें के रूप में पहचानी जाएगी.
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किले की चार मिनारें हैं एक मिसाल
रजा लाइब्रेरी की इमारत के चारों कोनों पर खड़ी यह भव्य मीनारें जहां नवाब हामिद अली खान की सेकुलर सोच एवं धार्मिक एकता की दशकों से गवाही देती चली आ रही है. मीनार में सबसे ऊपर के हिस्से में मंदिर, उसके बाद गुरुद्वारा, उसके बाद गिरजाघर और अंत में मस्जिद का प्रतीकात्मक निर्माण है. शोध करने वाले लगातार इस बात को तलाशने में जुटे हुए हैं कि आखिर वह क्या कारण है कि नवाब हामिद अली ख़ान ने एक के बाद एक और एक के बाद एक इन धार्मिक स्थलों के प्रतीकात्मक नमूनों को इन मीनारों समायोजित किया. जबकि अगर नवाब अपनी इस भव्य इमारत में मस्जिद का प्रतीकात्मक नमूना बनवा देते तो हुकूमत के इस दौर में उनके सलाह आवाज उठाने वाला कौन था. बरहाल वजह कुछ भी रही हो लेकिन इतना तो जरूर है कि नफरत के इस दौर में लोगों को एक दूसरे के पास लाने की इस दशकों पुरानी पहल को लेकर नवाब हामिद अली खान बधाई के पात्र जरूर है.
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क्या कहता है इतिहास
इस विषय पर शोधकर्ता रजा लाइब्रेरी नावेद कैसर ने बताया कि, ‘नवाब हामिद अली खान के जो आर्किटेक्ट थे उनका नाम था मिस्टर डब्लू सी राइट. वह फ्रेंच थे. यह बिल्डिंग जब हम देखेंगे तो यह मालूम होता है यह एक indo-european स्टाइल का स्ट्रक्चर है. लेकिन उन्होंने यह चारों मजहब को रखा है. रिसर्च के दौरान मैंने सोचने की कोशिश की पहले नंबर पर इन्होंने जो मंदिर को रखा तो क्यों रखा और गुरुद्वारे को सेकेंड पर क्यों रखा. यह शायद इस वजह से किया गया होगा कि मुल्क में हिन्दुओं की संख्या ज्यादा है जबकि रामपुर में काफी कम इसलिए नवाब ने धार्मिक एकता की मिसाल पेश करने के लिए ऐसा किया होगा.’
इस विषय पर नवाब हामिद अली खान के परपोते नवाब मुराद मियां ने बताया कि, ‘रामपुर में सब साथ-साथ और मिलजुल कर रहते थे. कोई प्रॉब्लम नहीं थी. वह एक हिस्ट्री लेकर आए थे और वही सिलसिला अभी तक चल रहा है. यहां कोई रिलीजियस डिस्प्यूट्स नहीं है कि आप हिंदू हैं, आप सिख हैं, आप मुस्लिम है. यह तो पहले से ही शुरू हुआ है. यह कोई नई बात नहीं है.’
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