दीपोत्सव पर अपना ही रिकॉर्ड तोड़ेगी अयोध्या, जानिए इस बार कैसे और खास होगी दीवाली
इस बार दीपावली पर अयोध्या 9 लाख दीयों से जगमग होगी. इस तरह उत्तर प्रदेश की योगी आदित्यनाथ सरकार के पांचवें दीपोत्सव में एक नया…
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इस बार दीपावली पर अयोध्या 9 लाख दीयों से जगमग होगी. इस तरह उत्तर प्रदेश की योगी आदित्यनाथ सरकार के पांचवें दीपोत्सव में एक नया वर्ल्ड रिकॉर्ड बनेगा.
अयोध्या में एक तरफ जहां राम मंदिर का निर्माण कार्य प्रगति पर है, वहीं दीपावली से एक दिन पहले 3 नवंबर को होने वाले दीपोत्सव में अयोध्या अपने ही पुराने रिकॉर्ड को तोड़ेगी. इसके लिए जहां अयोध्या के घाटों को सजाया संवारा जा रहा है, वहीं अलग-अलग जगह पर दीये बनाने का काम भी चल रहा है. ये दीये दो दिन पहले तक अयोध्या पहुंच जाएंगे और घाटों पर उनको सजा दिया जाएगा.
क्या है दीपोत्सव के लिए प्लान?
अयोध्या में 3 नवंबर को होने वाले दीपोत्सव की तैयारियां तेज हो गई हैं. यूं तो पिछले चार वर्षों में दीपोत्सव की भव्यता बढ़ती रही है पर इस बार योगी सरकार का पांचवां दीपोत्सव होने की वजह से इसकी भव्यता को और बढ़ाने की तैयारी है. इसके लिए अयोध्या ही नहीं अन्य जगहों पर भी तैयारी चल रही है. इस बार दीपोत्सव में 9 लाख दीये जलेंगे. ये पिछले साल के मुकाबले कहीं बड़ी संख्या होगी. पिछले साल 6 लाख से ज्यादा दीये जलाए गए थे और विश्व रिकॉर्ड बना था. इसलिए कहा जा रहा है कि अयोध्या इस दीपोत्सव पर अपने ही पिछले रिकॉर्ड को तोड़कर नया रिकॉर्ड बनाएगी.
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इन दीयों को सजाने से पहले अयोध्या के घाटों को सजाया संवारा जा रहा है. 9 लाख दीयों की संख्या बहुत ज्यादा है इसलिए इनको अलग-अलग जगह पर बनवाकर अयोध्या लाया जा रहा है.
दीये बनाने वालों को काम मिले इसके लिए अयोध्या के अलावा आस-पास के जिलों से भी उन्हें तैयार करवाया जा रहा है. ऐसे ही 11 हजार दीये लखनऊ के मलीहाबाद में स्थित गोपेश्वर गोशाला में भी बनाए जा रहे हैं. यहां आस-पास के गांव की महिलाओं को सामूहिक रूप से इन दीयों को बनाते देखा जा सकता है.
क्या खास होगा लखनऊ के इन दीयों में?
लखनऊ के मलीहाबाद स्थित गोपेश्वर गोशाला निराश्रित गायों का पालन और संरक्षण होता है. इन्हीं के गोबर से ये दीये बनाए जा रहे हैं.
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80 प्रतिशत गोबर में 20 प्रतिशत मिट्टी डालकर इन्हें अच्छी तरह से मिलाया जाता है, फिर ‘पंचगव्य’ यानी दूध, दही, गोमूत्र, घी डालकर उनको अच्छी तरह मथकर उसी को दीये के सांचे में ढाला जाता है. फिर उनको सुखाकर अलग-अलग रंगों में रंगा जाता है. ये सारा काम महिलाएं ही करती हैं.
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दीयों को बनाने में शामिल क्षमा गुप्ता कहती हैं कि ये दीये बनाकर इस बात का एहसास हो रहा है कि ये हमारा सौभाग्य है क्योंकि ये दीये उन लाखों दीयों में शामिल होंगे जो प्रभु श्रीराम की नगरी में जलेंगे. दीयों को चटख रंगों में पेंट कर रही पुष्पा गौतम और उनकी बहन दिशा गौतम का उत्साह भी कम नहीं है.
पुष्पा एक एनजीओ में काम करती हैं, पर आजकल अयोध्या में भेजे जाने वाले दीये बनाने के लिए समय निकालकर आ जाती हैं. वह कहती हैं, ”इनकी कोई तुलना नहीं की जा सकती क्योंकि ये अयोध्या में रोशनी बिखेरेंगे. हम लोगों की कितनी ही व्यस्तता हो पर यहां दीये बनाने जरूर आते हैं.”
वहीं शालिनी का कहना है, ”दीवाली पर अपने घर में दीये तो सभी लगाएंगे पर हमारे दीये राम जी के आंगन (अयोध्या ) में जलेंगे. ये हमारा सौभाग्य है.”
गोपेश्वर गोशाला के प्रबंधक उमाकांत का कहना है, ”वैसे तो इस काम से आस-पास के गांव की महिलाओं को रोजगार मिला है लेकिन श्रीराम में आस्था और उसका उल्लास इतना है कि कई महिलाओं ने ये भी कह दिया है कि वो उन दीयों को बनाने का पैसा नहीं लेंगी जो अयोध्या भेजे जाएंगे.”
अयोध्या में इस बार और खास होगी दीवाली
इस बार अयोध्या में दीवाली और ज्यादा खास रहने वाली है. यहां 9 लाख दीयों को जलाने में 1 करोड़ 24 लाख रुपये का अनुमानित खर्च आएगा. 36 हजार लीटर तेल इनमें लगेगा. वहीं अवध यूनिवर्सिटी के 12 हजार छात्र और वॉलनटियर्स एक ही तरह की टी शर्ट और कैप में नजर आएंगे, जिस पर दीयों की तस्वीर होगी. राम की पैड़ी में फर्श पर रामायणकालीन चित्रों को बनाकर उस पर दीये सजाए जाएंगे.
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